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16 दिसंबर 2025

कांग्रेस हो या फिर भाजपा ,, इन दो सालों में तो कोटा वालों के लिए, इस पार्टी के दोनों लोग, बेमिसाली तोर पर बेशर्म और नाकारा साबित हुए है , वोह बात अलग है के सत्ता में कांग्रेस के रहते

 

कांग्रेस हो या फिर भाजपा ,, इन दो सालों में तो कोटा वालों के लिए, इस पार्टी के दोनों लोग, बेमिसाली तोर पर बेशर्म और नाकारा साबित हुए है , वोह बात अलग है के सत्ता में कांग्रेस के रहते , कांग्रेस खासकर , कांग्रेस के मंत्री रहे शान्तिकुमार धारीवाल कोटा वासियों के लिए एक विकास पुरोधा , विकास पुरुष और कोटा को खूबसूरत तोहफे देने वाले ऐतिहासिक मंत्री रहे हैं , अफ़सोस तो यह है के भाजपा के सत्ता में आने के दो साल के इस कार्यकाल में उनके द्वारा किये गए विकास कार्यों को मटियामेट कर दिया है , भाजपाइयों ने पहले आलोचनाएं की , फिर उन्ही विकास कार्यों , सोंदर्यकरण कार्यों , पर्यटन आकर्षक कार्यों में खुद ने , खुद के परिजनों ने , अपने खुद के निजी समारोह तक में मनोरंजन किया , जिन कार्यों की भाजपा के नेता बेशर्मी से आलोचना करते थे , उन्ही कार्यों की सत्ता में आने के बाद इन्ही के मंत्रियों , इन्ही के नेताओं , यहां तक के राज्यपाल महोदय द्वारा भी खुलकर प्रशंसा की गई , लेकिन मुझे शर्म आती है के में विपक्ष में बैठी कॉग्रेस का प्रतिनिधि हूँ , मुझे शर्म आती है के में , कोटा सांसद देश भर के लोकसभा की अध्यक्षता कर रहे भाजपा के नेता जी के शहर का हूँ , मुझे इससे भी ज़्यादा शर्म जब आती है ,जब में देखता हूँ के मेरे ही शहर के ऊर्जा मंत्री , शिक्षा मंत्री और भाजपा , कांग्रेस के विधायक है , प्रहलाद गुंजल जैसे दिग्गज , मुखर वक्ता , जांबाज़ लड़ाके कांग्रेस में मौजूद हैं ,और कोटा के विकास के मामले में शून्य से ज़रा भी बढ़ोतरी नहीं हुई है ,, फिर भी झूंठ गुमराही दो साल बेमिसाल की नंगी कहानी चल रही हैं ,, जहाँ कांग्रेस ने छोड़ा था , उसे बढ़ाना तो दूर बस बर्बाद ही किया जा रहा है , टूटफूट की मरम्मत भी नहीं हो रही है , रिवर फ्रंट सहित सभी पर्यटक स्थल घाटे में है, पूर्व घोषित चंबल क्रूज लापता है, ,उससे भी ज़्यादा शर्मिंदगी तब होती है जब , भाजपा के बेशर्म लोग , बढ़ी बेशर्मी से ,कोटा में भाजपा सरकार के दो साल बेमिसाल के नारे के साथ क़िस्से सुनाते है , अख़बारों में प्रेस कॉन्फ्रेंस के साथ खबरें छपवाते है , झूंठ और बकवास का विवरण देते है , और इससे भी ज़्यादा शर्मसार होकर खून जब खोलता है ,तब , कांग्रेस के लीडर , कांग्रेस के ज़िम्मेदार इन दो सालों के ठप्प विकास , एक इंच भी बढ़ोतरी नहीं होने की दुखद , शर्मनाक स्थिति के बाद भी , अंडर दी टेबल समझौतों में मुब्तिला हो जाते है , तू मेरी मत कह , में तेरी नहीं कहूँ , के समझौते में लग जाते हैं , ना कोई विरोध , ना कोई बयानबाज़ी , ना कोई ज्ञापन बाज़ी , ना ही कोई आम जनता को भाजपा का विकास को रोकने का चेहरा , वायदों के साथ बेवफाई करने का चेहरा , संस्थाओं पर क़ब्ज़ा करने का मतलबी लोगों का चेहरा दिखाने की कोई काम कांग्रेस करती है , बस चुप खामोशी , गुटबाज़ी , यहां तक के कांग्रेस संगठन तक को सही तरह से संचालित नहीं कर पाती , अपनी पोते की शादी की व्यस्तता के बावजूद भी पूर्व मंत्री शान्तिकुमार धारीवाल ने तो भाजपा के दो साल के नाकारापन पर एक प्रेसनोट कहो , सोशल मिडिया नॉट कहो , उसे देकर अपनी ज़िम्मेदारी तो कम