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28 दिसंबर 2025

*कथाकुंज साहित्य सेवा परिषद ने मेहताब आलम को राष्ट्रीय उपाध्यक्ष मनोनीत किया*

 

*कथाकुंज साहित्य सेवा परिषद ने मेहताब आलम को राष्ट्रीय उपाध्यक्ष मनोनीत किया*
राजस्थान के साहित्यिक एवं सामाजिक परिदृश्य में एक महत्वपूर्ण पहल के तहत कथाकुंज साहित्य सेवा परिषद ने मेहताब आलम को राष्ट्रीय उपाध्यक्ष नियुक्त किया है। यह नियुक्ति वर्ष 2026 से 2028 के कार्यकाल के लिए की गई है। मेहताब आलम जोधपुर जिले से संबंधित हैं और साहित्य, संस्कृति एवं सामाजिक सेवा के क्षेत्र में निरंतर सक्रिय रहे हैं।
कथाकुंज साहित्य सेवा परिषद एक ऐसा सशक्त मंच है, जो नवांकुर रचनाकारों को परिवार, समाज और संस्कृति से जोड़ते हुए उनमें सामाजिक व साहित्यिक दायित्वों की भावना विकसित करता है। परिषद द्वारा की गई यह नियुक्ति राजस्थान प्रदेश में साहित्यिक, सांस्कृतिक एवं सामाजिक गतिविधियों को और अधिक सुदृढ़ बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम मानी जा रही है।
मेहताब आलम इससे पूर्व भी विभिन्न महत्वपूर्ण दायित्वों का सफलतापूर्वक निर्वहन कर चुके हैं। वे समाज सेवा, सद्भावना, राष्ट्रीयता, सांस्कृतिक चेतना और साहित्यिक मूल्यों के सक्रिय संवाहक के रूप में जाने जाते हैं। अनेक साहित्यिक व सांस्कृतिक कार्यक्रमों के माध्यम से उन्होंने स्थानीय से लेकर राज्य स्तर तक राजस्थानी संस्कृति के प्रचार-प्रसार में उल्लेखनीय योगदान दिया है। परिषद को विश्वास है कि उनके नेतृत्व में साहित्य, महिला एवं बाल विकास, सामाजिक कार्यों तथा सांस्कृतिक गतिविधियों को नई दिशा और गति प्राप्त होगी।
इस अवसर पर परिषद के पदाधिकारियों एवं सदस्यों ने मेहताब आलम को उनके नए दायित्व के लिए हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं दीं। परिषद का मानना है कि उनकी नेतृत्व क्षमता, सक्रियता और संस्कृति के प्रति गहरी प्रतिबद्धता संगठन की गतिविधियों को प्रदेश में नई ऊंचाइयों तक पहुंचाएगी।
राष्ट्रीय उपाध्यक्ष मेहताब आलम का वक्तव्य
नियुक्ति पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए मेहताब आलम ने कहा—
“राष्ट्रीय उपाध्यक्ष के रूप में मनोनीत किया जाना मेरे लिए गौरव का विषय है। मैं इस दायित्व का निर्वहन पूरी ईमानदारी, निष्ठा और समर्पण के साथ करूंगा तथा साहित्य और संस्कृति को जन-जन तक पहुंचाने के लिए निरंतर प्रयासरत रहूंगा।”

(ऐ रसूल) अगर तुम उनसे पूछो कि (भला) किसने सारे आसमान व ज़मीन को पैदा किया और चाँद और सूरज को काम में लगाया तो वह ज़रुर यही कहेंगे कि अल्लाह ने फिर वह कहाँ बहके चले जाते हैं

