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13 दिसंबर 2025

2 साल में विकास की एक ईंट भी नहीं रख सकी बीजेपी सरकार” धारीवाल

 

2 साल में विकास की एक ईंट भी नहीं रख सकी बीजेपी सरकार” धारीवाल
कांग्रेस विधायक शांति धारीवाल का बड़ा हमला—डबल इंजन फेल, विकास रथ नहीं जुमला रथ चला रही है सरकार
कोटा 13 दिसंबर
राज्य में बीजेपी सरकार के दो साल पूरे होने पर पूर्व मंत्री और कांग्रेस विधायक शांति धारीवाल ने सरकार की कार्यप्रणाली पर तीखा हमला बोला है। उन्होंने आरोप लगाया कि दो वर्षों में मौजूदा सरकार विकास की एक भी ईंट नहीं रख सकी है और “विकास रथ” के नाम पर जनता को सिर्फ जुमले परोसे जा रहे हैं। शांति धारीवाल ने कहा कि किसान, युवा, व्यापारी और आम नागरिक—हर तबका आज निराश है। चुनाव के समय बड़े-बड़े वादे किए गए थे, लेकिन जमीनी स्तर पर कोई काम नजर नहीं आ रहा। उन्होंने आरोप लगाया कि बीजेपी ने जनता को गुमराह कर चुनावी ठगी की और अब डबल इंजन सरकार पूरी तरह फेल साबित हो रही है।
विकास कार्य की अनदेखी , पर्यटन विकास शून्य
पूर्व मंत्री ने विशेष रूप से कोटा के पर्यटन विकास प्रोजेक्ट्स का जिक्र करते हुए कहा कि कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में जिन योजनाओं पर काम हुआ, उनकी मौजूदा सरकार ठीक से सार-संभाल तक नहीं कर पा रही है। चंबल रिवर फ्रंट, पार्कों और शहर के सौंदर्यीकरण जैसे प्रोजेक्ट्स उपेक्षा का शिकार हैं। रखरखाव के अभाव में ये योजनाएं बदहाली की ओर बढ़ रही हैं। उन्होंने कहा कि विकास रथ निकालने की बात करने वाले बीजेपी के जनप्रतिनिधियों के पास दिखाने के लिए कुछ भी नहीं है। “यह विकास रथ नहीं, बल्कि जुमला रथ है, जिसे जनता के बीच घुमाया जा रहा है,” धारीवाल ने तंज कसा।
किसानों के प्रति संवेदनशीलता की हदे पर कर रही है सरकार
किसानों की समस्याओं पर बोलते हुए उन्होंने कहा कि फसल नुकसान, मुआवजा और रोजगार जैसे मुद्दों पर सरकार पूरी तरह विफल रही है। युवाओं को रोजगार के अवसर नहीं मिल रहे और महंगाई ने आम आदमी की कमर तोड़ दी है। अतिवृष्टि और डेमो संभारी से तबाह हुई फसलों का किसानों को अब तक कोई मुआवजा नहीं दिया गया जो किसान अपनी बची कूची फसल लेकर मंडियों में पहुंच रहे हैं उनको उचित दाम नहीं मिल रहे हैं उनकी लागत भी नही निकल रही। समर्थन मूल्य खरीद नहीं की जा रही हो रही जिसकी वजह से ओने पौने दामो में बेचने को मजबूर होना पड़ रहा है। शांति धारीवाल ने दावा किया कि जनता अब कांग्रेस सरकार के कार्यकाल को याद कर रही है, जब विकास कार्य धरातल पर दिखते थे। उन्होंने कहा कि आने वाले समय में जनता इस नाकामी का जवाब देगी और प्रदेश को फिर से विकास की राह पर लाने का फैसला करेगी।
2 साल में सिर्फ घोषणाएं ओर बयानबाज़ी जमीन पर कुछ काम नही
पूर्व मंत्री विधायक शांति धारीवाल में भाजपा सरकार के 2 साल पर करारा हमला करते हुए कहा है कि कोटा में 2 सालों में भाजपा सरकार में सिर्फ मंत्रियों नेताओं ने जनप्रतिनिधियों ने झूठी घोषणाएं , बयानबाज़ी ,निरिक्षण के अलावा कोई ऐसा काम नही किया जिससे जनता को कोई राहत या फायदा पहुँचा हो। नगर विकास न्यास नगर निगम जो कांग्रेस सरकार के वक्त विकास कार्यों पट्टो के अभियानों को लेकर जनता के लिए रात और सुगमता का बड़ा माध्यम बने थे वहां भी कोई ऐसा काम इन 2 सालो में नही हुआ जिसके बारे जनता के बीच जाकर यह सरकार कुछ बोल सके उल्टा कांग्रेस सरकार के दौरान हुए कार्यो की अनदेखी हो रही है।

