दिवंगत अमर रहे, इसलिए मृत्यु की पुष्टि होते ही परिजन करवाते है,नेत्रदान
2. चिकित्सक पिता का पुत्र ने और दादी माँ का पौत्र ने कराया नेत्रदान
हाडोती
संभाग में नेत्रदान जागरुकता का प्रतिशत काफी बढ़ चुका है । संस्था शाइन
इंडिया फाउंडेशन की सचिव डॉ संगीता गौड़ ने बताया कि,पिछले छह माह में
हाडोती संभाग प्राप्त हुए नेत्रदानों में 90% लोग ऐसे थे,जिन्होंने परिजन
की मृत्यु की पुष्टि होते ही तुरंत परिजन के नेत्रदान करवाने के लिए संस्था
को संपर्क किया ।
शनिवार को, जयश्री विहार निवासी व ज्योति मित्र
मयंक जैन के पिता डॉ सुरेश चंद जैन का देर रात जयपुर में आकस्मिक निधन हुआ,
मृत्यु की पुष्टि होते ही,मयंक ने तुरंत ही संस्था शाइन इंडिया फाउंडेशन
को रात 11:00 बजे सूचना दी, कि पिताजी का देहांत हो गया है,और सुबह 5:00 तक
उनका पार्थिव शव कोटा आ जाएगा । परिजनों की सहमति के अनुसार संस्था के
सहयोग से डॉ सुरेश चंद का नेत्रदान सुबह 6:00 बजे संपन्न हुआ ।
ज्ञात
हो कि,4 वर्ष पूर्व मयंक के माध्यम से ही उनकी माताजी स्वर्गीय श्रीमति
कनक लता जैन का भी नेत्रदान संपन्न हुआ था । मयंक ने अपना स्वयं का देहदान
संकल्प पत्र भी शाइन इंडिया फाउंडेशन के साथ भरा हुआ है ।
शनिवार
रात को ही ग्राम घाटोली,जिला झालावाड़ निवासी कृष्णा गौतम के निधन की
पुष्टि होते ही,पौत्र विशेष ने संस्था शाइन इंडिया फाउंडेशन को संपर्क कर
दादी मां का नेत्रदान संपन्न करवाया था ।
संस्थापक डॉ कुलवंत गौड़
ने बताया कि,शोक की सूचना से एक तरफ जहाँ पूरा परिवार दुख में आ जाता
है,ऐसे में किसी एक सभ्य व्यक्ति द्वारा नेत्रदान की समझाइश और नेत्रदान
होना,किसी न किसी तरह से शोक को कम करने का साधन बनता है ।
आपका-अख्तर खान "अकेला"
तुम अपने किरदार को इतना बुलंद करो कि दूसरे मज़हब के लोग देख कर कहें कि अगर उम्मत ऐसी होती है,तो नबी कैसे होंगे? गगन बेच देंगे,पवन बेच देंगे,चमन बेच देंगे,सुमन बेच देंगे.कलम के सच्चे सिपाही अगर सो गए तो वतन के मसीहा वतन बेच देंगे.
07 दिसंबर 2025
दिवंगत अमर रहे, इसलिए मृत्यु की पुष्टि होते ही परिजन करवाते है,नेत्रदान
दिल्ली में 14 दिसंबर को आयोजित होने वाली वोट चोर गद्दी छोड़ महारैली को लेकर रविवार को गुमानपुरा स्थित काँग्रेस कार्यालय मे शहर एवं देहात जिला काँग्रेस कमेटी की संयुक्त तत्वाधान में बैठक हु
(मुतमइन हो जाते है) मगर जो शख़्स गुनाह करे फिर गुनाह के बाद उसे नेकी (तौबा) से बदल दे तो अलबत्ता बड़ा बख्शने वाला मेहरबान हूँ
(मुतमइन हो जाते है) मगर जो शख़्स गुनाह करे फिर गुनाह के बाद उसे नेकी
(तौबा) से बदल दे तो अलबत्ता बड़ा बख्शने वाला मेहरबान हूँ (11)
(वहाँ) और अपना हाथ अपने गरेबा में तो डालो कि वह सफेद बुर्राक़ होकर
बेऐब निकल आएगा (ये वह मौजिज़े) मिन जुमला नौ मोजिज़ात के हैं जो तुमको
मिलेगें तुम फ़िरऔन और उसकी क़ौम के पास (जाओ) क्योंकि वह बदकिरदार लोग हैं
(12)
तो जब उनके पास हमारे आँखें खोल देने वाले मैजिज़े आए तो कहने लगे ये तो खुला हुआ जादू है (13)
और बावजूद के उनके दिल को उन मौजिज़ात का यक़ीन था मगर फिर भी उन लोगों
ने सरकशी और तकब्बुर से उनको न माना तो (ऐ रसूल) देखो कि (आखिर) मुफसिदों
का अन्जाम क्या होगा (14)
और इसमें शक नहीं कि हमने दाऊद और सुलेमान को इल्म अता किया और दोनों ने
(ख़ुश होकर) कहा ख़ुदा का शुक्र जिसने हमको अपने बहुतेरे ईमानदार बन्दों पर
फज़ीलत दी (15)
और (इल्म हिकमत जाएदाद (मनकूला) गै़र मनकूला सब में) सुलेमान दाऊद के
वारिस हुए और कहा कि लोग हम को (ख़ुदा के फज़ल से) परिन्दों की बोली भी
सिखायी गयी है और हमें (दुनिया की) हर चीज़ अता की गयी है इसमें शक नहीं कि
ये यक़ीनी (ख़ुदा का) सरीही फज़ल व करम है (16)
और सुलेमान के सामने उनके लशकर जिन्नात और आदमी और परिन्दे सब जमा किए जाते थे (17)
तो वह सबके सब (मसल मसल) खडे़ किए जाते थे (ग़रज़ इस तरह लशकर चलता) यहाँ
तक कि जब (एक दिन) चीटीयों के मैदान में आ निकले तो एक चीटीं बोली ऐ
चीटीयों अपने अपने बिल में घुस जाओ- ऐसा न हो कि सुलेमान और उनका लशकर
तुम्हे रौन्द डाले और उन्हें उसकी ख़बर भी न हो (18)
तो सुलेमान इस बात से मुस्कुरा के हँस पड़ें और अर्ज़ की परवरदिगार मुझे
तौफीक़ अता फरमा कि जैसी जैसी नेअमतें तूने मुझ पर और मेरे वालदैन पर
नाजि़ल फरमाई हैं मै (उनका) शुक्रिया अदा करुँ और मैं ऐसे नेक काम करुँ
जिसे तू पसन्द फ़रमाए और तू अपनी ख़ास मेहरबानी से मुझे (अपने) नेकोकार
बन्दों में दाखिल कर (19)
और सुलेमान ने परिन्दों (के लशकर) की हाजि़री ली तो कहने लगे कि क्या बात
है कि मै हुदहुद को (उसकी जगह पर) नहीं देखता क्या (वाक़ई में) वह कही
ग़ायब है (20)
06 दिसंबर 2025
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