से कम निभा ली है , लेकिन कोटा के प्रति , प्रदेश कांग्रेस , प्रदेश कांग्रेस के प्रभारी , उनकी कार्ययोजना , यहां के विधायक , हारे हुए प्रत्याक्षी , कांग्रेस के वर्तमान और निवर्तमान अध्यक्ष , पदाधिकारी आखिर कर क्या रहे हैं , बस यही खोजखबर में हर कांग्रेस का कार्यर्कता तलाशी में जुटा है , भाजपा के सांसद लोकसभा के अध्यक्ष ने कोटा के एयरपोर्ट का वायदा पंद्रह वर्षों पहले किया , कांग्रेस ने कांग्रेस की सरकार के कार्यकाल में ही एयरपोर्ट की राजस्थान सरकार से संबंधित सभी बाधाएं दूर कर दीं , ज़मीन आवंटित कर दी , लेकिन केंद्र में भाजपा सरकार होते हुए भी , केंद्र में कोटा सांसद के पावरफुल होते भी ,, केंद्र की कोई ऍन ओ सी समय पर नहीं मिली , मदद नहीं मिली , ,फिर मुख्यमंत्री पद पर रहते हुए , अशोक जी गहलोत ने लताड़ पिलाते हुए , चेलेंज दिया के आप से अगर एयरपोर्ट कोटा में नहीं बन रहा है ,तो राजस्थान सरकार के हवाले कर दीजिये हम , इस एयरपोर्ट को बनवा लेंगे , कोटा में ही इस घोषणा के बाद , भाजपा के नेता अगलबगल हो गए , लेकिन कांग्रेस सरकार राजस्थान कांग्रेस गुटबाज़ी की वजह से जीती हुई बाज़ी हार गई , भाजपा में मेडम जी को दरकिनार कर उन्ही को पर्ची थमा कर , पर्ची सरकार बना दी गई , अब कोटा में लोकसभा अध्यक्ष , विधायक , शिक्षा मंत्री , ऊर्जा मंत्री जो चाहते वोह करवाने की स्थिति में थे , लेकिन कोटा को इन दो सालों में भाजपा को और कांग्रेस के आस्तीन के सांप जो भाजपा में गए उन्हें बाबा जी का ठुल्लु ही मिला , खेर यह उनका आंतरिक मामला है , लेकिन कोटा नगरनिगम के महापौर भाजपा में गए , प्रतिपक्ष नेता और भाजपा के महापौर एक ही पार्टी के गैर क़ानूनी तरीके से दो साल तक बने रहे ,भाजपा तो बेशर्म थी , लेकिन कांग्रेस ने भी बेशर्मी में कोई कमी नहीं छोड़ी कोई खुलकर विरोध नहीं किया , एक विरोध अगर कांग्रेस पार्षदों के क्षेत्र में विकास कार्यों की कटौती करने के पक्षपात के खिलाफ हुआ भी , तो दादागिरी से जयपुर से कोटा पहुंचे नेताओं ने जबरिया ना जाने क्यों उन पार्षदों का साथ देने के जगह उलटे , अनशन तुड़वा दिया आंदोलन खत्म करवा दिया , कोटा में एयरपोर्ट की चर्चा है , महाराज की ऐतिहासिक छतरी तोड़ कर राजपूतों का अपमान किया लेकिन , एयरपोर्ट का शिलान्यास आज दो वर्ष गुज़रने पर भी नहीं हो सका , कांग्रेस के विपक्ष की भूमिका की बेशर्मी देखिये ,, कोटा एरोड्रम की पुरानी ज़मीन बेचकर नए एयरपोर्ट बनाने का भाजपा सरकार का प्रस्ताव हुआ , यह वही जगह है जहाँ कांग्रेस कार्यकाल में , मिनी सचिवालय जहाँ अदालत वगेरा सभी आवश्यक कार्यालय एक ही छत के नीचे बनाने का मास्टर प्लान बन चुका था , विधि मंत्री ने यहां मिनी सचिवालय की घोषणा कर दी थी , लेकिन कांग्रेस शासन जाने के बाद यहां तो लूट मच गई , लेकिन इस पर भी कांग्रेस ने कोई आंदोलन नहीं किया चिढ़ी चुप रही , फिर स्कूलों की ,अव्यवस्थाएं मनमानी , के ई डी एल की लूट ,, पूर्व मंत्री भरत सिंह की पत्नी पर भ्रष्टाचार का मुकदमा, नगरपालिका चेरयमैन , सरपंच , प्रधानों को बेवजह हटाने की बेहूदगी हुई , लेकिन कांग्रेस चुप चिढ़ी चुप ,, कोटा में के डी ऐ कांग्रेस शासन में बन चुका था , फिर भी अभी तक यहां विधि नियम नहीं बनाये गए , अधिकारीयों , कर्मचारियों की प्रॉपर नियुक्ति नहीं है , मुकदंरा के नाम पर कुछ नहीं हुआ , कोटा में विकास की एक ईंट , एक पत्थर तक नहीं रखा गया , बस घोषणाएं , घोषणाएं होती