तुम अपने किरदार को इतना बुलंद करो कि दूसरे मज़हब के लोग देख कर कहें कि अगर उम्मत ऐसी होती है,तो नबी कैसे होंगे? गगन बेच देंगे,पवन बेच देंगे,चमन बेच देंगे,सुमन बेच देंगे.कलम के सच्चे सिपाही अगर सो गए तो वतन के मसीहा वतन बेच देंगे.
13 अगस्त 2010
यह क्या अजीब बात हे
लोग कहते हें
वोह मेरे जाने के बाद
रोते हें ,
कोई बताये मुझे
वोह पहले मुझ से
क्यूँ थे नाराज़
और आज यूँ इस तरह
क्यूँ मेहरबान होते हें
धक्के देकर घर से
निकाला था जिन्हें
आज उसके लियें ही क्यूँ वोह रोते हें ....
अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
वास्तव में यह विचार करने का विषय है अच्छा प्रश्न बधाई
जवाब देंहटाएंNICE POST !!
जवाब देंहटाएंPLZ READ AND DO COMMENT AT
विभाजन की ६३ वीं बरसी पर आर्तनाद :
कलश से यूँ गुज़रकर जब अज़ान हैं पुकारती
शमशाद इलाही अंसारी शम्स की कविता
तुम कब समझोगे कब जानोगे
http://hamzabaan.blogspot.com/2010/08/blog-post_12.html