बढ़े प्यार से
रंगीन अंदाज़ में
कल उसने
मुझे
घर बुलाया ,
घर में
मेरे सामने
निवाला उन्होंने तोड़ा
और पास जो बेठे थे उनके
उन्हें बढ़े प्यार से खिलाया
मुझ से यह भी ना पूंछा
के लीजिये जनाब
आइये बेठिये
में समझा अपनों में
फोर्मलिटी कहां
पहले खड़ा रहा
अजनबियों की तरह
फिर वोह बोले देख कर मुझे
प्लीज़ अभी हम प्राइवेट काम कर रहे हें
हमारे अपनों को
खुश कर रहे हें
फ़ालतू हो तो फिर कभी आना
और फालतू न हो तो कोई बात नहीं
मत आना ।
अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
तुम अपने किरदार को इतना बुलंद करो कि दूसरे मज़हब के लोग देख कर कहें कि अगर उम्मत ऐसी होती है,तो नबी कैसे होंगे? गगन बेच देंगे,पवन बेच देंगे,चमन बेच देंगे,सुमन बेच देंगे.कलम के सच्चे सिपाही अगर सो गए तो वतन के मसीहा वतन बेच देंगे.
28 अगस्त 2010
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
आज यही इज्ज़त रह गयी है मेहमानों की ..सटीक व्यंग है .
जवाब देंहटाएं