जागरूकता बढ़ने से परिवार में परंपरा बना नेत्रदान

  जागरूकता बढ़ने से परिवार में परंपरा बना नेत्रदान
2. शहर में संपन्न हुआ एक पुरुष और महिला का नेत्रदान

शाइन इंडिया फाउंडेशन की जागरूकता अभियान से बीते 2 दिन में दो पुण्य आत्माओं के नेत्रदान का कार्य संपन्न हुआ ।

शुक्रवार को श्रीनाथपुरम निवासी जयेश और हितेश हरयानी के पिता प्रकाश चंद हरयानी का आकस्मिक निधन हुआ । प्रकाश के चारों भाई अशोक,घनश्याम,धर्मपाल और प्रेम ने नेत्रदान को परिवार की परंपरा मानते हुए तुरंत ही संस्था शाइन इंडिया फाउंडेशन को संपर्क कर प्रकाश का नेत्रदान संपन्न करवाया । इससे पूर्व प्रकाश के पिताजी स्व० थावर दास और माता जी स्व० जानकी देवी हरयानी सहित करीबी रिश्तेदार स्व० वीरभान वीरवानी,स्व० हितेश वीरवानी का भी नेत्रदान परिजनों ने सम्पन्न करवाया है ।

इसी क्रम में आज शनिवार को ओसवाल भवन पाटनपोल निवासी जितेंद्र पाल जैन की धर्मपत्नी शशि जैन का आकस्मिक निधन हुआ। ज्योति मित्र गजेंद्र सिंह ने बताया कि,बेटे विकास,कपिल बेटी सोनिका ने वर्ष 2019 में,अपने चाचा निर्मल जैन के निधन के पश्चात नेत्रदान की प्रक्रिया को देखा था । इसलिए उन्होंने तुरंत ही पिता जितेंद्र से सहमति लेकर माताजी शशि जैन का नेत्रदान संपन्न करवाया । धर्म कर्म में आस्था रखने वाली शशि ने काफी समय पहले ही ,अपने नेत्रदान की इच्छा परिवार के सदस्यों को बता रखी थी ।

और ये (कुफ़्फ़ार मुसलमानों से) पूछते हैं कि अगर तुम सच्चे हो तो (आखि़र) ये (क़यामत या अज़ाब का) वायदा कब पूरा होगा

 और ये (कुफ़्फ़ार मुसलमानों से) पूछते हैं कि अगर तुम सच्चे हो तो (आखि़र) ये (क़यामत या अज़ाब का) वायदा कब पूरा होगा (71)
(ऐ रसूल) तुम कह दो कि जिस (अज़ाब) की तुम लोग जल्दी मचा रहे हो क्या अजब है इसमे से कुछ करीब आ गया हो (72)
और इसमें तो शक ही नहीं कि तुम्हारा परवरदिगार लोगों पर बड़ा फज़ल व करम करने वाला है मगर बहुतेरे लोग (उसका) शक्र नहीं करते (73)
और इसमें तो शक नहीं जो बातें उनके दिलों में पोशीदा हैं और जो कुछ ये एलानिया करते हैं तुम्हारा परवरदिगार यक़ीनी जानता है (74)
और आसमान व ज़मीन में कोई ऐसी बात पोशीदा नहीं जो वाज़ेए व रौशन किताब (लौहे महफूज़) में (लिखी) मौजूद न हो (75)
इसमें भी शक नहीं कि ये क़ुरआन बनी इसराइल पर उनकी अक्सर बातों को जिन में ये इख़्तेलाफ़ करते हैं ज़ाहिर कर देता है (76)
और इसमें भी शक नहीं कि ये कु़रआन इमानदारों के वास्ते अज़सरतापा हिदायत व रहमत है (77)
(ऐ रसूल) बेशक तुम्हारा परवरदिगार अपने हुक्म से उनके आपस (के झगड़ों) का फैसला कर देगा और वह (सब पर) ग़ालिब और वाकि़फकार है (78)
तो (ऐ रसूल) तुम खु़दा पर भरोसा रखो बेशक तुम यक़ीनी सरीही हक़ पर हो (79)
बेशक न तो तुम मुर्दों को (अपनी बात) सुना सकते हो और न बहरों को अपनी आवाज़ सुना सकते हो (ख़ासकर) जब वह पीठ फेर कर भाग ख़डें हो (80)

