आपका-अख्तर खान

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13 अगस्त 2010

वोह पत्थर घर आने लगे हें


कल राह के
जिनके पत्थर
मेने हटाए थे ,
आज देखो
वही दोस्तों के
हटाए
पत्थर मेरे घर
फेंके जाने लगे हें ,
कहते हें
जिन्हें जानता नहीं में
उन्हें मोहब्बत हे मुझ से
बस इसीलियें
मेरे दोस्त मुझे
इस तरह से
सताने लगे हें ।
........ अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

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