रहीं , कोटा अदालत के विस्तार के लिए दो वर्षों में किसान भवन के पास , भवन का शिलान्यास होना दूर प्रॉपर ऍन ओ सी भी नहीं आई , जिस कोटा के लिए हाईकोर्ट बेंच की स्थापना का लिखित वायदा भाजपाइयों , भाजपा के वर्तमान सिरमौर नेताओं ने किया था , उन्होंने कोटा में हाईकोर्ट की बेंच स्थापित करने , कोटा के वकीलों की कॉलोनी में सम्पूर्ण सुविधाएँ देकर उसे रहने लायक बनाने की दिशा में एक क़दम भी नहीं बढ़ाया , स्थिति यह रही के कोटा में एक ही अधिकारी को , दो दो , तीन तीन , चार चार , कई को दस दस पदों के कार्यभार दिए गए , अधिकारी रहे नहीं , वार्डों के पुनर्सीमांकन में मनमानी हुई , लेकिन कांग्रेस तो कांग्रेस है चिढ़ी चुप , कोटा में रेडक्रॉस सोसायटी , नागरिक सहकारी बैंक ,, भारतेन्दु समिति , सहित कई दर्जन को ऑपरेटिव सोसायटी के चुनाव के बारे में कोई विचार ही नहीं हुआ ,,हालत यह हुए के नागरिक सहकारी बैंक जैसी संस्था में तो कोंग्रेसियों को बिना चुनाव लड़े भाजपा के लोगों ने पद दे दिए , कोटा में सहकारिता के चुनाव हों , रेडक्रॉस सोसायटी कोटा के चुनाव हों , सभी पर बिना चुनाव के क़ब्ज़ा है , लेकिन कोंग्रेसी चुप , चिढ़ी चुप , प्रह्लाद गुंजल से उम्मीद थी के वोह सहकारिता के लड़ाके रहे हैं , वर्षों से बिना चुनाव के जमे बैठे सहकारिता के मठाधीशों के खिलाफ आंदोलन करेंगे आवाज़ उठाएँग , रेडक्रॉस संस्था के चुनाव के लिए लड़ेंगे , लेकिन सब टांय टांय फिस्स ,, कोटा में एक वक़्त ज़रूर आया था जब कुलदीप श्रीवास्तव के बाद , आबिद कागज़ी और कुंदन यादव सहित कुछ लोगों ने सहकारिता में मुक़ाबला करने की कोशिश की थी लेकिन कुंदन यादव और आबिद कागज़ी के बीच में ही विवाद पैदा कर दिया गया और यह मुहीम बीच में ही रुक गई ,, , कांग्रेस के दो साल तो देखिए , कांग्रेस के भवन की तो जो हालत है , सभी ने देखी है , लेकिन कांग्रेस न्यास कोटा के नरेश विजय वर्गीय , की मृत्यु हो जाने , पंकज मेहता और गोविन्द शर्मा के भाजपा में शामिल हो जाने के बाद जो पद रिक्त पढ़े है , उन पदों तक पर कोई नई नियुक्ति नहीं हुई , एक कोंग्रेस ट्रस्ट बिना ट्रस्ट के ही अव्यवस्थित होकर चल रहा है , , तो जनाब कोटा में भाजपा सरकार ने तो दो वर्षों में शिक्षा , चिकित्सा , प्रशासनिक सुधार , सहकारिता आंदोलन सहित किसी भी क्षेत्र में एक इंच तो क्या , एक मिलीमीटर भी काम नहीं किया है , और विरोध में बैठी कांग्रेस ने , इस मामले में अपनी आँखें , अपना मुंह बन रखा है , तो ऐसे में कोटा में भाजपा सरकार का अराजक माहौल , कोई काम नहीं , का मामला बेमिसाल रहा है , तो कांग्रेस का भी इन सब के बावजूद चुप्पी को लेकर , खामोशी को लेकर मामला ऐतिहासिक बेमिसाल रहा है , लेकिन कोटा , कोटा की सहकारिता संस्थाएं , रेडक्रॉस सोसायटी , भारतेन्दु साहित्यिक संस्था सहित सभी संस्थाएं सिसक रही हैं , बैंक सिसक रहे हैं , कोई चुनाव नहीं , और वार्डों के सीमांकन में कांग्रेस की चुप्पी के बाद फिसड्डी जैसा माहौल है , एयरपोर्ट के शिलान्यास के मामले में कोंग्रेस की चुप्पी , मिनी सचिवालय की जगह की बिक्री योजना मामले में कांग्रेस की चुप्पी बेमिसाल है , चलो खेर फिर भी कांग्रेस ज़िंदाबाद है , भाजपा भी है तो भाजपाइयों के लिए ज़िंदाबाद है , बस नुकसान है तो कोटा के विकास का ही है , खेर ,, मुझे क्या में तो शर्मिंदा हूँ , अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान 9829086339
akhtar khan akela

