आपका-अख्तर खान

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31 जुलाई 2010

घर से दूर हे


घर से
दूर हे मेरे
मन्दिर और मस्जिद
सोचता हूँ
खुदा की
इबादत कर लूँ
चलूं किसी
रोते हुए को
हंसाता जाऊं ।
अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

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