आपका-अख्तर खान

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07 अक्टूबर 2025

और लोगों ने बाहम (इक़तेलाफ़ करके) अपने दीन को टुकड़े -टुकड़े कर डाला (हालाँकि) वो सब के सब हिरफिर के हमारे ही पास आने वाले हैं

 और (ऐ रसूल) उस बीबी को (याद करो) जिसने अपनी अज़मत की हिफाज़त की तो हमने उन (के पेट) में अपनी तरफ से रूह फूँक दी और उनको और उनके बेटे (ईसा) को सारे जहाँन के वास्ते (अपनी क़ुदरत की) निशानी बनाया (91)
बेशक ये तुम्हारा दीन (इस्लाम) एक ही दीन है और मैं तुम्हारा परवरदिगार हूँ तो मेरी ही इबादत करो (92)
और लोगों ने बाहम (इक़तेलाफ़ करके) अपने दीन को टुकड़े -टुकड़े कर डाला (हालाँकि) वो सब के सब हिरफिर के हमारे ही पास आने वाले हैं (93)
(उस वक़्त फैसला हो जाएगा कि) तो जो शख़्स अच्छे-अच्छे काम करेगा और वह ईमानवाला भी हो तो उसकी कोशिश अकारत न की जाएगी और हम उसके आमाल लिखते जाते हैं (94)
और जिस बस्ती को हमने तबाह कर डाला मुमकिन नहीं कि वह लोग क़यामत के दिन हिरफिर के से (हमारे पास) न लौटे (95)
बस इतना (तवक्कुफ़ तो ज़रूर होगा) कि जब याजूद माजूद (हद ऐ सिकन्दरी) की कै़द से खोल दिए जाएँगे और ये लोग (ज़मीन की) हर बुलन्दी से दौड़ते हुए निकल पड़ें (96)
और क़यामत का सच्चा वायदा नज़दीक आ जाए तो फिर काफ़िरों की आँखे एक दम से पथरा दी जाएँ (और कहने लगे) हाय हमारी शामत कि हम तो इस (दिन) से ग़फलत ही में (पड़े) रहे बल्कि (सच तो यूँ है कि अपने ऊपर) हम आप ज़ालिम थे (97)
(उस दिन किहा जाएगा कि ऐ कुफ़्फ़ार) तुम और जिस चीज़ की तुम खु़दा के सिवा परसतिश करते थे यक़ीनन जहन्नुम की ईधन (जलावन) होंगे (और) तुम सबको उसमें उतरना पड़ेगा (98)
अगर ये (सच्चे) माबूद होते तो उन्हें दोज़ख़ में न जाना पड़ता और (अब तो) सबके सब उसी में हमेशा रहेंगे (99)
उन लोगों की दोज़ख़ में चिंघाड़ होगी और ये लोग (अपने शोर व ग़ुल में) किसी की बात भी न सुन सकेंगे (100)

06 अक्टूबर 2025

कोटा शहर , कोटा देहात के भावी जिला अध्यक्ष सर्च ऑपरेशन में , कांग्रेस की रीती ,, निति , संविधान , संगठन निर्वाचन , विधि नियम और खासकर राहुल गांधी के टेलेंटेड जिला अध्यक्ष सर्च फार्मूले की खुले रूप से अनदेखी की जा रही हैं ,

 