और मूसा की माँ ने (दरिया में डालते वक़्त) उनकी बहन (कुलसूम) से कहा कि तुम इसके पीछे पीछे (अलग) चली जाओ तो वह मूसा को दूर से देखती रही और उन लोगो को उसकी ख़बर भी न हुयी

 और मूसा की माँ ने (दरिया में डालते वक़्त) उनकी बहन (कुलसूम) से कहा कि तुम इसके पीछे पीछे (अलग) चली जाओ तो वह मूसा को दूर से देखती रही और उन लोगो को उसकी ख़बर भी न हुयी (11)
और हमने मूसा पर पहले ही से और दाईयों (के दूध) को हराम कर दिया था (कि किसी की छाती से मुँह न लगाया) तब मूसा की बहन बोली भला मै तुम्हें एक घराने का पता बताऊ कि वह तुम्हारी ख़ातिर इस बच्चे की परवरिश कर देंगे और वह यक़ीनन इसके खैरख़्वाह होगे (12)
ग़रज़ (इस तरकीब से) हमने मूसा को उसकी माँ तक फिर पहुँचा दिया ताकि उसकी आँख ठन्डी हो जाए और रंज न करे और ताकि समझ ले ख़ुदा का वायदा बिल्कुल ठीक है मगर उनमें के अक्सर नहीं जानते हैं (13)
और जब मूसा अपनी जवानी को पहुँचे और (हाथ पाँव निकाल के) दुरुस्त हो गए तो हमने उनको हिकमत और इल्म अता किया और नेकी करने वालों को हम यूँ जज़ाए खै़र देते हैं (14)
और एक दिन इत्तिफाक़न मूसा शहर में ऐसे वक़्त आए कि वहाँ के लोग (नींद की) ग़फलत में पडे़ हुए थे तो देखा कि वहाँ दो आदमी आपस में लड़े मरते हैं ये (एक) तो उनकी क़ौम (बनी इसराइल) में का है और वह (दूसरा) उनके दुशमन की क़ौम (कि़ब्ती) का है तो जो शख़्स उनकी क़ौम का था उसने उस शख़्स से जो उनके दुशमनों में था (ग़लबा हासिल करने के लिए) मूसा से मदद माँगी ये सुनते ही मूसा ने उसे एक घूसा मारा था कि उसका काम तमाम हो गया फिर (ख़्याल करके) कहने लगे ये शैतान का काम था इसमें शक नहीं कि वह दुशमन और खुल्लम खुल्ला गुमराह करने वाला है (15)
(फिर बारगाहे ख़ुदा में) अर्ज़ की परवरदिगार बेशक मैने अपने ऊपर आप ज़़ुल्म किया (कि इस शहर में आया) तो तू मुझे (दुशमनो से) पोशीदा रख-ग़रज़ ख़ुदा ने उन्हें पोशीदा रखा (इसमें तो शक नहीं कि वह बड़ा पोशीदा रखने वाला मेहरबान है) (16)
मूसा ने अर्ज़ की परवरदिगार चूँकि तूने मुझ पर एहसान किया है मै भी आइन्दा गुनाहगारों का हरगिज़ मदद गार न बनूगाँ (17)
ग़रज़ (रात तो जो त्यों गुज़री) सुबह को उम्मीदो बीम की हालत में मूसा शहर में गए तो क्या देखते हैं कि वही शख़्स जिसने कल उनसे मदद माँगी थी उनसे (फिर) फरियाद कर रहा है-मूसा ने उससे कहा बेशक तू यक़ीनी खुल्लम खुल्ला गुमराह है (18)
ग़रज़ जब मूसा ने चाहा कि उस शख़्स पर जो दोनों का दुश्मन था (छुड़ाने के लिए) हाथ बढ़ाएँ तो कि़ब्ती कहने लगा कि ऐ मूसा जिस तरह तुमने कल एक आदमी को मार डाला (उसी तरह) मुझे भी मार डालना चाहते हो तो तुम बस ये चाहते हो कि रुए ज़मीन में सरकश बन कर रहो और मसलह (क़ौम) बनकर रहना नहीं चाहते (19)

