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23 अगस्त 2010

तडपती जिंदगी


जिंदगी मेरी
याद में उनकी
सिसकती रही
जिंदगी मेरी
याद में उनकी
तडपती रही
इसे देख कर
जब वोह
मुस्कुराते रहे
तो बस
मेने भी
बुलाया कातिल को
और बड़े गुरुर से
यह कहा
के जिंदगी आ
इन्तिज़ार से
बेहतर तो यह हे
के में तुझे
कातिल के हवाले
कर दूँ
बस इतना कहने से
हंसी उनकी ख़ुशी उनकी
चेहरे से
काफूर हो गयी। अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

3 टिप्‍पणियां:

  1. जिंदगी मेरी
    याद में उनकी
    सिसकती रही
    bahut acchhi rachna.

    जवाब देंहटाएं
  2. बहुत अच्‍छी रचना .. आपको रक्षाबंधन की बधाई और शुभकामनाएं !!

    जवाब देंहटाएं
  3. रक्षाबंधन पर हार्दिक बधाइयाँ एवं शुभकामनायें!
    बहुत सुन्दर रचना लिखा है आपने !

    जवाब देंहटाएं

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