बीच सडक पर एक दिन
दो महिलाएं
बेशर्मी से लढ़ रही थीं
समझाने वालों की भी
नहीं सुन रही थीं
अचानक एक मोलवी साहब
महिलाओं की लढाई देख कर रुक गये
महिलाये और भडक गयी एक ने एक की
चुटिया हाथ में ली
और चीखने लगी
ले आ
तेरा
मोलवी से निकाह करा दूँ
दूसरी ने पहले को नीचे पटका
और फिर मोलवी की तरफ इशारा किया
कहा में क्यूँ तेरा ही
इस मोलवी से में निकाह करा दूँ
कुछ देर की लढाई के बाद
मामला जब शांत हुआ
महिलाये भी शांत हुईं
खामोश
अपनी अपनी जगह खड़ी हो गयीं
भीड़ छटने लगी
मोलवी साहब एक टक
दोनों महिलाओं को निहार कर
बोले बाई में रुकूँ या जाऊं , में रुकूँ या जाऊं ।
अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
तुम अपने किरदार को इतना बुलंद करो कि दूसरे मज़हब के लोग देख कर कहें कि अगर उम्मत ऐसी होती है,तो नबी कैसे होंगे? गगन बेच देंगे,पवन बेच देंगे,चमन बेच देंगे,सुमन बेच देंगे.कलम के सच्चे सिपाही अगर सो गए तो वतन के मसीहा वतन बेच देंगे.
23 जुलाई 2010
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