आपका-अख्तर खान

हमें चाहने वाले मित्र

16 मार्च 2010

ज़मानत न्यायलय अलग हो

देश भर में लाखों लोग अलग से जिलों में जमानत न्यायालय होने से बिना किसी कारन के जेल में रहते हें अव्वल तो थाने ४३६ सीआरपीसी के प्रावधानों के बाद भी मुलजिम को जमानत पर नहीं छोड़ते फिर ४३७ सीआरपीसी में मजिस्ट्रेट न्यायालय में मुलजिम पेश होता हे वहां से तकनिकी कारणों से जमानत ख़ारिज होती हे मुलजिम जेल जाता हे और उसकी दरख्वास्त जज साहब के यहाँ लगती हे सुनवाई में दो तिन दिन लगते हें छुट्टियाँ आ जाती हें फिर मुलजिम जमानत पर छूटता हे लेकिन वोह दो चार दिन तो जेल में बिना कारण के रह जाता हे इसे में अगर जमानत न्यायालय अलग से हो तो उसी दिन निचली अदालत से ख़ारिज होने पर सेशन में दरख्वास्त लग कर वोह छुट जाए और अनावश्यक जेल में न रहे देखो सरकार यह सब कब से करती हे जिससे जेल का भी बोझ कम होगा ।

5 टिप्‍पणियां:

  1. हिंदी ब्लाग लेखन के लिए स्वागत और बधाई
    कृपया अन्य ब्लॉगों को भी पढें और अपनी बहुमूल्य टिप्पणियां देनें का कष्ट करें

    जवाब देंहटाएं
  2. इस नए चिट्ठे के साथ हिंदी ब्‍लॉग जगत में आपका स्‍वागत है .. नियमित लेखन के लिए शुभकामनाएं !!

    जवाब देंहटाएं

दोस्तों, कुछ गिले-शिकवे और कुछ सुझाव भी देते जाओ. जनाब! मेरा यह ब्लॉग आप सभी भाईयों का अपना ब्लॉग है. इसमें आपका स्वागत है. इसकी गलतियों (दोषों व कमियों) को सुधारने के लिए मेहरबानी करके मुझे सुझाव दें. मैं आपका आभारी रहूँगा. अख्तर खान "अकेला" कोटा(राजस्थान)

Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...