बड़े ,बड़े पेड़ गिरा कर
आने वाली आँधियों
वोह देखों
फुल से लिपटी हे
प्यार में तितलिया
अपने झोंकों से
उन्हें गिराकर तो देखो ।
अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
तुम अपने किरदार को इतना बुलंद करो कि दूसरे मज़हब के लोग देख कर कहें कि अगर उम्मत ऐसी होती है,तो नबी कैसे होंगे? गगन बेच देंगे,पवन बेच देंगे,चमन बेच देंगे,सुमन बेच देंगे.कलम के सच्चे सिपाही अगर सो गए तो वतन के मसीहा वतन बेच देंगे.
15 जुलाई 2010
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बेहतरीन रचना! बहुत खूब अख्तर जी.
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