12 दिसंबर 2025

रिपोर्ताज मिशन बाल मन तक -25 नया आयाम जुड़ा

 

रिपोर्ताज
मिशन बाल मन तक -25 नया आयाम जुड़ा
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बाल मन भी मचल उठा कंप्यूटर पर खेलने के लिए - डॉ. वैदेही गौतम की पहल
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कोटा से 30 किलोमीटर दूर छोटा से गांव का राजकीय बालिका उच्च माध्यमिक विद्यालय । दृश्य था छोटी - छोटी बच्चियाँ कंप्यूटर कक्ष के बाहर कतार में लगी थी। जिज्ञासा वश एक बालिका से पूछ लिया तुम्हारा नाम क्या हैं ? बोली मेरा नाम आशिया है। फिर प्रश्न किया बिटिया यहां क्यों खड़े हो तुम ? बोली हम यहां कंप्यूटर पर खेलते हैं। मुझे विद्यालय अवलोकन करवाने साथ गई प्रधानाचार्या डॉ. वैदेही गौतम ने बताया , " हमारे विद्यालय में कंप्यूटर शिक्षा है। आपने कोटा में बच्चों को साहित्य से जोड़ने के लिए मिशन बाल मन चला रखा है। मैंने कुछ समय पूर्व यहां चार्ज संभाला है। मैने सोचा आज कम्प्यूटर भी साहित्य का अभिन्न हिस्सा बन गया है तो छोटी - छोटी बच्चियों को भी क्यों न इस से जोड़ा जाए। यह विचार आया तो बच्चें प्रेरित हुए और इन कक्षा 3 की बच्चियों की कुछ ही समय में कंप्यूटर से दोस्ती हो गई है।
हमारी बात चल रही थी, इस बीच कंप्यूटर सीखने वाली टीचर गायत्री सुमन भी पास आ गई। मैंने उनको कहा चलो बच्चियों को कंप्यूटर पर बैठाओ देखते हैं क्या करती हैं ? अब क्या था कतार में खड़ी बच्चियां आगे बढ़ी और कंप्यूटर के सामने बैठ गई। अल्प समय में सीखे ज्ञान से उन्होंने नीचे झुक कर सीपीयू का बटन दबा कर स्क्रीन चालू कर लिया। देखते - देखते देवा, अंतिमा, इशिका ने तो कमांड दे कर गेम खोल लिया और खेलना शुरू कर दिया। कृष्णा,हेमलता,आशिया को टीचर में कमांड दे कर आगे बढ़ने को कहा। कुछ बच्चियाँ वहीं कक्ष के मध्य बिछावन पर बैठ कर इन सब को देखने लगी।
नन्हीं-नन्हीं बच्चियों के नन्हें-नन्हें हाथ की बोर्ड पर मचल रहे थे और वे गेम खेलने लगे। मेरे मुंह से निकल पड़ा, वाह वैदेही जी बहुत खूब , खेल का खेल और इस उम्र में तकनीक से बच्चियों को जोड़ने की पहल।
सीढ़ियां उतर कर नीचे आए । कुछ ही देर में बच्चियाँ को मध्यान्ह पोषाहार परोसा गया। यह देख मेरे मन का जन संपर्क अधिकारी जाग उठा जब मैं विद्यालयों में बड़े अधिकारियों के साथ पोषाहार निरीक्षण के लिए जाता था। वैदेही जी से कहा मुझे भी पोषाहार चखाएं , देखता हूं यहां बच्चियों को कैसा भोजन दिया जाता है ?
पोषाहार पकाने वाली रेखा जी ने मुझे एक थाली में रोटी , दाल और रसे की आलू की सब्जी परोस दी। पोषाहार चखा तो उसकी उसकी गुणवत्ता से गदगद हो गया। रेखा ने बताया साहब हम तो अपने बच्चे समझ कर अच्छे से पकाते हैं। हर दिन बदल-बदल कर मीनू के अनुसार पोषाहार बनाते हैं । जब से ये मैडम आई हैं पूरा ध्यान देती हैं और कहती है इन्हें अपने घर की बच्चियाँ समझें।
विद्यालय बहुत बड़ा नहीं पर दुमंजिला और साफ सुथरा है। भवन निर्माण में गढ़ेपान कंपनी का सहयोग प्राप्त हुआ है। यहां 350 बच्चियाँ शिक्षा ग्रहण कर रही हैं। अधिकांश बच्चियाँ आर्थिक दृष्टि से कमजोर परिवारों की हैं। इन बच्चियों को साहित्य, संस्कृति और तकनीक से जोड़ने के वैदेही जी प्रयासरत हैं।
आपके मन में विचार आना स्वाभाविक है मैं अचानक 10 दिसंबर को इस विद्यालय में कैसे पहुंच गया। प्रयोजन था मिशन बाल मन तक अभियान के समापन कार्यक्रम की रूपरेखा को अंतिम रूप प्रदान करना। कार्यक्रम पर विस्तार से विचार विमर्श हुआ, स्थान देखा और तय हुआ कि विद्यालय के सहयोग से 15 दिसंबर को परिसर में समापन कार्यक्रम आयोजित किया जाएगा। समारोह का नाम करण " बाल रंगोत्सव " तय किया गया।
- डॉ. प्रभात कुमार सिंघल
लेखक एवं पत्रकार,कोटा

