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30 जुलाई 2010

महिला की गिरफ्तारी मामले में कोटा पुलिस की त्वरित तफ्तीश

कोटा में एक महिला के पूर्व पति प्रशांत जेन के परिवाद पर रामपुरा कोतवाली पुलिस की तफ्तीश ख़ास चर्चा का विषय बनी हुई हे यहाँ रामपुरा कोटा पुलिस ने जेसे अपनी सभी व्स्त्ताएं छोड़ कर केवल एक ही मामले में पहले से ही रेडीमेड तफ्तीश कर रखी हो और अदालत से परिवाद का इन्तिज़ार हो परिवाद आते ही पुलिस ने तुरंत एक अबला महिला को गम्भीर आरोपों में गिरफ्तार कर लिया । कोटा में एक महिला श्रीमती रंगोली सिंह ने अपने पूर्व पति प्रशांत जेन और उसके दोस्त वगेरा के खिलाफ जबरनयों और अत्याचार का मुकदमा केथुनिपोल कोटा पुलिस में २जुलाइ २०१० को दर्ज कराया जिस पर महिला के काफी प्रयासों के बाद केथुनिपोल पुलिस ने १७ जुलाई को मजिस्ट्रेट के समक्ष ब्यान करवाए महिला का पुर्व्प्ती जब उसे धमकाता रहा तो महिला ने राजथान के ग्रहमंत्री शान्ति कुमार धारीवाल के कोटा प्रवास के दोरान उन्हें शिकायत करना चाहि लेकिन वहां १९ जुलाई को प्रशांत ने फरियादिया पर हमला कर शान्ति भंग का प्रयास किया जहां तेनात पुलिस कर्मियों ने तुरंत उसे रोका और झगड़ा करने पर हाँती भंग के मामले में नयापुरा कोटा पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर ऐ डी एम सिटी के यहाँ पेश किया जहां उसने अपनी गति आन कर जुर्म का नोटिस स्वीकार किया और ६ माह के लियें शांति बनाये रखने की शर्त पर उसे पाबन्द कर रिहा किया गया । इसी के बाद प्रशांत जेन जिसे केथुनिपोल कोटा पुलिस मजिस्ट्रेट के समक्ष बयानों में अपराध की पुष्टि होने पर भी गिरफ्तार नहीं कर सकी वोह कोटा न्यायालय में एक झुनता परिवाद पेश करते हें जिसे २३ जुलाई को अदालत ने रामपुरा कोतवाली शाम के वक्त जांच के लियें भेजा परिवाद के हास्यास्पद तथ्य थे के महिया उसे ब्लेक मेल कर ४ लाख रूपये ले चुकी हे और खुद को अविवाहित होने का स्टाम्प लिखवाना बता कर शादी करना कहा सब जानते हें के ४ लाख रूपये की अंतरी इनकम टेक्स के लेखा जोखा में होती हे या खा से यह रकम आई इसकी पुस्थी की जाती हे और इतनी बढ़ी रकम देने पर जब तलाक की डिक्री पति पत्नी में सहमती से हो रही हे तो फिर अदालत के कागजों एन लिखवाया जाता हे लेकिन पुलिस ने इस तरफ तफ्तीश नहीं की सब यह भी जानते हें के जब भी कोई प्रेम विवाह करता हे तो संबंधित दस्तावेज प्रेमी ही तय्यार कराता हे और महिला प्रेमी तो बस बिना पढ़े हस्ताक्षर करती हें , लेकिन आप एक तरफ तो कथुनी पोल पुलिस जिसने २ जुलाई के मुकदमे में कुछ नहीं किया और एक तरफ उसी सर्किल की रामपुरा पुलिस जिसे २३ जुलाई की शाम को प्राप्त इस्तिगासे को उसी दिन दर्ज कर सात दिन में उलझी हुई तफ्तीश कर एक छोटी मासूम बच्ची की मां को बच्ची को रोता बिलखता छोड़ कर गिरफ्तार कर लिया और जेल भिजवा दिया अब आप ही बताइए के कोटा की इस पुलिस को क्या वीर चक्र नहीं देना चाहिए जिसने रेडीमेड तफ्तीश पहले से ही कर ली और सभी प्राथमिकताएं छोड़ कर सबसे पहले सारा ध्यान इसीस मुकदमे पर देकर महिला से जिस दिन दस्तावेज मांगे उसी दिन उसे गिरफ्तार कर लिया उसे अपना बचाव देने का अवसर नहीं दिया , खेर यह कोटा रामपुरा पुलिस हे यारों देखते हें आगे इस मामले में क्या होता हे एक बात और हे के अदालत से आज तक थाणे जितने भी परिवाद गये हें उसी दिन दर्ज कर कार्यवाही करने का एक भी प्रमाण सामान्य पुलिस रिकोर्ड में नहीं हें फिर इस फरियादी को वी आई पी ट्रीटमेंट केसे मिया और ४ लाख रूपये दें के मामले की जानकारी इन्कमटेक्स को क्यूँ नहीं दी गयी महिला को उसके बचाव के दतावेज पेश करने का पर्याप्त समय क्यूँ नहीं दिया गया और उसे मात्र बदनाम कर महिला द्वारा दर्ज मुकदमे को खत्म करने के षड्यंत्र के तहत यह कार्यवाही की गयी या नहीं इन पहलुओं पर जांच जरुर होना क हाहिये लेकिन जांच ओत तो सी बी आई की तरह और फिर शायद कोटा के पुलिसकर्मियों के खुद बा खुद लेने के देने पढ़ जायेंगे। अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

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