तुम अपने किरदार को इतना बुलंद करो कि दूसरे मज़हब के लोग देख कर कहें कि अगर उम्मत ऐसी होती है,तो नबी कैसे होंगे? गगन बेच देंगे,पवन बेच देंगे,चमन बेच देंगे,सुमन बेच देंगे.कलम के सच्चे सिपाही अगर सो गए तो वतन के मसीहा वतन बेच देंगे.
18 अगस्त 2010
में पागल निकला
पानी की तलाश में
कुआ मिला तो भी में
प्यासा निकला
लोग कहते हें
में तो पागल निकला ,
बहार आई
जिंदगी में तो
में
जंगल की तरफ चल निकला
लोग कहते हें
गुलों की खुशबु
छोड़ गया
देखो यह कमबख्त
केसा पागल निकला ,
जीना आसान तो
नहीं था
उसे बिछुड़ कर
देख हाथों की लकीरों को
फिर भी में जी निकला
लोग कहते हें देखों
वोह केसा पागल निकला
चलो अच्छा हुआ
काम आगया
पागलपन
वरना अपनी हरकतों पर
दुनिया को समझाने
हम कहां जाते
नफरत,मार काट
दुःख भी इस बेवफा दुनिया में
बताओं हम पागल नहीं होते
तो ज़िंदा रहकर भी
केसे मुस्कुरा पाते............
अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
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वाह बहुत ही सुन्दर
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