15 दिसंबर 2025

शाइन इंडिया की टीम ने,12 घंटे में दो बार बारां पहुंच कर लिए दो नेत्रदान

  शाइन इंडिया की टीम ने,12 घंटे में दो बार बारां पहुंच कर लिए दो नेत्रदान
2. 320 किलोमीटर के सफर से चार को मिलेगी रोशनी

बारां शहर में नेत्रदान के प्रति बढ़ती जागरूकता के कारण, कल रविवार को, कोटा से शाइन इंडिया फाउंडेशन की टीम ने बारां शहर में दो दिवंगतों के नेत्रदान का कार्य संपन्न किया ।

इसके लिए टीम के सदस्यों को,कोटा से 80 किलोमीटर 12 जाकर वापस आना और फिर दोबारा दूसरे केस के लिए 80 किलोमीटर जाना हुआ, कुल 320 किलोमीटर के सफर से चार दृष्टिहीनों को रोशनी मिल सकेगी ।

प्रथम नेत्रदान, पंजाबी कॉलोनी,निवासी शहर के प्रमुख प्रबुद्ध नागरिक और पूर्व फौजी श्री किशन लाल अदलखा के देवलोक गमन की सूचना सुबह ,संस्था के ज्योति मित्र,महेश अदलखा से मिली और पुत्र इंद्रजीत,पुत्रवधू मनीषा,सहित परिजनों की सहमति से नेत्रदान का कार्य संपन्न हुआ ।

किशन लाल जी का जीवन अनुशासन और देशभक्ति का पर्याय रहा है। उन्होंने वर्ष 1965 और 1971 के भारत-पाक युद्ध में भारतीय सेना के सिपाही के रूप में अदम्य साहस का परिचय दिया था। सेना से निवृत्त होने के बाद भी वे समाज सेवा में सक्रिय रहे। वे पंजाबी समाज के संरक्षक और बारां ट्रक यूनियन के संस्थापक सदस्य भी थे।

शाम को शहर में दूसरा नेत्रदान संपन्न हुआ। स्थानीय अनंत विहार कॉलोनी, कोटा रोड निवासी मोहिनी देवी (धर्मपत्नी दानमल जी गालव, मियाडा वाले) का निधन होने पर पुत्र अभिषेक मालव,कृष्ण कुमार ने स्व प्रेरणा से प्रेरित होकर अपने मित्र कमल अरोड़ा और कुलदीप सिंह को माता जी के नेत्रदान की इच्छा जताई ।

