ऐ दुश्मन
कल तक तू था दोस्त
तो मुझे
हर लम्हा
जन्नत लगता था
ऐ दोस्त
आज बन गया हे
तू दुश्मन मेरा
तो भी देख मुझे
हर लम्हा
जन्नत लगता हे ,
तुने कहा था
काँप उठेगी दुश्मनी
दोस्ती जब फरेब देगी
लेकिन देख ले तू भी
तेरी दुश्मनी को
तेरी दोस्ती से भी बहतर
लुत्फ़ ले ले कर
जिए जा रहा हूँ में ।
अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
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