भाजपा के वरिष्ठ नेता हनुमान शर्मा का रंगपुर स्टेशन रोड प्रकरण में कोटा विकास प्राधिकरण को सुझाव

 

भाजपा के वरिष्ठ नेता हनुमान शर्मा का रंगपुर स्टेशन रोड प्रकरण में कोटा विकास प्राधिकरण को सुझाव
के डी अब्बासी
कोटा,दिसंबर भाजपा के वरिष्ठ नेता और लोकतंत्र रक्षा मंच राजस्थान के
कार्यवाहक प्रदेश अध्यक्ष लोकतंत्र सेनानी हनुमान शर्मा ने कोटा विकास प्राधिकरण को सुझाव देते हुए बताया है कि कोटा
जंक्शन रेलवे स्टेशन के लिये कई मार्गो से आने जाने की व्यवस्था की जानी चाहिये* यातायात का भार कम होगा। किसी भी दुकानदार/आवासीय इत्यादि को बिना तोडे यह किया जा सकता हैं। महत्वपूर्ण बिंदुओ पर आपका ध्यान आकर्षण है, *इसे गंभीरता से विचार कर लागू किया जाना चाहिये।*
*महत्वपूर्ण बिंदु इस प्रकार है कि:-*
(1) *कोटा जंक्शन रेलवे स्टेशन जाने वाला यातायात सीधा मनोज टाकीज/हाट रोड से निकाल कर अजय आहूजा पार्क होता हुवा देशराज चौराहे से मुड़कर वहा की दुकानों को हटाता हुवा रेलवे के बंगले को भी हटाता हुवा चोडा करण करता हुवा कोटा जंक्शन पहुचे।* रही बात देशराज चौराहे की जो भी दुकाने जाएगी वो सामने यूआईटी कोटा ने बना दी है उसमें शिफ्ट किया जाये जिससे इन दुकानदारो को वही पर दुकाने मिल सके। इन बनाई गई दुकानों को अवैध रूप से दिया गया उनसे वापस लिया जाना चाहिये। रेलवे के बगलों को तोडता हुवा डीआरएम आफिस परिसर को तोड़ता हुवा चोडा करता हुवा मुख्य रेलवे स्टेशन कोटा जंक्शन पर चला जाये इससे मुख्य बाजार के यातायात में कमी आयेगी। हाट स्थल अन्यत्र जाये। संभागीय आयुक्त के साथ जिला प्रशासन की जिला पुलिस प्रशासन यातायात प्रशासन नगर निगम ओर रेलवे प्रशासन की महत्वपूर्ण बैठक हुई थी मिनट्स भी बने थे। उसके बाद ही यूआईटी ने दुकाने बनाई थी। इससे भी कोटा जंक्शन/मुख्य बाजार का यातायात भार बटेगा व कम होगा।
(2) *रंगपुर रोड ओवरब्रिज पर से दो मार्ग निकाल कर समाधान किया जाना चाहिए। ओवरब्रिज तिराहे पर से जहा से भी निकल सकता हो वहा से एक हाथ यानी एक रास्ता कोटा जंक्शन की ओर उतारा जाना चाहिए दूसरा हाथ यानी रास्ता संजयनगर की ओर उतारा जाना चाहिए। इस तरफ ध्यान दिये जाने की आवश्यकता है।*
