आपका-अख्तर खान "अकेला"
तुम अपने किरदार को इतना बुलंद करो कि दूसरे मज़हब के लोग देख कर कहें कि अगर उम्मत ऐसी होती है,तो नबी कैसे होंगे? गगन बेच देंगे,पवन बेच देंगे,चमन बेच देंगे,सुमन बेच देंगे.कलम के सच्चे सिपाही अगर सो गए तो वतन के मसीहा वतन बेच देंगे.
30 नवंबर 2025
जमाअत-ए-इस्लामी हिंद का देशव्यापी पड़ोसियों के अधिकार मुहिम
कोटा से गई टीम ने बारां के समाजसेवी का लिया नेत्रदान
कोटा से गई टीम ने बारां के समाजसेवी का लिया नेत्रदान
जैन कॉलोनी,
बारां निवासी,जैन श्वेताम्बर स्थानकवासी समाज के पूर्व अध्यक्ष एवं वरिष्ठ
व्यापारी श्री केवल चंद जी जैन का शनिवार को देवलोक गमन हो गया। सरलता,
सेवा और संस्कारों से भरे उनके जीवन ने विदाई के क्षणों में भी समाज को
नेत्रदान जैसा महत्वपूर्ण संदेश दिया ।
दुःख की इस घड़ी में भी उनके
पुत्र सुरेश,नरेश, कमल, दिलीप, अनिल, सुनील तथा पुत्री मधु ने अपने दिवंगत
पिता के सामाजिक कार्यों से प्रेरणा देखकर अंत समय में उनके नेत्रदान
करवाकर मानवता की मिसाल पेश की।
नेत्रदान के लिए,शोकाकुल परिवार के
सदस्यों ने शाइन इंडिया फाउंडेशन के शहर संयोजक हितेश खंडेलवाल को
दी,जिसके बाद कोटा से शाइन इंडिया फाउंडेशन (BBJ चैप्टर) के डॉ. कुलवंत
गौड़ ,नेत्र संकलन वाहिनी के साथ बारां पहुंचे और परिवार के सभी सदस्यों के
बीच में नेत्रदान की प्रक्रिया को पूरा किया ।
भारत विकास परिषद,
बारां के अध्यक्ष नरेश खंडेलवाल ने बताया कि समाज में निरंतर चल रहे
जागरूकता अभियान का ही परिणाम है कि,बारां में नेत्रदान एक मजबूत सामाजिक
परंपरा के रूप में स्थापित हो चुका है। यह कार्य न केवल दिवंगत आत्मा के
प्रति सच्ची श्रद्धांजलि है, बल्कि परिवार के समर्पण और मानवीय मूल्यों का
भी प्रतीक है।
नेत्रदान प्रक्रिया के दौरान परिषद के पराग टोंग्या,
विनोद जैन तथा परिवार के सदस्य—स्वप्निल, शालीन, संस्कार, संयम, सिद्धार्थ,
सोहन, हिना, सलोनी, निराली, गजल, ऋषिका, कनन सहित कई परिजन उपस्थित रहे।
बच्चों ने कहा कि दादाजी का यह अंतिम निर्णय उनके लिए जीवनभर की प्रेरणा
है,और वे भी समाजसेवा के पथ पर सदैव अग्रसर रहेंगे।
जब उनके भाई लूत ने उनसे कहा कि तुम (ख़ुदा से) क्यों नहीं डरते
जब उनके भाई लूत ने उनसे कहा कि तुम (ख़ुदा से) क्यों नहीं डरते (161)
मै तो यक़ीनन तुम्हारा अमानतदार पैग़म्बर हूँ तो ख़ुदा से डरो (162)
और मेरी इताअत करो (163)
और मै तो तुमसे इस (तबलीगे़ रिसालत) पर कुछ मज़दूरी भी नहीं माँगता मेरी
मज़दूरी तो बस सारी ख़ुदायी के पालने वाले (ख़ुदा) पर है (164)
क्या तुम लोग (शहवत परस्ती के लिए) सारे जहाँ के लोगों में मर्दों ही के पास जाते हो (165)
और तुम्हारे वास्ते जो बीवियाँ तुम्हारे परवरदिगार ने पैदा की है उन्हें
छोड़ देते हो (ये कुछ नहीं) बल्कि तुम लोग हद से गुज़र जाने वाले आदमी हो
(166)
उन लोगों ने कहा ऐ लूत अगर तुम बाज़ न आओगे तो तुम ज़रुर निकाल बाहर कर दिए जाओगे (167)
लूत ने कहा मै यक़ीनन तुम्हारी (नाशाइसता) हरकत से बेज़ार हूँ (168)
(और दुआ की) परवरदिगार जो कुछ ये लोग करते है उससे मुझे और मेरे लड़कों को नजात दे (169)
तो हमने उनको और उनके सब लड़कों को नजात दी (170)
28 नवंबर 2025
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