आपका-अख्तर खान

हमें चाहने वाले मित्र

26 अप्रैल 2024

किराना व्यवसायी को भार्या शोक नेत्रदान संपन्न

 किराना व्यवसायी को भार्या शोक नेत्रदान संपन्न

2. मतदान करने के बाद,कोटा से निकली टीम ने लिया नैत्रदान


शाइन इंडिया फाउंडेशन के नैत्रदान जागरूकता अभियान के अनवरत रहने से आज न सिर्फ शहरों में बल्कि ग्रामीण क्षेत्रों में भी नैत्रदान का प्रतिशत बढ़ने लगा है । इसके साथ ही बीते एक वर्ष से यह भी देखने मे आ रहा है कि, अब किसी भी परिवार में मृत्यु होने पर शोकाकुल परिवार के सदस्य,बिना ज्यादा समय बिताए तुरंत ही संस्था के सदस्यों से दिवंगत के नेत्रदान करवाने के लिए संपर्क करते हैं ।


आज मतदान दिवस पर भी ऐसी ही घटना घटी,जब कैथून निवासी किराना व्यवसायी राजेन्द्र कुमार अग्रवाल की पत्नि प्रेमादेवी अग्रवाल का कोटा के निजी अस्पताल में निधन हो गया । वहाँ उपस्थित संस्था के ज्योति-मित्र व कैथून व्यापार मंडल के अध्यक्ष सुनील जैन,महासचिव गोबिंद माहेश्वरी ने तुरंत ही प्रेमा के बेटे पंकज अग्रवाल से माता जी के नैत्रदान घर पर करवाने की बात की, तुरंत ही परिवार के सभी लोगों से नेत्रदान के लिए सहमति मिल गई । 


गोविंद की सूचना पर कोटा से शाइन इंडिया फाउंडेशन की टीम सुबह जल्दी ही कोटा से मतदान का कार्य पूरा कर,तुरंत ही कैथून में नैत्रदान लेने के लिये रवाना हो गयी । परिवार के सभी सदस्यों और महिलाओं के बीच ईबीएसआर-बीबीजे चेप्टर के कॉर्डिनेटर डॉ कुलवंत गौड़ ने नैत्रदान की प्रक्रिया पूरी की । ज्ञात हो कि,शाइन इंडिया के सहयोग से यह कैथून में छटा नैत्रदान है ।

हम ही यक़ीन्न मुर्दों को जि़न्दा करते हैं और जो कुछ लोग पहले कर चुके हैं (उनको) और उनकी (अच्छी या बुरी बाक़ी माँदा) निशानियों को लिखते जाते हैं और हमने हर चीज़ का एक सरीह व रौशन पेशवा में घेर दिया है

 तुम तो बस उसी शख़्स को डरा सकते हो जो नसीहत माने और बेदेखे भाले खु़दा का ख़ौफ़ रखे तो तुम उसको (गुनाहों की) माफी और एक बाइज़्ज़त (व आबरू) अज्र की खु़शख़बरी दे दो (11)
हम ही यक़ीन्न मुर्दों को जि़न्दा करते हैं और जो कुछ लोग पहले कर चुके हैं (उनको) और उनकी (अच्छी या बुरी बाक़ी माँदा) निशानियों को लिखते जाते हैं और हमने हर चीज़ का एक सरीह व रौशन पेशवा में घेर दिया है (12)
और (ऐ रसूल) तुम (इनसे) मिसाल के तौर पर एक गाँव (अता किया) वालों का कि़स्सा बयान करो जब वहाँ (हमारे) पैग़म्बर आए (13)
इस तरह कि जब हमने उनके पास दो (पैग़म्बर योहना और यूनुस) भेजे तो उन लोगों ने दोनों को झुठलाया जब हमने एक तीसरे (पैग़म्बर शमऊन) से (उन दोनों को) मद्द दी तो इन तीनों ने कहा कि हम तुम्हारे पास खु़दा के भेजे हुए (आए) हैं (14)
वह लोग कहने लगे कि तुम लोग भी तो बस हमारे ही जैसे आदमी हो और खु़दा ने कुछ नाजि़ल (वाजि़ल) नहीं किया है तुम सब के सब बस बिल्कुल झूठे हो (15)
तब उन पैग़म्बरों ने कहा हमारा परवरदिगार जानता है कि हम यक़ीन्न उसी के भेजे हुए (आए) हैं और (तुम मानो या न मानो) (16)
हम पर तो बस खुल्लम खुल्ला एहकामे खु़दा का पहुँचा देना फज्र है (17)
वह बोले हमने तुम लोगों को बहुत नहस क़दम पाया कि (तुम्हारे आते ही क़हत में मुबतेला हुए) तो अगर तुम (अपनी बातों से) बाज़ न आओगे तो हम लोग तुम्हें ज़रूर संगसार कर देगें और तुमको यक़ीनी हमारा दर्दनाक अज़ाब पहुँचेगा (18)
पैग़म्बरों ने कहा कि तुम्हारी बद शुगूनी (तुम्हारी करनी से) तुम्हारे साथ है क्या जब नसीहत की जाती है (तो तुम उसे बदफ़ाली कहते हो नहीं) बल्कि तुम खु़द (अपनी) हद से बढ़ गए हो (19)
और (इतने में) शहर के उस सिरे से एक शख़्स (हबीब नज्जार) दौड़ता हुआ आया और कहने लगा कि ऐ मेरी क़ौम (इन) पैग़म्बरों का कहना मानो (20)

