आपका-अख्तर खान "अकेला"
तुम अपने किरदार को इतना बुलंद करो कि दूसरे मज़हब के लोग देख कर कहें कि अगर उम्मत ऐसी होती है,तो नबी कैसे होंगे? गगन बेच देंगे,पवन बेच देंगे,चमन बेच देंगे,सुमन बेच देंगे.कलम के सच्चे सिपाही अगर सो गए तो वतन के मसीहा वतन बेच देंगे.
16 दिसंबर 2025
कांग्रेस हो या फिर भाजपा ,, इन दो सालों में तो कोटा वालों के लिए, इस पार्टी के दोनों लोग, बेमिसाली तोर पर बेशर्म और नाकारा साबित हुए है , वोह बात अलग है के सत्ता में कांग्रेस के रहते
और मूसा की माँ ने (दरिया में डालते वक़्त) उनकी बहन (कुलसूम) से कहा कि तुम इसके पीछे पीछे (अलग) चली जाओ तो वह मूसा को दूर से देखती रही और उन लोगो को उसकी ख़बर भी न हुयी
और मूसा की माँ ने (दरिया में डालते वक़्त) उनकी बहन (कुलसूम) से कहा कि
तुम इसके पीछे पीछे (अलग) चली जाओ तो वह मूसा को दूर से देखती रही और उन
लोगो को उसकी ख़बर भी न हुयी (11)
और हमने मूसा पर पहले ही से और दाईयों (के दूध) को हराम कर दिया था (कि
किसी की छाती से मुँह न लगाया) तब मूसा की बहन बोली भला मै तुम्हें एक
घराने का पता बताऊ कि वह तुम्हारी ख़ातिर इस बच्चे की परवरिश कर देंगे और
वह यक़ीनन इसके खैरख़्वाह होगे (12)
ग़रज़ (इस तरकीब से) हमने मूसा को उसकी माँ तक फिर पहुँचा दिया ताकि उसकी
आँख ठन्डी हो जाए और रंज न करे और ताकि समझ ले ख़ुदा का वायदा बिल्कुल ठीक
है मगर उनमें के अक्सर नहीं जानते हैं (13)
और जब मूसा अपनी जवानी को पहुँचे और (हाथ पाँव निकाल के) दुरुस्त हो गए
तो हमने उनको हिकमत और इल्म अता किया और नेकी करने वालों को हम यूँ जज़ाए
खै़र देते हैं (14)
और एक दिन इत्तिफाक़न मूसा शहर में ऐसे वक़्त आए कि वहाँ के लोग (नींद
की) ग़फलत में पडे़ हुए थे तो देखा कि वहाँ दो आदमी आपस में लड़े मरते हैं
ये (एक) तो उनकी क़ौम (बनी इसराइल) में का है और वह (दूसरा) उनके दुशमन की
क़ौम (कि़ब्ती) का है तो जो शख़्स उनकी क़ौम का था उसने उस शख़्स से जो
उनके दुशमनों में था (ग़लबा हासिल करने के लिए) मूसा से मदद माँगी ये सुनते
ही मूसा ने उसे एक घूसा मारा था कि उसका काम तमाम हो गया फिर (ख़्याल
करके) कहने लगे ये शैतान का काम था इसमें शक नहीं कि वह दुशमन और खुल्लम
खुल्ला गुमराह करने वाला है (15)
(फिर बारगाहे ख़ुदा में) अर्ज़ की परवरदिगार बेशक मैने अपने ऊपर आप
ज़़ुल्म किया (कि इस शहर में आया) तो तू मुझे (दुशमनो से) पोशीदा रख-ग़रज़
ख़ुदा ने उन्हें पोशीदा रखा (इसमें तो शक नहीं कि वह बड़ा पोशीदा रखने वाला
मेहरबान है) (16)
