आपका-अख्तर खान

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13 अगस्त 2010

तेरी जुदाई ..


तेरी जुदाई
और जिंदगी दोनों साथ हों
तो जिंदगी
सजा हो गयी हो जेसे ,
दिल तडपता हे ऐसे
खुद का आशिया
अपने हाथों जला हो जेसा
तू दूर चाहे
जितनी रहे
धडकनें लेकिन
यह बता देत हें
के कब मेरा ज़िक्र
किया तुने
तेरी महफ़िल में
जिंदगी मुश्किल हे
तेरे बगेर
सोचता हूँ फिर क्यूँ जी रहा हूँ तेरे बगेर ।
... अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

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