आपका-अख्तर खान

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08 अगस्त 2010

ना कर इतना घमंड तू


ऐ सूरज
अपनी चमक पर इतना
क्यूँ इतराता हे ,
सिर्फ एक छोटा सा बादल
आता हे
और ढक कर तुझे
तेरी चमक को
छुपा जाता हे,
ऐ चाँद
इतना ना इतरा
अपनी चांदनी पर तू ,
रात में तारों की चमक
दिन में सूरज की रौशनी
तुझे ना जाने कहां
छुपा जाती हे
ऐ मेरे महबूब
तू इतना न इतरा
मेरे नाम की चमक
जुडी हे तेरे साथ
इसीलियें दुनिया भी तुझे जाते ही '
वरना तुझे पता
जब भी टूटेगा रिश्ता तेरा
मेरे नाम के साथ
भुला देंगे तुझे
लोग आसानी के साथ ।
क्यूँ करते हो घमंड तुम
अपनी इस खूबसूरती पर
खूबसूरती तो चली जायेगी
निभायेंगे हम ही तुम्हारा
जिंदगी भर साथ।
................................ अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

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