आपका-अख्तर खान

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17 जुलाई 2010

यूँ बे सबब लिखे जा रहे हें हम

यूँ बे सबब
ब्लॉग लिखे जा रहे हें हम
लगता हे
सभी ब्लोगर्स को
बोर किये जा रहे हें हम
यूँ बे सबब
ब्लॉग लिखे आ रहे हें हम
देश के जलते हुए
सवालों को
अल्फाजों में उकेरे जा रहे हें
यूँ बे सबब
लिखे जा रहे हें हम
देश के प्रति
यूँ संवेदनशील होकर
यूँ बे सबब लिखने की
सजा खुद को दिए जा रहे हें हम।
अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

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