चिकित्सक टीम का समर्पण

नेत्रदान की प्रक्रिया को संपन्न कराने में शाइन इंडिया फाउंडेशन की टीम का विशेष योगदान रहा। उनकी सेवा भावना का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि, सूचना मिलते ही कोटा से एक ही दिन में दूसरी बार बारां आए और दोनों नेत्रदानों को सफलता पूर्वक संपन्न कराया।

(जिसमें) हम तुम्हारें सामने मूसा और फ़िरऔन का वाकि़या इमानदार लोगों के नफ़े के वास्ते ठीक ठीक बयान करते हैं

 सूरए अल क़सस मक्के में नाजि़ल हुआ और इसकी 88 आयतें हैं
ख़़ुदा के नाम से (शुरु करता हूँ) जो बड़ा मेहरबान रहम वाला है
ता सीन मीम (1)
(ऐ रसूल) ये वाज़ेए व रौशन किताब की आयतें हैं (2)
(जिसमें) हम तुम्हारें सामने मूसा और फ़िरऔन का वाकि़या इमानदार लोगों के नफ़े के वास्ते ठीक ठीक बयान करते हैं (3)
बेशक फ़िरऔन ने (मिस्र की) सरज़मीन में बहुत सर उठाया था और उसने वहाँ के रहने वालों को कई गिरोह कर दिया था उनमें से एक गिरोह (बनी इसराइल) को आजिज़ कर रखा थ कि उनके बेटों को ज़बाह करवा देता था और उनकी औरतों (बेटियों) को जि़न्दा छोड़ देता था बेशक वह भी मुफ़सिदों में था (4)
और हम तो ये चाहते हैं कि जो लोग रुए ज़मीन में कमज़ोर कर दिए गए हैं उनपर एहसान करे और उन्हींको (लोगों का) पेशवा बनाएँ और उन्हीं को इस (सरज़मीन) का मालिक बनाएँ (5)
और उन्हीं को रुए ज़मीन पर पूरी क़़ुदरत अता करे और फ़िरऔन और हामान और उन दोनों के लश्करों को उन्हीं कमज़ोरों के हाथ से वह चीज़ें दिखायें जिससे ये लोग डरते थे (6)
और हमने मूसा की माँ के पास ये वही भेजी कि तुम उसको दूध पिला लो फिर जब उसकी निस्बत तुमको कोई ख़ौफ हो तो इसको (एक सन्दूक़ में रखकर) दरिया में डाल दो और (उस पर) तुम कुछ न डरना और न कुढ़ना (तुम इतमेनान रखो) हम उसको फिर तुम्हारे पास पहुँचा देगें और उसको (अपना) रसूल बनाएँगें (7)
(ग़रज़ मूसा की माँ ने दरिया में डाल दिया) वह सन्दूक़ बहते बहते फ़िरऔन के महल के पास आ लगा तो फ़िरऔन के लोगों ने उसे उठा लिया ताकि (एक दिन यही) उनका दुशमन और उनके राज़ का बायस बने इसमें शक नहीं कि फ़िरऔन और हामान उन दोनों के लशकर ग़लती पर थे (8)
और (जब मूसा महल में लाए गए तो) फ़िरऔन की बीबी (आसिया अपने शौहर से) बोली कि ये मेरी और तुम्हारी (दोनों की) आँखों की ठन्डक है तो तुम लोग इसको क़त्ल न करो क्या अजब है कि ये हमको नफ़ा पहुँचाए या हम उसे ले पालक ही बना लें और उन्हें (उसी के हाथ से बर्बाद होने की) ख़बर न थी (9)
इधर तो ये हो रहा था और (उधर) मूसा की माँ का दिल ऐसा बेचैन हो गया कि अगर हम उसके दिल को मज़बूत कर देते तो क़रीब था कि मूसा का हाल ज़ाहिर कर देती (और हमने इसीलिए ढारस दी) ताकि वह (हमारे वायदे का) यक़ीन रखे (10)

14 दिसंबर 2025

समापन समारोह 15 को सिमलिया में ** हाड़ोती के मिशन बाल मन तक ने बनाई राष्ट्रीय पहचान