 (ऐ रसूल) अगर तुम उनसे पूछो कि (भला) किसने सारे आसमान व ज़मीन को पैदा किया और चाँद और सूरज को काम में लगाया तो वह ज़रुर यही कहेंगे कि अल्लाह ने फिर वह कहाँ बहके चले जाते हैं (61)
ख़ुदा ही अपने बन्दों में से जिसकी रोज़ी चाहता है कुशादा कर देता है और जिसके लिए चाहता है तंग कर देता है इसमें शक नहीं कि ख़़ुदा ही हर चीज़ से वाकि़फ़ है (62)
और (ऐ रसूल) अगर तुम उससे पूछो कि किसने आसमान से पानी बरसाया फिर उसके ज़रिये से ज़मीन को इसके मरने (परती होने) के बाद जि़न्दा (आबाद) किया तो वह ज़रुर यही कहेंगे कि अल्लाह ने (ऐ रसूल) तुम कह दो अल्हम दो लिल्लाह-मगर उनमे से बहुतेरे (इतना भी) नहीं समझते (63)
और ये दुनिया की जि़न्दगी तो खेल तमाशे के सिवा कुछ नहीं और मगर ये लोग समझें बूझें तो इसमे षक नहीं कि अबदी जि़न्दगी (की जगह) तो बस आख़ेरत का घर है (बाक़ी लग़ो) (64)
फिर जब ये लोग कश्ती में सवार होते हैं तो निहायत ख़ुलूस से उसकी इबादत करने वाले बन कर ख़़ुदा से दुआ करते हैं फिर जब उन्हें खुश्कीमें (पहुँचा कर) नजात देता है तो फौरन शिर्क करने लगते हैं (65)
ताकि जो (नेअमतें) हमने उन्हें अता की हैं उनका इन्कार कर बैठें और ताकि (दुनिया में) ख़ूब चैन कर लें तो अनक़रीब ही (इसका नतीजा) उन्हें मालूम हो जाएगा (66)
क्या उन लोगों ने इस पर ग़ौर नहीं किया कि हमने हरम (मक्का) को अमन व इत्मेनान की जगह बनाया हालाँ कि उनके गिर्द व नवाह से लोग उचक ले जाते हैं तो क्या ये लोग झूठे माबूदों पर ईमान लाते हैं और ख़़ुदा की नेअमत की नाशुक्री करते हैं (67)
और जो शख़्स ख़़ुदा पर झूठ बोहतान बॅाधे या जब उसके पास कोई सच्ची बात आए तो झुठला दे इससे बढ़कर ज़ालिम कौन होगा क्या (इन) काफ़िरों का ठिकाना जहन्नुम में नहीं है (ज़रुर है) (68)
और जिन लोगों ने हमारी राह में जिहाद किया उन्हें हम ज़रुर अपनी राह की हिदायत करेंगे और इसमें शक नही कि ख़़ुदा नेकोकारों का साथी है (69)

सूरए अन अनक़बूत ख़त्म

27 दिसंबर 2025

समझौते के आधार पर SC/ST एक्ट का आपराधिक मामला रद्द किया जा सकता है, लेकिन पीड़ित को प्राप्त सरकारी मुआवजा लौटाना होगा: इलाहाबाद हाईकोर्ट

 

