आपका-अख्तर खान

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06 अगस्त 2010

अमन का कारवा के लोग मुझ से हुए नाराज़

दोस्तों आज मेने घर आये मेहमान का अनादर नहीं करने की परम्परा तोड़ कर अपराध किया हे मेने पाकिस्तान से भारत में अमन का पैगाम लेकर आये पाक अमन कारवाँ के लोगों को नाराज़ कर खरी खोटी सूना दी हे वोह लोग आज मुझ से नाराज़ हो गये लेकिन न जाने क्यूँ इतना बढा अपराध करने के बाद भी आज पहली बार मेरा मन अपराध बोध से ग्रस्त नहीं हे और में पहली बार ऐसा अपराध कर शर्मिंदा नहीं हुआ हूँ , आज पाकिस्तान के यात्रियों की एक बस जिसमें करीब ५० यात्री महिला पुरुष बच्चे शामिल थे कोटा आई उनका मकसद भारत और पाकिस्तान के बीच में दोस्ती के सम्बन्ध बनाना और अमन का पैगाम देना था इसीलियें उन्होंने इस बस का नाम अमन का कारवाँ रखा यह सभी लोग मेरे वकालत के दफ्तर वाली होटल में ठहरे जहां उनका स्वागत हुआ, मुझे भी उनसे मिलाया गया कारवां में आये एक जनाब सिख सरदार भाई ने मुझ से पूंछ लिया के वकील साहब आप हमारे इस मिशन के बारे में किया टिप्पणी करते हें उन्होंने अपना मूवी कमरा निकाला और खड़े हो गये मेने उनसे मना किया मेरी प्रार्थना थी की में कव्वा कहलाता हूँ जब बोलूंगा कांव कांव बोलूंगा मेहरबानी करके किसी और से यह सवाल पूंछ लो लेकिन थोड़ी देर में हिन्दू,मुस्लिम,सिख भाई और बहने आ गये और वोह इस सवाल का जवाब मुझ से लेने को उत्सुक हो गये मेने उनसे कहा के हमारे देश में आपका दिल से स्वागत हे यहाँ आप की महमान नवाजी में कोई कसर नहीं रहेगी फिर सरदार भाई ने कहा के वकील साहब यहा प्लीज़ वकालत ना करो हमारी बात का सीधा सीधा जवाब दो तो ठीक रहेगा, बस फिर किया था मेरी भी जुबां सच की तरफ फ़ीस गयी मेने ख ही दिया के भाई आप जिस काम के इयें निकले हें वोह आपके देश पाक की नापाक हरकतों के चलते ना मुमकिन हे लेकिन खुदा से दुआ करेंगे के खुदा इसे मुमकिन बना दे बस फिर क्या था कारवा वाले भडक गये कहने लगे भाई हम दोस्ती का हाथ बढाने आये हें और आप हें के जहर फेला रहे हें , मेने फिर जवाब दिया केसी दोस्ती केसा हाथ जब जब भी आपके देश ने दोस्ती का हाथ बढाया हमारे डी देह में मुसीबत खड़ी हुई हे आपके देश ने हमेशा हमारे देश की पीठ पर छुरा घोंपा हे इस पर अमन कारवा खामोश हो गया और बस नाराजगी की नजर से मुझे देखने लगा में थोड़ी देर रुका उन्हें जय सियाराम,सत्सिरी अकाल , आदाब अर्ज़ किया और वापस अपने दफ्तर आ गया में सोचता रहा के मेने घर आये मेहमान को नाराज़ कर कहीं पाप तो नहीं कर दिया लेकिन मुझे अब तक इस बात पर अफ़सोस नहीं हुआ हे इसलियें समझता हूँ के मेने अपनी बात कहकर कोई पाप नहीं किया। अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

2 टिप्‍पणियां:

  1. आपने कोई गलती नहीं की. अख्तर भाई.

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  2. Mujhe bhi lagta hai Aap ne koi apraadh nahi kiya hai. Asal me Dosti aur Aman ke jitne prayaas hamaari taraf se huye hain, Paakistaan ne hamesha hi ulta jawaab diya hai.

    ham to schooli dino se hi achche prayaas aur shaanti ke dooton ke liye jhaanki, Kavy geeton ke maadhyam se kaam krte aayen hai. Lekin natije kabhi achche nahi rahe.

    Aapo yaad hoga "Delhi-Lahore Bus sewa" jise Sadaye-Darhad naam diya gaya tha. Iske turanmt baad hi Bomb-Visfoton ki sankhya me izaafa hota gaya.

    Mujhe ek ghatna aur yaad hai, jab paak se ek pariwaar apne bachchi ke ilaaj ke liye bangalore aaye the. "Baby Noor" ka yahan operation hua tha. Bahut se log khush huye the.
    Parantu aaj ki taarikh me Paak se Dosti mushkil hai.

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