शाइन इंडिया की टीम ने,12 घंटे में दो बार बारां पहुंच कर लिए दो नेत्रदान
2. 320 किलोमीटर के सफर से चार को मिलेगी रोशनी
बारां
शहर में नेत्रदान के प्रति बढ़ती जागरूकता के कारण, कल रविवार को, कोटा से
शाइन इंडिया फाउंडेशन की टीम ने बारां शहर में दो दिवंगतों के नेत्रदान का
कार्य संपन्न किया ।
इसके लिए टीम के सदस्यों को,कोटा से 80
किलोमीटर 12 जाकर वापस आना और फिर दोबारा दूसरे केस के लिए 80 किलोमीटर
जाना हुआ, कुल 320 किलोमीटर के सफर से चार दृष्टिहीनों को रोशनी मिल सकेगी ।
प्रथम
नेत्रदान, पंजाबी कॉलोनी,निवासी शहर के प्रमुख प्रबुद्ध नागरिक और पूर्व
फौजी श्री किशन लाल अदलखा के देवलोक गमन की सूचना सुबह ,संस्था के ज्योति
मित्र,महेश अदलखा से मिली और पुत्र इंद्रजीत,पुत्रवधू मनीषा,सहित परिजनों
की सहमति से नेत्रदान का कार्य संपन्न हुआ ।
किशन लाल जी का जीवन
अनुशासन और देशभक्ति का पर्याय रहा है। उन्होंने वर्ष 1965 और 1971 के
भारत-पाक युद्ध में भारतीय सेना के सिपाही के रूप में अदम्य साहस का परिचय
दिया था। सेना से निवृत्त होने के बाद भी वे समाज सेवा में सक्रिय रहे। वे
पंजाबी समाज के संरक्षक और बारां ट्रक यूनियन के संस्थापक सदस्य भी थे।
शाम
को शहर में दूसरा नेत्रदान संपन्न हुआ। स्थानीय अनंत विहार कॉलोनी, कोटा
रोड निवासी मोहिनी देवी (धर्मपत्नी दानमल जी गालव, मियाडा वाले) का निधन
होने पर पुत्र अभिषेक मालव,कृष्ण कुमार ने स्व प्रेरणा से प्रेरित होकर
अपने मित्र कमल अरोड़ा और कुलदीप सिंह को माता जी के नेत्रदान की इच्छा
जताई ।
चिकित्सक टीम का समर्पण
नेत्रदान की प्रक्रिया को
संपन्न कराने में शाइन इंडिया फाउंडेशन की टीम का विशेष योगदान रहा। उनकी
सेवा भावना का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि, सूचना मिलते ही कोटा
से एक ही दिन में दूसरी बार बारां आए और दोनों नेत्रदानों को सफलता पूर्वक
संपन्न कराया।
आपका-अख्तर खान "अकेला"
तुम अपने किरदार को इतना बुलंद करो कि दूसरे मज़हब के लोग देख कर कहें कि अगर उम्मत ऐसी होती है,तो नबी कैसे होंगे? गगन बेच देंगे,पवन बेच देंगे,चमन बेच देंगे,सुमन बेच देंगे.कलम के सच्चे सिपाही अगर सो गए तो वतन के मसीहा वतन बेच देंगे.
