आपका-अख्तर खान

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13 अप्रैल 2010

जी हाँ में आम इंसान यानी ज़िंदा लाश हूँ

जी हाँ आप मानें या ना मानें में एक आम हिन्दुस्तानी नागरिक हूँ जो एक ज्क्सिंदा लाश की तरह से देश पर बोझ बनकर जी रहा हूँ मेरी तरह में अकेला ही नहीं बलके सेकड़ों हजार लाखों करोड़ों कोग मेरी तरह इस देश पर बोझ बने हुए हें में सुबह आम आदमी की तरह उठता हूँ खाता पीता हूँ अपनने काम करता हूँ देश के लियें ना तो कुछ करता हूँ ना ही कुछ करने की सोचता हूँ में पडोस में चोरी हो जाए उस पर हमला हो जाए तो पुलिस में गवाही देने से भी कतराता हूँ रास्ते में चलते वक्त अगर कोई दुर्घटना हो जाए तो में उसे देखता तो हूँ सरकार को कोसता भी हूँ दो बातें नेतागिरी की भी करता हूँ लेकिन उस तडपते घायल को अस्पताल नहीं पहुंचता हूँ सीधा अपने दफ्तर चला जाता हूँ वहां थोडा बहुत बतियाता हूँ हाजरी बजाता हूँ मेरे काम से मुंह मोड़ क्र आम जनता को चक्कर लगवाता हूँ घर आते वक्त मेरे सामने कोई गुंडा लडकी को छेड़ता हे तो में इसकी खबर ना तो पुलिस को देता हूँ और ना ही उस लडकी बचाता हूँ में सिर्फ मेरे लियें और मेरे बच्चों के लियें जीता हूँ मेरी सोच हे के पुलिस अदालत और गुडों के चक्कर से दूर रहना चाहिए दफ्तर में सबसे ज्यादा गोत लगाता हूँ और नेतागिरी तथा देश भक्ति इमानदारी के उपदेशों में सबसे आगे रहता हूँ में इन सब के बाद भी गर्व से कहता हूँ के मेरा भारत महान हे अब आप ही बताओ में इस देश पर बोझ एक नागरिक ज़िंदा लाश हूँ या नहीं वेसे तो शास्त्रों में मेरी सजा सजा ऐ मोंत हे लेकिन में देश पर बोझ बन कर ज़िंदा लाश की तरह से जी रहा हूँ माफ़ करना भाई में ही नहीं आप और आपके अडोस पडोस के लोग भी मेरे अड़ोसी पड़ोसियों की तरह मेरी ही तरह जिंदगी जी रहे हें सोचो जो अपने देश की नहीं कुडकी सोचता हे कर्तव्य नहीं निभाता केवल अधिकारों की बात करता हे वोह जानवर नहींतो और क्या हे । अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

2 टिप्‍पणियां:

  1. महाकवि जयशंकर प्रसाद कहते हैं,,,
    जिसको न निज भाषा तथा निज देश का अभिमान है, वह नर नहीं हैं पशु निरा और मृतक समान है।

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  2. कृपया शब्द पुष्टिकरण (word verification) का option हटा दें. tippani karne me suvidha hogi.

    Blogger Dashbord>settings>comments

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