तुम अपने किरदार को इतना बुलंद करो कि दूसरे मज़हब के लोग देख कर कहें कि अगर उम्मत ऐसी होती है,तो नबी कैसे होंगे? गगन बेच देंगे,पवन बेच देंगे,चमन बेच देंगे,सुमन बेच देंगे.कलम के सच्चे सिपाही अगर सो गए तो वतन के मसीहा वतन बेच देंगे.
27 अगस्त 2010
घर से जो निकला
कल घर से जो निकला
में बाहर
टूटी फूटी सडके ,
नालियों के खुले मेनहोल
सडकों पर
पड़े कचरे के ढेर
मुझे
धार्मिक पुस्तकों
में लिखे
नर्क की याद दिलाने लगे
में कुछ सोचता
इसके पहले ही
निगम के महापोर जी
उधर से गुजरते दिखे
देख उन्हें
मोहल्लेवासी झपटे
कुछ थे के उनका
स्वागत कर रहे थे
कुछ थे के
उनसे शिकायत
कर रहे थे
उन्होंने खुली आँखों से
नर्क का यह नजारा देखा
मंद ही मंद मुस्कुराए
और कहा चलो कोई बात नहीं
इस बार तो गलती हो गयी
अगली बार जिताओ
बस फिर में
सभी अफसरों को
बदल दूंगा
और इस नर्क को
स्वर्ग बना दूंगा
बस यह कहकर
महापोर जी तो चले गये
और लोग थे
के फिर से
महापोर जिनके नारे लगाते हुए
महापोर को दुबारा
जिताने के लियें
चुनाव प्रचार में चले गये।
अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
बस y
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बेहतर !! सुन्दर रचना !
जवाब देंहटाएंसमय हों तो ज़रूर पढ़ें:
पैसे से खलनायकी सफ़र कबाड़ का http://hamzabaan.blogspot.com/2010/08/blog-post_26.html
शहरोज़