25 अप्रैल 2024

एडवोकेट कॉफी विद एडिटर, दैनिक भास्कर कोटा की चर्चा के दौरान

 एडवोकेट कॉफी विद एडिटर, दैनिक भास्कर कोटा की चर्चा के दौरान , कोटा की उपेक्षा कर बीकानेर में हाईकोर्ट वर्चुअल बेंच मामले में केंद्रीय विधि मंत्री की घोषणा पर कोटा के चर्चा में उपस्थित अधिकतम वकीलों ने नाराज़गी जताई, ओर कोटा की मज़बूत दावेदारी बताते हुए, कोटा राजनीतिक तोर पर सर्वोच्च मजबूत होने पर भी यह उपेक्षा आश्चर्यजनक मानी गयी, कोटा के वकीलों ने हाईकोर्ट सर्किट बेंच, वर्चुअल हाईकोर्ट बेंच , सभी अदालतें , वकीलों की सुनवाई सम्बंधित कार्यालय , न्यायालय एक ही छत के नीचे एयरपोर्ट की भूमि पर स्वीकृत मास्टर प्लान भूमि पर मिनी सचिवालय की मांग भी उठाई गई, वकीलों ने एम ए सिटी कोर्ट दूसरी , तीसरी मंजिल पर होने, दूर दराज किराए के भवनों में अस्त व्यस्त भवनों में कोर्ट लगने से पक्षकारों, वकीलों की दिक़्क़तों को भी सांझा गया, जबकि कानूनी सतर्कता बचाव के लियें आम सूचना की आवश्यकता, प्रकाशन नियम और रियायती व्यवस्था पर भी चर्चा हुई, चर्चा में जगदीश नन्दवाना, नवीन शर्मा , श्रीमती कल्पना शर्मा, महेश शर्मा, लीलाधर अग्रवाल, कुशाल गुप्ता, अख्तर खान अकेला, मनु शर्मा, मुकेश गुप्ता, दिनेश रावल, नरेश शर्मा, सहित कई अधिवक्ता, सर्वेश शर्मा एडिटर सहित, प्रबंधक साथी मौजूद रहे, अख़्तर

(ऐ रसूल) तुम बिलाशक यक़ीनी पैग़म्बरों में से हो

 सूरए (यासीन)
सूरए यासीन “व इज़ा कील लहुम” आयत के सिवा पूरा सूरा मक्के में नाजि़ल हुआ और इसकी तेरासी (83) आयतें हैं
खु़दा के नाम से (शुरू करता) हूँ जो बड़ा मेहरबान निहायत रहम वाला है
यासीन (1)
इस पुरअज़ हिकमत कु़रान की क़सम (2)
(ऐ रसूल) तुम बिलाशक यक़ीनी पैग़म्बरों में से हो (3)
(और दीन के बिल्कुल) सीधे रास्ते पर (साबित क़दम) हो (4)
जो बड़े मेहरबान (और) ग़ालिब (खु़दा) का नाजि़ल किया हुआ (है) (5)
ताकि तुम उन लोगों को (अज़ाबे खु़दा से) डराओ जिनके बाप दादा (तुमसे पहले किसी पैग़म्बर से) डराए नहीं गए (6)
तो वह दीन से बिल्कुल बेख़बर हैं उन में अक्सर तो (अज़ाब की) बातें यक़ीनन बिल्कुल ठीक पूरी उतरे ये लोग तो ईमान लाएँगे नहीं (7)
हमने उनकी गर्दनों में (भारी-भारी लोहे के) तौक़ डाल दिए हैं और ठुड्डियों तक पहुँचे हुए हैं कि वह गर्दनें उठाए हुए हैं (सर झुका नहीं सकते) (8)
हमने एक दीवार उनके आगे बना दी है और एक दीवार उनके पीछे फिर ऊपर से उनको ढाँक दिया है तो वह कुछ देख नहीं सकते (9)
और (ऐ रसूल) उनके लिए बराबर है ख़्वाह तुम उन्हें डराओ या न डराओ ये (कभी) ईमान लाने वाले नहीं हैं (10)