(3) *कोटा जंक्शन के पास वाले अंडरब्रिज से निकलने वाले यातायात को अंडरब्रिज के सामने वाले रेलवे रेस्टहाउस के बंगले को हटाकर सामने हाट रोड से मिलाना चाहिये।* इस प्रकार से मिलाया जाये कि तिराहा है वो चौराहा बन जाये जिसको शहर जाना हो वो हाट रोड से निकलता हुवा शहर की ओर चला जाये दूसरा रास्ता जिसको जनकपुरी व बोरखेड़ा बारां रोड की ओर जाना हो वो चला जाये तीसरा रास्ता श्रीराम मंदिर होता हुवा मुख्य बाजार चला जाये चौथा रास्ता अंडरब्रिज होता हुवा रेलवे स्टेशन प्लेटफार्म न. 4/3 की ओर साथ ही पुरोहित जी की टॉपर इत्यादि पूरा एक उपनगर बसा है जिसको जहा जाना हो चला जाये जिससे यातायात में भारी कमी आयेगी ओर जाने व आने वाले लोग सीधे ही निकल जायेगे, कोटा जंक्शन रेलवे प्लेटफार्म नम्बर 4 व 3 का भारी यातायात है इसे कम नही आंकना चाहिये अत्यधिक यातायात है मुख्य बाजार इत्यादि में भीड़ में भारी कमी होगी।
(3क) *कोटा जंक्शन रेलवे स्टेशन प्लेटफॉर्म नम्बर 4 व 3 की तरफ रेलवे ने भारी राशि खर्च कर रेलवे स्टेशन बनाया है वहा न तो समुचित पार्किंग है नही कोई व्यवस्था है* इधर से जबरदस्त यात्री भार/आमजन का भार निकलता है ओर जाम लग जाता है कोई ट्रैफिक पुलिस भी नही है और न ही आर पीएफ का कोई जवान रहता है जो कि होना चाहिए। रेलवे के दोनों साइड के बंगले को तोडकर मार्ग चोडा किया जाना चाहिये इस पर ध्यान दिया तो भीड़ में भारी कमी आयेगी, वैसे भी किसी समय आमजनता की धन राशि खर्च कर यह रेलवे के बंगले बनाये गये थे अब खण्डर हो रहे है ओर कई लोगो ने कब्जा कर रखा है कोई ध्यान नही है कोई धनी धोरी नही है।
(3ख) *केडीए कोटा से निवेदन है कि कोटा जंक्शन रंगपुर रोड इत्यादि की जमी जमाई दुकाने नही उजाडे इससे ढेर सारे परिवार जन अपना पालन पोषण कर रहे है, आवासीय जन जो 70/80 वर्षो से भी अधिक समय से निवास कर रह रहे है। आप कितनी ही धन राशि दे दे वापस कहि अपना व्यवसाय जमा पायेगे? कई विकल्प मार्ग है कई प्रकार की टेक्निक है इन सभी पर विचार किया जाना चाहिये जिससे यातायात को सुगम बनाया जा सकता है।*
(4) *कोटा जंक्शन रेलवे स्टेशन का मुख्य रेलवे स्टेशन की ओर रेलवे ने करोड़ो रूपये खर्च कर दिये वो बट्टे खाते गये* परन्तु सर्कुलेटिंग एरिया ठीक नही कर पाये वो ही भारी भीड वर्षो से देख रहा हु। रेलवे स्टेशन का बाहरी क्षेत्र 40 वर्षो पहले जगन्नाथ जी जलेबी वालो ओर चेतना रेस्टोरेंट के यहा से जाया करते थे तो रेलवे की यूनियन रेलवे एंप्लाइज यूनियन ओर रेलवे मजदूर संघ के आफिस के गेट सडक की तरफ थे डीआरएम आफिस परिसर के अंदर की तरफ नही थे। इससे आने जाने वाले यातायात में एक यह भी रुकावट रहे। बाहरी क्षेत्र फिर ठीक किया अच्छी खासी राशि खर्च की लेकिन इन दोनों यूनियन के सभागार फिर नये रास्ते मे आड़े आये इन सभागारों में शादी व्याह पार्टियां होने लगी वही भारी भीड आमजनता का