 

समापन समारोह 15 को सिमलिया में
** हाड़ोती के मिशन बाल मन तक ने बनाई राष्ट्रीय पहचान
** 35 हजार बच्चें साहित्यिक गतिविधियों से जुड़े
** हाड़ोती में बच्चों में साहित्य के प्रति रुचि जागृत कर उन्हें कहानी कविता लेखन से जोड़ने के लिए विगत दो वर्षों से संचालित बाल साहित्य मेलों के मिशन बाल मन तक कार्यक्रम ने राष्ट्रीय पहचान बनाई है। बच्चों को कुछ समय मोबाइल से दूर रख कर उन्हें साहित्य से जोड़ने का यह कार्यक्रम विगत दो वर्षों से राजस्थान के सूचना एवं जन संपर्क विभाग के कोटा स्थित पूर्व संयुक्त निदेशक डॉ. प्रभात कुमार सिंघल की पहल पर संस्कृति, साहित्य, मीडिया फोरम द्वारा कुछ साहित्यकारों के सहयोग से संचालित किया जा रहा है। समापन समारोह बाल रंगोत्सव सोमवार को सिमलिया के बालिका उच्च माध्यमिक विद्यालय में आयोजित किया जाएगा।
** बाल साहित्य मेलों का आयोजन अपने आप में अनूठा नवाचार है। इसमें सरकारी एवं निजी विद्यालयों में कहानी - कविता लेखन, कविता पाठ, निबंध लेखन, चित्रकला,प्रश्नोत्तरी,विचित्र वेशभूषा, मेंहदी मांडना, रंगोली, नृत्य,हस्तशिल्प खिलौने निर्माण प्रतियोगिताएं, बाल गोष्ठियां और बाल मेलों के आयोजन आदि गतिविधियां आयोजित की गई हैं।
** बाल मेलों के आयोजन में साहित्यकार जितेंद्र निर्मोही , रामेश्वर शर्मा रामू भैया, स्नेहलता शर्मा, डॉ. वैदेही गौतम, डॉ.अपर्णा पाण्डेय, डॉ. शशि जैन डॉ. इंदु बाला शर्मा, डॉ. प्रीति मीणा, डॉ. हिमानी भाटिया, डॉ. सुशीला जोशी, रेखा पंचोली, संजू शृंगी, रीता गुप्ता, साधना शर्मा, रेणु सिंह राधे, विजय जोशी, योगेंद्र शर्मा, महेश पंचोली, विजय कुमार शर्मा, राम मोहन कौशिक, कालीचरण राजपूत, आर. के. शर्मा, झालावाड़ की रेखा रेखा सक्सेना, सुरेश कुमार निगम, झालावाड़, मोहन सेन का विशेष सहयोग प्राप्त हुआ है।
** साथ ही रंगीतिका संस्था कोटा, समरस संस्थान गांधीनगर जिला कोटा इकाई, आर्यन लेखिका मंच , अंतरराष्ट्रीय महिला काव्य मंच की कोटा इकाई एवं श्री करनी नगर विकास समिति, गोरधनपुरा , मदर टेरेसा स्कूल सहित कई सरकारी और निजी विद्यालयों और इनके पदाधिकारियों का सहयोग प्रमुख रूप से प्राप्त हुआ।
** साहित्य मंडल श्रीनाथद्वारा के सहयोग से आयोजित बाल कविता एवं कहानी लेखन राष्ट्रीय प्रतियोगिता में 10 राज्यों के 204 प्रतिभागियों ने भाग लेकर मिशन बाल मन तक कार्यक्रम को राष्ट्रीय पहचान प्रदान की है। इस कार्यक्रम में इस वर्ष में 41 शैक्षिक संस्थाओं में बाल साहित्य मेलों का आयोजन किया गया जिनसे 35 हजार से ज्यादा बच्चें जुड़े तथा 19 हजार से ज्यादा बच्चों ने प्रत्यक्ष रूप से कार्यक्रमों में अपनी भागीदारी की है । करीब 1500 बच्चें कहानी लेखन विधा से जुड़े । विविध आयोजनों में विजेता रहे 415 बच्चों ने प्रथम, द्वितीय और तृतीय स्थान प्राप्त कर विजेता रहें।
संयोजक

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