तुम अपने किरदार को इतना बुलंद करो कि दूसरे मज़हब के लोग देख कर कहें कि अगर उम्मत ऐसी होती है,तो नबी कैसे होंगे? गगन बेच देंगे,पवन बेच देंगे,चमन बेच देंगे,सुमन बेच देंगे.कलम के सच्चे सिपाही अगर सो गए तो वतन के मसीहा वतन बेच देंगे.
06 अगस्त 2010
यूँ आसमान पर पेबन्द ना लगा
ऐ ज़मीं
के टुकड़े तोड़ने वालों
यूँ आसमां पर
ज़मीं के पेबन्द ना लगाओ ,
फटे हुए आसमां को
बचाना चाहते हो अगर
तो बस
हर घर के बाहर
एक पेड़ जरुर लगाओ ।
अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
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संदेश देती हुई एक बहुत सुन्दर रचना!!आभार।
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