15 दिसंबर 2025
शाइन इंडिया की टीम ने,12 घंटे में दो बार बारां पहुंच कर लिए दो नेत्रदान
(जिसमें) हम तुम्हारें सामने मूसा और फ़िरऔन का वाकि़या इमानदार लोगों के नफ़े के वास्ते ठीक ठीक बयान करते हैं
सूरए अल क़सस मक्के में नाजि़ल हुआ और इसकी 88 आयतें हैं
ख़़ुदा के नाम से (शुरु करता हूँ) जो बड़ा मेहरबान रहम वाला है
ता सीन मीम (1)
(ऐ रसूल) ये वाज़ेए व रौशन किताब की आयतें हैं (2)
(जिसमें) हम तुम्हारें सामने मूसा और फ़िरऔन का वाकि़या इमानदार लोगों के नफ़े के वास्ते ठीक ठीक बयान करते हैं (3)
बेशक फ़िरऔन ने (मिस्र की) सरज़मीन में बहुत सर उठाया था और उसने वहाँ के
रहने वालों को कई गिरोह कर दिया था उनमें से एक गिरोह (बनी इसराइल) को
आजिज़ कर रखा थ कि उनके बेटों को ज़बाह करवा देता था और उनकी औरतों
(बेटियों) को जि़न्दा छोड़ देता था बेशक वह भी मुफ़सिदों में था (4)
और हम तो ये चाहते हैं कि जो लोग रुए ज़मीन में कमज़ोर कर दिए गए हैं
उनपर एहसान करे और उन्हींको (लोगों का) पेशवा बनाएँ और उन्हीं को इस
(सरज़मीन) का मालिक बनाएँ (5)
और उन्हीं को रुए ज़मीन पर पूरी क़़ुदरत अता करे और फ़िरऔन और हामान और उन
दोनों के लश्करों को उन्हीं कमज़ोरों के हाथ से वह चीज़ें दिखायें जिससे
ये लोग डरते थे (6)
और हमने मूसा की माँ के पास ये वही भेजी कि तुम उसको दूध पिला लो फिर जब
उसकी निस्बत तुमको कोई ख़ौफ हो तो इसको (एक सन्दूक़ में रखकर) दरिया में
डाल दो और (उस पर) तुम कुछ न डरना और न कुढ़ना (तुम इतमेनान रखो) हम उसको
फिर तुम्हारे पास पहुँचा देगें और उसको (अपना) रसूल बनाएँगें (7)
(ग़रज़ मूसा की माँ ने दरिया में डाल दिया) वह सन्दूक़ बहते बहते फ़िरऔन
के महल के पास आ लगा तो फ़िरऔन के लोगों ने उसे उठा लिया ताकि (एक दिन यही)
उनका दुशमन और उनके राज़ का बायस बने इसमें शक नहीं कि फ़िरऔन और हामान उन
दोनों के लशकर ग़लती पर थे (8)
और (जब मूसा महल में लाए गए तो) फ़िरऔन की बीबी (आसिया अपने शौहर से) बोली
कि ये मेरी और तुम्हारी (दोनों की) आँखों की ठन्डक है तो तुम लोग इसको
क़त्ल न करो क्या अजब है कि ये हमको नफ़ा पहुँचाए या हम उसे ले पालक ही बना
लें और उन्हें (उसी के हाथ से बर्बाद होने की) ख़बर न थी (9)
इधर तो ये हो रहा था और (उधर) मूसा की माँ का दिल ऐसा बेचैन हो गया कि
अगर हम उसके दिल को मज़बूत कर देते तो क़रीब था कि मूसा का हाल ज़ाहिर कर
देती (और हमने इसीलिए ढारस दी) ताकि वह (हमारे वायदे का) यक़ीन रखे (10)
14 दिसंबर 2025
समापन समारोह 15 को सिमलिया में ** हाड़ोती के मिशन बाल मन तक ने बनाई राष्ट्रीय पहचान
और (उस दिन को याद करो) जिस दिन हम हर उम्मत से एक ऐसे गिरोह को जो हमारी आयतों को झुठलाया करते थे (जि़न्दा करके) जमा करेंगे फिर उन की टोलियाँ अलहदा अलहदा करेंगे
