डर और खोफ तो एक धोखा हे
डर का साथ क्या देना
जो मुसीबत रास्ते में आये
ठोकर से उसे हटा देना
इरादे मजबूत हों तो पहुंचेंगे मुकाम पर
कह दो तूफ़ान से जितना चाहे आजाये
जहाज़ का हूँ में अब लंगर खोलने वाला ।
अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
तुम अपने किरदार को इतना बुलंद करो कि दूसरे मज़हब के लोग देख कर कहें कि अगर उम्मत ऐसी होती है,तो नबी कैसे होंगे? गगन बेच देंगे,पवन बेच देंगे,चमन बेच देंगे,सुमन बेच देंगे.कलम के सच्चे सिपाही अगर सो गए तो वतन के मसीहा वतन बेच देंगे.
15 जुलाई 2010
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बहुत सुन्दर, मज़बूत इरादों संजोती कविता ...
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