सारा रुपया व्यर्थ गया स्कूटर स्टेण्ड इत्यादि बिना सोचे समझे बनाया गया। रेलवे ने स्वागत द्वार दोनो रास्तो पर ऐसे बनाये गये की जिससे रास्ते मे ही रुकावट आयी ऐसा कार्य है रेलवे प्रशासन का, आज भी समुचित व्यवस्था नही हो पायी। सोच समझकर जिला प्रशासन और रेल प्रशासन मिल बैठकर आमजन/आम यात्रियों की सुविधा करे। जिससे अत्यधिक यातायात में कमी हो सके।
(4क) *कोटा जंक्शन के सरकूलेंटिग एरिया में वर्तमान के स्कूटर स्टैंड के पास 16000 स्क्वायर फिट में 2 फ्लोर में मॉल ओर बाकी 6 फ्लोर में होटल इत्यादि बन रहा है कुल 8 फ्लोर की बिल्डिंग रहेगी। ऐसा जानकरी में आया है ये बहुत बडा व्यापारिक केंद्र बन रहा है। कहि ऐसा तो नही ये कोटा जंक्शन के व्यापार को निगल जायेगा।*
(4ख) *वर्षो से देखने मे आ रहा है कि बार बार आप लोगो की प्लानिग चेंज हो रही है* और मास्टर प्लान भी बार बार बदल रहा है। अभी समाचार पत्रों द्वारा पता चला कि अब नया मास्टर प्लान बनेगा किसी को जमने दिया जायेगा ? आमजन/छोटे छोटे दुकानदार राहत की सांस ले पायेगे ? हमेशा भय का वातावरण बना रहता है। नगरनिगम भी मास्टर प्लान के अनुसार काम नही कर पाता है व कर भी नही रहा है। कभी मनोज टाकीज से निकालेगे कभी मुख्यबाजार के ऊपर से ओवरब्रिज बनेगा/ सड़क चौडी करेगे कभी रंगपुर रोड पर ओवरब्रिज बनायेगे तो कभी सडक चोडी करेगे। जो भी किया जा रहा है वो समझ से परे है
(5) *कोटा स्टेशन क्षेत्र में एक भी पार्किंग स्थल नही है ऐसे में सारे वाहन मुख्य बाजार में आकर भीड बढाते है।* पार्किंग से बहुत बड़ी समस्या हल होने में सहायक हो सकती है।
लालबहादुर शास्त्री पार्क के नीचे या थाने के थोडा आगे से लेकर माला वालो के पहले अंडर ग्राउंड पार्किंग स्थल बनाया जाना चाहिये और कोई भी जगह देखी जा सकती है। सभी दुकानदारो ओर बाजार में खरीदारी करने वालो के वाहन पार्किंग में खड़े होने से बाजार की भीड में कमी आ सकती है।
(6) *कोटा जंक्शन के मुख्य बाजार इत्यादि की देख रेख होनी चाहिये ट्रैफिक कंट्रोल किया जाना आवश्यक है।* यात्री गाड़ियों के समय पर और भी किस समय यातायात भार रहता है उस समय तो ट्रैफिक पुलिस और पुलिस नियंत्रित करे। मुझे याद आता है कि भीममंडी के सी आई सिंघम हर्षराज जी खरेडा थे उन्होंने गुंडागर्दी के साथ पूरे क्षेत्र को व्यवस्थित किया था। न किसी की दुकान टूटी न ही किसी का मकान फिर भी सब सही रहा।
वही दुकाने/ठेले वाले वही आवासीय जन ओर आमजन सब ठीक ठाक रहा।

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