और न तुम अँधें को उनकी गुमराही से राह पर ला सकते हो तुम तो बस उन्हीं
लोगों को (अपनी बात) सुना सकते हो जो हमारी आयतों पर इमान रखते हैं (81)
फिर वही लोग तो मानने वाले भी हैं जब उन लोगों पर (क़यामत का) वायदा पूरा
होगा तो हम उनके वास्ते ज़मीन से एक चलने वाला निकाल खड़ा करेंगे जो उनसे
ये बाते करेंगा कि (फलां फलां) लोग हमारी आयतो का यक़ीन नहीं रखते थे (82)
और (उस दिन को याद करो) जिस दिन हम हर उम्मत से एक ऐसे गिरोह को जो हमारी
आयतों को झुठलाया करते थे (जि़न्दा करके) जमा करेंगे फिर उन की टोलियाँ
अलहदा अलहदा करेंगे (83)
यहाँ तक कि जब वह सब (ख़ुदा के सामने) आएँगें और ख़ुदा उनसे कहेगा क्या
तुम ने हमारी आयतों को बगैर अच्छी तरह समझे बूझे झुठलाया-भला तुम क्या क्या
करते थे और चूँकि ये लोग ज़ुल्म किया करते थे (84)
इन पर (अज़ाब का) वायदा पूरा हो गया फिर ये लोग कुछ बोल भी तो न सकेंगें (85)
क्या इन लोगों ने ये भी न देखा कि हमने रात को इसलिए बनाया कि ये लोग
इसमे चैन करें और दिन को रौशन (ताकि देखभाल करे) बेशक इसमें इमान लाने
वालों के लिए (कु़दरते ख़ुदा की) बहुत सी निशानियाँ हैं (86)
और (उस दिन याद करो) जिस दिन सूर फूँका जाएगा तो जितने लोग आसमानों मे
हैं और जितने लोग ज़मीन में हैं (ग़रज़ सब के सब) दहल जाएंगें मगर जिस
शख़्स को ख़ुदा चाहे (वो अलबत्ता मुतमइन रहेगा) और सब लोग उसकी बारगाह में
जि़ल्लत व आजिज़ी की हालत में हाजि़र होगें (87)
और तुम पहाड़ों को देखकर उन्हें मज़बूटत जमे हुए समझतें हो हालाकि ये
(क़यामत के दिन) बादल की तरह उड़े उडे़ फिरेगें (ये भी) ख़ुदा की कारीगरी
है कि जिसने हर चीज़ को ख़ूब मज़बूत बनाया है बेशक जो कुछ तुम लोग करते हो
उससे वह ख़ूब वाकि़फ़ है (88)
जो शख़्स नेक काम करेगा उसके लिए उसकी जज़ा उससे कहीं बेहतर है ओर ये लोग उस दिन ख़ौफ व ख़तरे से महफूज़ रहेंगे (89)
और जो लोग बुरा काम करेंगे वह मुँह के बल जहन्नुम में झोक दिए जाएँगे (और
उनसे कहा जाएगा कि) जो कुछ तुम (दुनिया में) करते थे बस उसी का जज़ा
तुम्हें दी जाएगी (90)
(ऐ रसूल उनसे कह दो कि) मुझे तो बस यही हुक्म दिया गया है कि मै इस शहर
(मक्का) के मालिक की इबादत करुँ जिसने उसे इज़्ज़त व हुरमत दी है और हर
चीज़ उसकी है और मुझे ये हुक्म दिया गया कि मै (उसके) फरमाबरदार बन्दां में
से हूँ (91)
और ये कि मै क़ुरआन पढ़ा करुँ फिर जो शख़्स राह पर आया तो अपनी ज़ात के
नफे़ के वास्ते राह पर आया और जो गुमराह हुआ तो तुम कह दो कि मै भी एक एक
डराने वाला हूँ (92)
और तुम कह दो कि अल्हमदोलिल्लाह वह अनक़रीब तुम्हें (अपनी क़ुदरत की)
निशानियाँ दिखा देगा तो तुम उन्हें पहचान लोगे और जो कुछ तुम करते हो
तुम्हारा परवरदिगार उससे ग़ाफिल नहीं है (93)
13 दिसंबर 2025
2 साल में विकास की एक ईंट भी नहीं रख सकी बीजेपी सरकार” धारीवाल