समझौते के आधार पर SC/ST एक्ट का आपराधिक मामला रद्द किया जा सकता है, लेकिन पीड़ित को प्राप्त सरकारी मुआवजा लौटाना होगा: इलाहाबाद हाईकोर्ट
न्यायालय: इलाहाबाद उच्च न्यायालय
केस संख्या: Criminal Appeal No. 9930 of 2024
केस का नाम: Rahul Gupta एवं अन्य बनाम State of U.P. एवं अन्य
निर्णय दिनांक: 04 नवम्बर 2025
पीठ: न्यायमूर्ति शेखर कुमार यादव
न्यायालय संख्या: 86
स्रोत: इलाहाबाद हाईकोर्ट (SC/ST Act)
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने यह महत्वपूर्ण स्पष्टता दी कि यदि SC/ST एक्ट से संबंधित आपराधिक मामला वास्तव में निजी विवाद का हो और अपराध पीड़ित की जाति के कारण न हुआ हो, तो सत्यापित समझौते के आधार पर कार्यवाही रद्द की जा सकती है।
हालाँकि, न्यायालय ने यह भी निर्देश दिया कि पीड़ित/सूचक को SC/ST अधिनियम के तहत प्राप्त सरकारी मुआवजा अनिवार्य रूप से लौटाना होगा।
⚖️ मामले की पृष्ठभूमि
आरोपियों ने चार्जशीट दिनांक 30.04.2024 एवं समन आदेश दिनांक 19.07.2024 को चुनौती देते हुए आपराधिक अपील दायर की थी। मामला केस क्राइम संख्या 0126/2024, थाना ब्रह्मपुरी, ज़िला मेरठ से संबंधित था, जिसमें धारा 147, 323, 500, 504, 506 IPC तथा धारा 3(2)(va) SC/ST Act के आरोप थे।
अपील के दौरान दोनों पक्षों ने यह बताया कि आपसी समझौता हो चुका है, जिसे विशेष न्यायाधीश, SC/ST Act, मेरठ द्वारा 04.12.2024 को विधिवत सत्यापित भी कर दिया गया।
⚖️ मुआवजे से संबंधित तथ्य
हाईकोर्ट के निर्देश पर जिलाधिकारी, मेरठ से रिपोर्ट तलब की गई, जिसमें यह सामने आया कि सूचक/पीड़ित ने SC/ST अधिनियम के अंतर्गत प्राप्त मुआवजा अभी तक वापस नहीं किया है।
⚖️ हाईकोर्ट का विश्लेषण
न्यायालय ने कहा कि—
रिकॉर्ड से स्पष्ट है कि मामला मुख्यतः निजी प्रकृति का विवाद है;
प्रथम दृष्टया यह नहीं पाया गया कि अपराध पीड़ित की जाति के कारण किया गया हो;
समझौता स्वेच्छा से, बिना किसी दबाव या प्रलोभन के किया गया है।
कोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के निर्णय Ramawatar बनाम State of M.P. (2022) 13 SCC 635 का हवाला देते हुए कहा कि:
> यदि SC/ST एक्ट के अंतर्गत दर्ज अपराध मूलतः निजी/नागरिक प्रकृति का हो और अधिनियम का उद्देश्य प्रभावित न होता हो, तो न्यायालय समझौते के आधार पर कार्यवाही रद्द कर सकता है।
साथ ही, Full Bench निर्णय – Ghulam Rasool Khan बनाम State of U.P. (2022) का उल्लेख करते हुए कहा गया कि SC/ST Act की धारा 14-A(1) के अंतर्गत आपराधिक अपील में ही समझौते के आधार पर मामला निस्तारित किया जा सकता है, अलग से धारा 482 CrPC की आवश्यकता नहीं।
⚖️ निर्णय
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने—
समस्त आपराधिक कार्यवाही एवं समन आदेश रद्द (Quash) किए;
आपराधिक अपील को समझौते की शर्तों पर स्वीकार किया;
सूचक/पीड़ित को निर्देश दिया कि वह प्राप्त सरकारी मुआवजा एक सप्ताह के भीतर संबंधित प्राधिकरण को लौटाए।
⚖️ कानूनी महत्व
यह निर्णय स्पष्ट करता है कि—
SC/ST एक्ट के मामले हर स्थिति में अ-समझौतावादी (non-compoundable) नहीं होते;
यदि अपराध जाति-आधारित न हो और निजी विवाद हो, तो समझौते पर मामला रद्द किया जा सकता है;
सरकारी मुआवजा समझौते के बाद अपने पास नहीं रखा जा सकता — उसे लौटाना अनिवार्य है।
निष्कर्ष:
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने संतुलित दृष्टिकोण अपनाते हुए कहा कि न्यायिक प्रक्रिया का दुरुपयोग नहीं होना चाहिए, लेकिन साथ ही SC/ST अधिनियम के तहत दी गई सरकारी सहायता का अनुचित लाभ भी नहीं लिया जा सकता।

कोटा मेडिकल कॉलेज , सुधा कॉलेज , निजी और सरकारी चिकित्सालयों सहित राजस्थान भर की चिकित्सा व्यवस्था सुधार को लेकर , कोटा जिला कलेक्टर , राजस्थान और राष्ट्रिय मेडिकल कौंसिल सहित मुख्य सचिव को नोटिस बिफोर जजमेंट जारी

 

