ऐ काली रात
मुझे उम्मीद हे
कल रंगीन सुबह की
ऐ रात
कितनी ही संगीन हो तू
हिम्मत तुझ में
जब जानूं
तब सुबह होने को
तू रोक दे
ऐ काली रात
तेरी उम्र
सिर्फ थोड़ी सी हे
और रंगीन सुबह की
आस में देखों
में रोकर नहीं
हंस कर जिए
जा रहा हूँ ।
अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
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