24 अप्रैल 2024

संभाग स्तरीय संदर्भ व्यक्ति नेत्रदान जागरूकता कार्यशाला सम्पन्न

  संभाग स्तरीय संदर्भ व्यक्ति नेत्रदान जागरूकता कार्यशाला सम्पन्न

शाइन इंडिया फाउंडेशन द्वारा हाड़ौती संभाग में नेत्रदान जागरुकता का कार्यक्रम पिछले 13 वर्षों से अनवरत जारी है, इसी क्रम में बीते दिनों सोमवार को नगर निगम,कोटा के सभागार में शाइन इंडिया फाउंडेशन के संस्थापक ईबीएसआर बीबीजे चैप्टर कॉर्डिनेटर डॉ कुलवंत गौड़ ने 300 से अधिक आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं के साथ में नेत्रदान के विषय पर जरूरी जानकारी साझा की ।


हाड़ौती संभाग से आयी आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं ने पहली बार यह जाना की, मृत्यु के बाद भी 6 से 8 घंटे तक नेत्रदान संभव हो जाता है, और नेत्रदान की प्रक्रिया में सिर्फ कॉर्निया ही लिया जाता है, पूरी आंख नहीं ली जाती है,उन्हें यह भी भ्रांति थी की,मृत्यु के बाद आंखें उसी समय ख़राब हो जाती है, फिर उनका किसी तरह का उपयोग संभव नहीं है ।


डॉ गौड़ ने बताया कि, मृत्यु के बाद मृत शरीर से आँख के ठीक सामने का पारदर्शी हिस्सा कॉर्निया लिया जाता है,जिसमें ना किसी तरह का रक्त आता है,और ना ही चेहरे में कोई विकृति आती है । नेत्रदान की प्रक्रिया 10 मिनट में संपन्न हो जाती है, हर वह व्यक्ति जो की चश्मा लगाता हो,जिसका मोतियाबिंद का ऑपरेशन हो गया हो,जिसकी ब्लड प्रेशर डायबिटीज या थायराइड की दवाई चल रही हो ऐसे व्यक्ति का भी मृत्यु के बाद नेत्रदान संभव है ।


भ्रांतियों का निवारण करते हुए डॉ गौड़ ने बताया कि,भारत में कई ऐसे लोग हैं,जिनका जीवन अंगों के अभाव के कारण मृत्यु के करीब आ चुका है,परंतु सामाजिक रीति रिवाज और भ्रांतियां के कारण ब्रेनडेड हो चुके मरीज के अंग किसी जरूरतमंद को नहीं दिए जा पा रहे हैं ।


आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं का हौसला बढ़ाते हुए डॉ गौड़ ने कहा कि, आप सभी चिकित्सा विभाग की महत्वपूर्ण धुरी है, आपको आपके क्षेत्र के एक-एक घर की स्वास्थ्य संबंधित सारी जानकारी प्राप्त रहती है,इसी तरह आपके क्षेत्र में होने वाली किसी भी तरह की मृत्यु की जानकारी भी आपको तुरंत प्राप्त होती है । आपके क्षेत्र के लोगों में आपके प्रति काफी विश्वास रहता है,यदि आप स्वयं आगे आकर शोकाकुल परिवार के सदस्यों को नेत्रदान के लिए प्रेरित करेगी,तो इस बात के शत प्रतिशत संभावना रहेंगी की,नेत्रदान का कार्य संभव हो ।


आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं ने यह आश्वासन दिया है कि,जल्द ही वह अपने क्षेत्र में नेत्रदान जागरूकता की कार्यशालाएं और शिविरों का आयोजन करने के लिए संस्था शाइन इंडिया फाउंडेशन को संपर्क करेंगी । नेत्रदान की कार्यशाला से प्रेरित होकर काफी महिलाओं ने अपने नैत्रदान संकल्प पत्र भरने की और ज्योति-मित्र बनने की इच्छा जाहिर की । कार्यशाला के आयोजन के लिए नगर निगम में कार्यरत हेमलता गांधी जी का भी सहयोग रहा ।

Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...