कोटा मेडिकल कॉलेज , सुधा कॉलेज , निजी और सरकारी चिकित्सालयों सहित राजस्थान भर की चिकित्सा व्यवस्था सुधार को लेकर , कोटा जिला कलेक्टर , राजस्थान और राष्ट्रिय मेडिकल कौंसिल सहित मुख्य सचिव को नोटिस बिफोर जजमेंट जारी
के डी अब्बासी
कोटा 27 दिसम्बर दिसंबर ,, कोटा न्यू मेडिकल कॉलेज ,, सुधा प्राइवेट मेडिकल कॉलेज ,, कोटा के सरकारी अस्पताल ,निजी अस्पताल , डिस्पेंसरी , क्लिनिक्स , लैबोरेट्रीज , ब्लड शुगर जांच केंद्र , सोनो ग्राफ़ी , सिटी स्केन सेंटर , मेडिकल स्टोर , अस्पतालों में चल रहे मेडिकल स्टोर , ब्लड बैंक वगेरा वगेरा की कोटा सहित राजस्थान भर की मेडिकल सेवाओं , मेडिकल कॉलेज व्यवस्था , ,डॉक्टर्स का मरीज़ों के प्रति सदव्यवहार , अनावश्यक मेडिकल लूट खसोट को लेकर इसे बंद करने , गुणवत्तायुक्त बनाने , डॉक्टरों के व्यवहार में सुधार , पारदर्शी चिकित्सा व्यवस्था विधि नियमों की पालना , आकस्मिक जांच वगेरा को लेकर , ह्यूमन रिलीफ सोसायटी प्रतिनिधि , समाज सेवी नवीन अग्रवाल , मोहम्मद अली सय्यद , अतीक खान ने अपने वकील अख्तर खान अकेला के ज़रिये सभी ज़िम्मेदारों को नोटिस बिफोर जजमेंट दिलवाकर सभी आवश्यक चिकित्सा सेवायें सुधारने और लूट खसोट के खिलाफ कार्यवाही करने के लिए मांग की है ,,
ह्यूमन रिलीफ सोसायटी के नवीन अग्रवाल ,, मोहम्मद अली सय्यद , अतीक खान की तरफ से एडवोकेट अख्तर खान अकेला ने , केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव ,, केबिनेट सचिव भारत सरकार , मुख्य सचिव राजस्थान सरकार , रजिस्ट्रार मेडिकल कौंसिल ऑफ़ राजस्थान ,, मुख्य चिकित्सा सचिव राजस्थान सरकार , जिला कलेक्टर कोटा ,, प्रिंसिपल न्यू मेडिकल कॉलेज कोटा , चेयरमेन मेडिकल कौंसिल भारत सरकार , मुख्य चिकित्सा स्वास्थ्य अधिकारी कोटा ,, संयुक्त निदेशक चिकित्सा कोटा संभाग कोटा ,, प्रिंसिपल सुधा मेडिकल कॉलेज जगपुरा कोटा सहित कुल 11 संबंधित ज़िम्मेदारों को नोटिस बिफोर जजमेंट भेजकर कोटा सहित समूचे राजस्थान की चिकित्सा सेवायें सुधारने , आकस्मिक निरीक्षण करने ,, चिकित्सा व्यवस्थाओं में लूटखसोट ,, कमीशन खोरी , अनावश्यक बिलिंग वगेरा रोकने सहित , मेडिकल सेवाओं में आयुर्वेद , डेंटल , होम्योपैथी चिकित्सको से आमजनता को गुमराह करते हुए सेवायें लेने पर साठ दिन की समयावधि में कार्यवाही की मांग करते हुए , नोटिस बिफोर जजमेंट जारी किया है ,,,,, एडवोकेट अख्तर खान अकेला ने नोटिस में कहा है के नेशनल मेडिकल कौंसिल ,, मेडिकल कॉलेज की मान्यता निर्धारित शर्तों पर देती है , जिसके विधि नियम बने हुए है और समय समय पर आकस्मिक जांच