आपका-अख्तर खान

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13 अगस्त 2010

यह क्या अजीब बात हे


लोग कहते हें
वोह मेरे जाने के बाद
रोते हें ,
कोई बताये मुझे
वोह पहले मुझ से
क्यूँ थे नाराज़
और आज यूँ इस तरह
क्यूँ मेहरबान होते हें
धक्के देकर घर से
निकाला था जिन्हें
आज उसके लियें ही क्यूँ वोह रोते हें ....
अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

2 टिप्‍पणियां:

  1. वास्तव में यह विचार करने का विषय है अच्छा प्रश्न बधाई

    जवाब देंहटाएं
  2. NICE POST !!
    PLZ READ AND DO COMMENT AT
    विभाजन की ६३ वीं बरसी पर आर्तनाद :
    कलश से यूँ गुज़रकर जब अज़ान हैं पुकारती
    शमशाद इलाही अंसारी शम्स की कविता
    तुम कब समझोगे कब जानोगे
    http://hamzabaan.blogspot.com/2010/08/blog-post_12.html

    जवाब देंहटाएं

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