मूसा ने अर्ज़ की परवरदिगार चूँकि तूने मुझ पर एहसान किया है मै भी आइन्दा गुनाहगारों का हरगिज़ मदद गार न बनूगाँ (17)
ग़रज़ (रात तो जो त्यों गुज़री) सुबह को उम्मीदो बीम की हालत में मूसा
शहर में गए तो क्या देखते हैं कि वही शख़्स जिसने कल उनसे मदद माँगी थी
उनसे (फिर) फरियाद कर रहा है-मूसा ने उससे कहा बेशक तू यक़ीनी खुल्लम
खुल्ला गुमराह है (18)
ग़रज़ जब मूसा ने चाहा कि उस शख़्स पर जो दोनों का दुश्मन था (छुड़ाने के
लिए) हाथ बढ़ाएँ तो कि़ब्ती कहने लगा कि ऐ मूसा जिस तरह तुमने कल एक आदमी
को मार डाला (उसी तरह) मुझे भी मार डालना चाहते हो तो तुम बस ये चाहते हो
कि रुए ज़मीन में सरकश बन कर रहो और मसलह (क़ौम) बनकर रहना नहीं चाहते (19)
15 दिसंबर 2025
शाइन इंडिया की टीम ने,12 घंटे में दो बार बारां पहुंच कर लिए दो नेत्रदान
शाइन इंडिया की टीम ने,12 घंटे में दो बार बारां पहुंच कर लिए दो नेत्रदान
2. 320 किलोमीटर के सफर से चार को मिलेगी रोशनी
बारां
शहर में नेत्रदान के प्रति बढ़ती जागरूकता के कारण, कल रविवार को, कोटा से
शाइन इंडिया फाउंडेशन की टीम ने बारां शहर में दो दिवंगतों के नेत्रदान का
कार्य संपन्न किया ।
इसके लिए टीम के सदस्यों को,कोटा से 80
किलोमीटर 12 जाकर वापस आना और फिर दोबारा दूसरे केस के लिए 80 किलोमीटर
जाना हुआ, कुल 320 किलोमीटर के सफर से चार दृष्टिहीनों को रोशनी मिल सकेगी ।
प्रथम
नेत्रदान, पंजाबी कॉलोनी,निवासी शहर के प्रमुख प्रबुद्ध नागरिक और पूर्व
फौजी श्री किशन लाल अदलखा के देवलोक गमन की सूचना सुबह ,संस्था के ज्योति
मित्र,महेश अदलखा से मिली और पुत्र इंद्रजीत,पुत्रवधू मनीषा,सहित परिजनों
की सहमति से नेत्रदान का कार्य संपन्न हुआ ।
किशन लाल जी का जीवन
अनुशासन और देशभक्ति का पर्याय रहा है। उन्होंने वर्ष 1965 और 1971 के
भारत-पाक युद्ध में भारतीय सेना के सिपाही के रूप में अदम्य साहस का परिचय
दिया था। सेना से निवृत्त होने के बाद भी वे समाज सेवा में सक्रिय रहे। वे
पंजाबी समाज के संरक्षक और बारां ट्रक यूनियन के संस्थापक सदस्य भी थे।
शाम
को शहर में दूसरा नेत्रदान संपन्न हुआ। स्थानीय अनंत विहार कॉलोनी, कोटा
रोड निवासी मोहिनी देवी (धर्मपत्नी दानमल जी गालव, मियाडा वाले) का निधन
होने पर पुत्र अभिषेक मालव,कृष्ण कुमार ने स्व प्रेरणा से प्रेरित होकर
अपने मित्र कमल अरोड़ा और कुलदीप सिंह को माता जी के नेत्रदान की इच्छा
जताई ।
चिकित्सक टीम का समर्पण
नेत्रदान की प्रक्रिया को
संपन्न कराने में शाइन इंडिया फाउंडेशन की टीम का विशेष योगदान रहा। उनकी
सेवा भावना का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि, सूचना मिलते ही कोटा