भी करती है , लेकिन कोटा में ऐसा नहीं है , कई तरह की असुविधाएं है , दिक़्क़तें है , आम मरीज़ों को परेशानी है जांच उपकरण खराब है , संबंधित बिमारियों के इलाज के लिए विशेषज्ञ सेवायें नहीं है , प्रोफेसर विशेषज्ञ के पद रिक्त है , निर्धारित मापदंडों का उलंग्घन हो रहा है , जबकि सुधा प्राइवेट कॉलेज में तो अभी तक पर्याप्त सुविधाएँ , हैं ही नहीं , विशेषज्ञ चिकित्स्कों के दस्तावेज हो सकते है , लेकिन उनकी भौतिक नियमित उपस्थिति का रजिस्टर लेकर वोह इसी मेडिकल कॉलेज में उपस्थित रहते हैं , तृतीय पक्ष से जांच भी नहीं हुई है , मरीज़ों की फीडिंग के लिए अलग अलग मोहल्लों में टाउटिज़्म व्यवस्था के तहत काउंटर जैसी व्यस्थाएं है , पर्याप्त उपकरण , विशेषज्ञ सेवायें , भवन व्यवस्थाएं पूरी तरह से उपलब्ण्ध नहीं हो पाई है , इसके लिए अभी और काम होना बाक़ी है ,,जबकि निजी चिकित्सालयों को जिला कलेक्टर , मुख्य चिकित्सा अधिकारी , संयुक्त चिकित्सा निदेशक सहित संबंधित अधिकृत कमेटी के ज़िम्मेदारों ने आकस्मिक जांच कर कोई रिपोर्टें भी तय्यार नहीं की है , हालात यह है के , अनुमति के पूर्व किस चिकित्सालय के पास क्या क्या सुविधाएं है , इसकी लिस्ट और और लिस्ट के हिसाब से निरीक्षण रिपोर्टों का ब्यौरा भी पूरी तरह से उपलब्ध नहीं है , ,नोटिस में कहा गया है के राजस्थान मेडिकल कौंसिल में तो फ़र्ज़ी डिग्री के आधार पर डॉक्टर्स के पंजीयन हुए है , जिन्होंने काम भी किया है और पकड़े भी गए है , जबकि मेडिकल कौंसिल नियम के तहत एलोपेथी में होमयोपैथ , आयुर्वेद , डेंटल चिकित्सकों से , आम एलोपेथी मरीज़ों की बिमारियों के इलाज , मॉनिटरिंग व्यवस्था के लिए कार्य करवाने पर पाबंदी है फिर भी अनेकों एलोपेथी निजी चिकित्सालयों , डिस्पेंसरियों , सरकारी अस्पतालों में एलोपेथी के अलावा अन्य चिकित्स्कों को एलोपेथी मरीज़ों की देखरेख के लिए विधि विरुद्ध सस्ते मेहनताना के बदले रखे जाने का नियम बना लिया गया है , नोटिस बिफोर जजमेंट में कहा गया है के , कोटा सहित किसी भी ज़िले में संचालित निजी चिकित्सालय के लिए सर्वप्रथम क्लिनिकल ऐंड एस्टेब्लिशमेंट एक्ट , ड्रग्स एंड फार्मेसी एक्ट ऐंड रूल्स के तहत संचालित ब्लड बैंक , मेडिकल स्टोर , बायो मेडिकल वेस्ट नियम , पर्यावरण क़ानून , फायर ऍन ओ सी नियम , भवन निर्माण स्वीकृति , भवन में उपचार के लिए सभी तरह के कमरे , विशेषज्ञ सेवायें , उपकरण , मरीज़ों की संख्या के अनुरूप व्यवस्थाएं , प्रशिक्षित नर्सिंग स्टाफ , पार्किंग व्यवस्था ,, मरीज़ों , उनके तीमारदारों के लिए चिकित्सा परिचालन नियम के तहत डॉक्टर्स