आपका-अख्तर खान

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18 जुलाई 2010

सब उदास हें

जंगल उदास हे ,सेहरा उदास हे
पेड़ उदास हें, पोधे उदास हें
चिड़ियों की चहचाहट खामोश हे
जंगल के जानवर हें के उदास हें
बस तेरे जाने के बाद
यही तन्हा उदासी भरी हे जिंदगानी
कहते हें लोग अकेला
तुहारी भी अजब कहानी हे
बस यूँ उदास उदास सी जिंदगानी हे ।
अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

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