एक मास्टरजी
रोज़
छात्रा को
पढाने जाते थे,
एक दिन
छात्र ने
इठलाते बलखाते
मास्टरजी से कहा
मास्टरजी मास्टरजी
मुझे प्यार हो गया हे
मास्टर जी यह सुन
आग बबूला हुए बोले
बेशर्म ,बेहया ,नामाकूल शर्म नहीं आती
मास्टरजी से ऐसी बातें करती हे
छात्रा ने कहा
मास्टरजी सुनो तो सही
मुझे आपसे
प्यार हो गया हे
यह सुन मास्टरजी
इठलाये बलखाये और बोले
चल झूंठी ............
अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
तुम अपने किरदार को इतना बुलंद करो कि दूसरे मज़हब के लोग देख कर कहें कि अगर उम्मत ऐसी होती है,तो नबी कैसे होंगे? गगन बेच देंगे,पवन बेच देंगे,चमन बेच देंगे,सुमन बेच देंगे.कलम के सच्चे सिपाही अगर सो गए तो वतन के मसीहा वतन बेच देंगे.
23 जुलाई 2010
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
हा हा हा।
जवाब देंहटाएं