के व्यवहार की पालना , बिलिंग पारदर्शिता, केंटीन व्यवस्था , सभी आवश्यक उपकरणों की जांच , उनका सुचारू रूप से काम करने की रिपोर्ट , वगेरा देखकर , भौतिक सत्यापन करने के बाद ही उन्हें क्लिनिकल एस्टेब्लिशमेंट एक्ट के तहत जिला कलेक्टर की कमेटी स्वीकृति देती है , लेकिन कोटा कलेक्ट्रेट के समक्ष इस तरह की सूचि है भी , या नहीं , आकस्मिक जांच रिपोर्ट में किस अस्पताल में क्या क्या व्यवस्थाएं खराब मिलीं , मशीने , उपकरण , वगेरा क्या कम रहे , इसकी कोई रिपोर्ट , कोई सूचि , विधि नियमों के तहत संचालित अस्पताल , डिस्पेंसरी , क्लिनिक की सूचि और अवैध संचालित अस्पताल , क्लिनिक की सूचि तक परफेक्ट रूप से उपलब्ण्ध नहीं है , मुख्य चिकित्सा अधिकारी ,संयुक्त निदेशक इस मामले में सक्रिय भूमिका के लिए कर्तव्यबद्ध नहीं है ,, हालात यह है के चिकित्सालयों , निजी चिकित्सालयों में डॉक्टर्स का व्यवहार पारदर्शी नहीं है , चिकित्सा परिचालन नियमों के तहत नहीं है , मरीज़ो को टारगेट कमाई के रूप में इस्तेमाल करने की शिकायतें है , अनावश्यक जांचें , आई सी यूं और ऑपरेशन के समय दवाओं की लम्बी लिस्ट , खुद अस्पताल के मेडिकल स्टोर , उसमे अनावश्यक दवाओं के लिखने की शिकायतें , दवाओं का साल्ट जेनेरिक लिखने की पाबंदी के बाद भी कमीशन की दवाओं का बोलबाला , मरीज़ को अनावश्यक भर्ती करना , उसे अनावश्यक ज़्यादा समय तक भर्ती रखना और कई बार तो ऑपरेशन की आवश्यकता नहीं होने पर भी ऑपरेशन वगेरा का अतिरिक्त भार टार्गेट व्यवस्था के तहत करना , , मरीज़ों के तीमारदारों से रुई के पेड , दस्ताने , साफ़ सफाई करने वाला डिटोल वगेरा , इंजक्शन की सिरिंजें ,, ग्लूकोस , कैनुला सहित कई अनावश्यक डिमांड पर्ची देकर मंगाई जाती है, नतीजन मरीज़ पर अनावश्यक आर्थिक भार पढ़ता है , जबकि उक्त इलाज व्यवस्था , इलाज खर्च , विशेषज्ञ सेवायें , डॉक्टर्स की विज़िटर्स फीस , और सभी तरह की दवाओं वगेरा के मामले में , जांचों की आवश्यकता और क्या ऑपरेशन इन जांच रिपोर्ट्स के बाद आवश्यक थी या नही , इस मामले में कोई सरप्राइज़ रेंडम जांचें भी नहीं किये जाने से अव्यवस्थाएं , मनमानी है , अस्पतालों में कमरे छोटे है उपकरण सही नहीं है , पुराने है , टाइमबार्ड है , छोटे छोटे कमरे , छोटे छोटे ऑपरेशन थियेटर , विधिविरुद्ध संचालित ब्लड व्यवस्थाएं , जनरल वार्ड की निर्धारित मापदंडों के अनुरूप व्यवस्थाएं नहीं , निजी अस्पताल छोटे छोटे मल्टीस्टोरी घिच पिच भूत बंगलों की तरह है , कोई भी हादसा हो तो बचने के लिए व्यवस्थाएं नहीं है , छोटी सी ज़मीन पर मल्टी स्टोरी के नाम पर सभी