से एक ही दिन में दूसरी बार बारां आए और दोनों नेत्रदानों को सफलता पूर्वक
संपन्न कराया।
(जिसमें) हम तुम्हारें सामने मूसा और फ़िरऔन का वाकि़या इमानदार लोगों के नफ़े के वास्ते ठीक ठीक बयान करते हैं
सूरए अल क़सस मक्के में नाजि़ल हुआ और इसकी 88 आयतें हैं
ख़़ुदा के नाम से (शुरु करता हूँ) जो बड़ा मेहरबान रहम वाला है
ता सीन मीम (1)
(ऐ रसूल) ये वाज़ेए व रौशन किताब की आयतें हैं (2)
(जिसमें) हम तुम्हारें सामने मूसा और फ़िरऔन का वाकि़या इमानदार लोगों के नफ़े के वास्ते ठीक ठीक बयान करते हैं (3)
बेशक फ़िरऔन ने (मिस्र की) सरज़मीन में बहुत सर उठाया था और उसने वहाँ के
रहने वालों को कई गिरोह कर दिया था उनमें से एक गिरोह (बनी इसराइल) को
आजिज़ कर रखा थ कि उनके बेटों को ज़बाह करवा देता था और उनकी औरतों
(बेटियों) को जि़न्दा छोड़ देता था बेशक वह भी मुफ़सिदों में था (4)
और हम तो ये चाहते हैं कि जो लोग रुए ज़मीन में कमज़ोर कर दिए गए हैं
उनपर एहसान करे और उन्हींको (लोगों का) पेशवा बनाएँ और उन्हीं को इस
(सरज़मीन) का मालिक बनाएँ (5)
और उन्हीं को रुए ज़मीन पर पूरी क़़ुदरत अता करे और फ़िरऔन और हामान और उन
दोनों के लश्करों को उन्हीं कमज़ोरों के हाथ से वह चीज़ें दिखायें जिससे
ये लोग डरते थे (6)
और हमने मूसा की माँ के पास ये वही भेजी कि तुम उसको दूध पिला लो फिर जब
उसकी निस्बत तुमको कोई ख़ौफ हो तो इसको (एक सन्दूक़ में रखकर) दरिया में
डाल दो और (उस पर) तुम कुछ न डरना और न कुढ़ना (तुम इतमेनान रखो) हम उसको
फिर तुम्हारे पास पहुँचा देगें और उसको (अपना) रसूल बनाएँगें (7)
(ग़रज़ मूसा की माँ ने दरिया में डाल दिया) वह सन्दूक़ बहते बहते फ़िरऔन
के महल के पास आ लगा तो फ़िरऔन के लोगों ने उसे उठा लिया ताकि (एक दिन यही)
उनका दुशमन और उनके राज़ का बायस बने इसमें शक नहीं कि फ़िरऔन और हामान उन
दोनों के लशकर ग़लती पर थे (8)
और (जब मूसा महल में लाए गए तो) फ़िरऔन की बीबी (आसिया अपने शौहर से) बोली
कि ये मेरी और तुम्हारी (दोनों की) आँखों की ठन्डक है तो तुम लोग इसको
क़त्ल न करो क्या अजब है कि ये हमको नफ़ा पहुँचाए या हम उसे ले पालक ही बना
लें और उन्हें (उसी के हाथ से बर्बाद होने की) ख़बर न थी (9)
इधर तो ये हो रहा था और (उधर) मूसा की माँ का दिल ऐसा बेचैन हो गया कि
अगर हम उसके दिल को मज़बूत कर देते तो क़रीब था कि मूसा का हाल ज़ाहिर कर
देती (और हमने इसीलिए ढारस दी) ताकि वह (हमारे वायदे का) यक़ीन रखे (10)
14 दिसंबर 2025
समापन समारोह 15 को सिमलिया में ** हाड़ोती के मिशन बाल मन तक ने बनाई राष्ट्रीय पहचान