सेवायें देने की ज़िद में छोटे छोटे कमरे , निर्धारित मापदंडों के विपरीत संचालन है , मरीज़ों और उनके तीमारदारों के लिए सुरक्षात्मक व्यवस्थाएं नहीं , केंटीन , कार पार्किंग व्यवस्थाओं में कोताही है , जबकि यह सब होने के बाद ही चिकित्सालय संचालन का लाईसेंस दिया जा सकता है , लेकिन जांच नहीं हो रही है , ,नोटिस में कहा गया है के कोटा सहित राजस्थान के सभी निजी और सरकारी अस्पतालों , मेडिकल कॉलेजेज़ , ,डिस्पेंसरी क्लिनिक , मेडिकल स्टोर, अस्पताल में अस्पताल द्वारा ही संचालित मेडिकल स्टोर नियम , निजी चिकित्सको द्वारा घरों पर ही मेडिकल स्टोर का संचालन , ब्लड बैंक संचालन , ,,जांच केंद्रों , लेबोरेट्री वगेरा में , विशेषज्ञ चिकित्स्कों की अनुपस्थिति , सिर्फ हस्ताक्षर , वगेरा वगेरा सब कुछ चिकित्सा अव्यवस्था का परिचायक है , और कोटा सहित राजस्थान की आम जनता इससे दुखी है , नोटिस में केंद्र सरकार के चिकित्सा शिक्षा सचिव, नेशनल मेडिकल कौंसिल द्वारा परीक्षा में कम और कम से भी कम न्यूनतम अंक लाने वाले फिसड्डीयों से भी फिसड्डीयों को मोटी फीस , डोनेशन के बदले, एम बी बी एस ओर पोस्ट ग्रेजुएट विशेषज्ञ कोर्सों में एडमिशन को खत्म करने और देश की चिकित्सा, सर्जरी, सम्पूर्ण में से 50 फीसदी इलाज व्यवस्था फिसड्डीयों के हवाले करने को देश की जनता के लिये नुकसानदायक बताते हुए इसे रोकने की भी मांग की गई है, नोटिस में कहा गया है कि नोटिस प्राप्ति के साठ दिवस के भीतर भीतर , इन सभी अव्यवस्थाओं की जांच हो , भौतिक सत्यापन हों , भवन , परिसर , चिकित्सा परिचालन नियम के तहत चिकित्स्कीय व्यवहार , मेडिकल स्टोर क़ानून , दवाओं के मामले में सिर्फ साल्ट जेनेरिक लिखने के नियम की पालना , कमीशन की दवाओं पर प्रतिबंध ,, अनावश्यक जांचों पर रोक , भवन व्यवस्थाओं की विधि नियम के तहत जांच , मेडिकल कॉलेजेज़ में मेडिकल कॉलेज संचालन नियमावली , स्वीकृति निर्देशों की पालना वगेरा वगेरा मामलों में सरप्राइज़ जांच कर , सभी व्यवस्थाओं को सूचीबद्ध करें , आवश्यकता पढ़ने पर आम जनता को भी जानकारी उपलब्ध कराये , ट्रेनिंग व्यवस्थाएं हो , ट्रेंड स्टाफ हो , विशेषज्ञ प्रोफेसर , आवश्यक सभी उपकरण हों , बंद पढ़े उपकरण जांच मशीने शीघ्र ठीक होकर आम मरीज़ों के लिए कार्यरत हों , सभी कुछ व्यवस्थित कर लें , व्यवस्थाएं सुधरवा दें , उलंग्घन करने वाले अस्पतालों , मेडिकल स्टोरों , चिकित्सको के खिलाफ कार्यवाही करें , अन्यथा सक्षम न्यायालय में कार्यवाही करना मजबूरी जिसके समस्त हर्जे खर्चे की ज़िम्मेदारी आप पक्षकारान की होगी , ,,,,,,,,,,,के डी अब्बासी

कोटा में चिकित्सा के नए आयामों पर विश्व प्रसिद्ध कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. समीन शर्मा का विशेष सत्र

 

कोटा में चिकित्सा के नए आयामों पर
विश्व प्रसिद्ध कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. समीन शर्मा का विशेष सत्र
- रोबोटिक तकनीक ने बदला सर्जरी का परिदृश्य
के डी अब्बासी
कोटा। चिकित्सा जगत आज तेज़ी से नई दिशा में आगे बढ़ रहा है, जहाँ तकनीक डॉक्टरों के अनुभव का सशक्त सहारा बन रही है। रोबोटिक तकनीक ने इलाज और सर्जरी की सोच को पूरी तरह बदल दिया है। बहुत छोटे चीरे, अधिक सटीकता, कम दर्द और जल्दी स्वस्थ होने जैसे लाभों के कारण रोबोटिक तकनीक को चिकित्सा का भविष्य माना जा रहा है। इसी उन्नत सोच और आधुनिक तकनीकों को चिकित्सक समुदाय तक पहुँचाने के उद्देश्य से इटर्नल हॉस्पिटल, जयपुर और आईएमए कोटा व एपीए कोटा द्वारा शहर में एक विशेष संवादात्मक सत्र का आयोजन किया गया, जिसमें देश के अनुभवी विशेषज्ञों ने स्वास्थ्य सेवा में आ रहे नए आयामों पर अपने विचार साझा किए। इस मौके पर विश्व प्रसिद्ध कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. समीन शर्मा ने हृदय रोगों और उनके इलाज से जुड़ी नवीनतम तकनीकों के बारे में जानकारी दी।
हॉस्पिटल की को-चेयरपर्सन मंजू शर्मा ने इटर्नल हॉस्पिटल के विजन और आगामी वर्ष में तय किए लक्ष्यों के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि इटर्नल हॉस्पिटल राजस्थान का पहला हॉस्पिटल है जिसमे उन्नत टेक्नोलॉजी युक्त Da Vinci Xi रोबोटिक सर्जरी सिस्टम के साथ सर्जरी की जा रही है।वहीं सीईओ डॉ. प्राचीश प्रकाश ने सभी आगंतुकों का स्वागत किया।
*बिना ऑपरेशन के संभव वॉल्व रिप्लेसमेंट: डॉ. समीन शर्मा*
डॉ. समीन शर्मा ने कार्डियोलॉजी में आ रही नवीनतम तकनीकों पर विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने बताया कि अब हार्ट वाल्व की जटिल बीमारियों में टावी जैसी आधुनिक तकनीक से बिना बड़े ऑपरेशन के वाल्व बदला जा सकता है। इसके अलावा हार्ट की सख्त नसों में जमा कैल्शियम को हटाने के लिए रोटब्लेशन तकनीक से एंजियोप्लास्टी को अधिक सुरक्षित और सफल बनाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि ये तकनीकें मरीजों की रिकवरी को तेज करती हैं और जोखिम को कम करती हैं।
*मिनिमल इनवेसिव सर्जरी से बेहतर हुए बायपास के परिणाम*
कार्डियक साइंस विभाग के चेयरमैन और सीनियर कार्डियक सर्जन डॉ. अजीत बाना ने बायपास सर्जरी में हो रहे सुधारों पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि मिनिमल इनवेसिव सर्जरी तकनीक, बेहतर मशीनें और उन्नत देखभाल के कारण अब बायपास सर्जरी के परिणाम पहले से कहीं अधिक अच्छे हो रहे हैं। हॉस्पिटल में सभी प्रकार की सर्जरी की जा रही है। मरीज जल्दी स्वस्थ हो रहे हैं और उनकी जीवन गुणवत्ता में स्पष्ट सुधार देखने को मिल रहा है।
*स्ट्रोक के प्रबंधन पर जोर* –
न्यूरोसाइंस विभाग के चेयरमैन डॉ. सुरेश गुप्ता ने स्ट्रोक के समय पर उपचार के महत्व को बताया। उन्होंने कहा कि सही समय पर इलाज मिलने से मरीज को लकवे जैसे स्थायी नुकसान से बचाया जा सकता है। इंटरवेंशनल पद्वति से स्ट्रोक के इलाज में काफी सफल परिणाम मिल रहे हैं।
*फेफड़ों के रोगों में उन्नत इलाज* –
डॉ. के. के. शर्मा ने इंटरवेंशनल पल्मोनोलॉजी पर जानकारी दी। उन्होंने बताया कि अब फेफड़ों की कई जटिल बीमारियों का इलाज बिना बड़े ऑपरेशन के संभव हो गया है। आधुनिक जांच और उपचार से मरीज को कम दर्द और जल्दी राहत मिलती है।
*रोबोटिक सर्जरी : भविष्य की दिशा* –
जनरल एवं लेप्रोस्कोपिक सर्जन डॉ. कपिलेश्वर विजय ने पेट की सर्जरी में रोबोटिक तकनीक की भूमिका पर चर्चा की। उन्होंने बताया कि रोबोटिक सर्जरी से सटीकता बढ़ती है, खून कम बहता है और मरीज जल्दी सामान्य जीवन में लौटता है। आने वाले समय में यह तकनीक सर्जरी का अहम हिस्सा बनेगी।
सत्र के अंत मे IMA प्रेजिडेंट डॉ के श्रृंगी एवं एपीआई प्रेजिडेंट डॉ सी पी मीना ने जयपुर से आये डॉ को धन्यवाद ज्ञापन देते हुए बताया कि इस प्रकार की जानकारी निश्चित तौर पर कोटा नागरिकों को लाभदायक होंगी।

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