कोटा शहर , कोटा देहात के भावी जिला अध्यक्ष सर्च ऑपरेशन में , कांग्रेस की रीती ,, निति , संविधान , संगठन निर्वाचन , विधि नियम और खासकर राहुल गांधी के टेलेंटेड जिला अध्यक्ष सर्च फार्मूले की खुले रूप से अनदेखी की जा रही हैं , यही वजह है के कोटा जिला कांग्रेस कार्यालय में नारेबाजी और गुटबाज़ी उभर कर सामने आई है , ,कोटा कांग्रेस का इतिहास है , यहां अगर मनमानी , अकड़बाज़ी या सिर्फ संगठन के जेबी पदाधिकारी ही सब कुछ हैं , उनसे ही बात करना है , या फिर जो महारथी हैं , उन्हीं से बात करना है , वाले फार्मूले हुए , तो फिर कोटा में ऐसे पर्यवेक्षकों के साथ मारपिटाई के क़िस्से पुराने हैं , कुलदीप जी इंदोरा और इसके बाद , कोटा में दक्षिणी भारत के ही सर उनकी टीम को सुर्पिन होटल में कुछ कांग्रेस कार्यर्कताओं ने महारथियों के इशारो पर जाकर ठुकाई भी की , तोड़फोड़ भी की , और कोटा अदालत में ऐसे मामलों में एफ आई आर भी हुई , मुक़दमे दर्ज हुए , गिरफ्तारियां हुईं , फिर उनके यहां बयांन देने नहीं आने के कारण मुक़दमे में नामज़द लोग बरी भी हुए , कोटा में क्या , कहीं भी जिला अध्यक्ष सर्च ऑपरेशन , विधि नियम , राहुल गांधी जिला अध्यक्ष टेलेंट सर्च फार्मूला ऐसा है ही नहीं जैसा कोटा पहुंचे यह पर्यवेक्षक कर रहे हैं , यह कोई संगठन की बैठक नहीं है ,जो जिला अध्यक्ष रविंद्र त्यागी को ऐलान करने के लिए मजबूर किया जा रहा है के सिर्फ कांग्रेस के पदाधिकारी , पार्षद वगेरा ही इस बैठक में भाग लेंगे , यह कोई ब्लॉक कांग्रेस की बैठक नहीं है के बंदिशें हों के सिर्फ जो जेबी संगठन के रूप में , जिला , प्रदेश , या ब्लॉक , नगर में बनकर आये हैं , वही इस मीटिंग में जाएंगे, अरे उस जेबी संगठन के मिथक को तोड़ने के लिये ही इन पर्वेक्षकों को भेजा है , फिर पर्वेक्षकों में जब प्रदेश के लोग सहयोगी शामिल हो गए तो ज़ाहिर है , किसे किसने बनाया कोन किस गुट का है उसे तो सभी जानते है , पर्यवेक्षक एक बार सभी से आवेदन ले लें , और जो आवेदन नहीं दें , उनके नाम भी अपने स्तर पर तलाश करें , खुद उपयुक्त उम्मीदवार सर्च करें , राहुल के फार्मूले के तहत , विधानसभा , , लोकसभा ,, निकाय , पंचायत चुनाव में इनकी भूमिका क्या रही , इन्होने टिकिट माँगा मिला , या नहीं मिला तो फिर यह अपने क्षेत्र , अपनी भाग संख्या और जिस प्रत्याक्षी को टिकिट मिला उसके साथ चुनाव प्रचार , उसे जिताने के लिए या फिर गुटबाज़ी के कारण उसे हराने , खामोश रहने , दूसरे अपने अपने आकाओं के इलाक़े में जा कर कोटा को नुकसान पहुंचाया , खुद ने भी कोटा में ऐसे चुनाव में वोटिंग की या नहीं , भाजपा के प्रत्याक्षी के साथ , अंदरूनी तोर पर हाथ मिलाया या नहीं , गुपचुप तरीके से अपनी ही पार्टी के चयनित प्रत्याक्षी के खिलाफ माहौल बिगाड़ने की साज़िश रची या नहीं , राहुल फार्मूले के तहत , संगठन के प्रति समर्पित हैं , या व्यक्ति के प्रति जवाबदार हैं , संगठन पहले या फिर व्यक्ति पहले , व्यक्ति के इशारों पर पार्टी छोड़ कर जाना , फिर वापस आ जाना , खुद टिकिट लेकर जानबूझ कर चुनाव हार जाना ,, कांग्रेस कार्यालय में नियमित उपस्थित हैं या नहीं , कांग्रेस कार्यक्रमों के प्रति , सजग सतर्क हैं या नहीं , इनकी अपनी रिहाइशी भाग संख्या में कांग्रेस की वोटिंग स्थिति क्या रही ,, कांग्रेस विधान के तहत , दलित , महिला , अल्पसंख्यक , शोषित , उत्पीड़ित , और कांग्रेस कार्यकर्ताओं के सुख दुःख में शामिल हुए या नहीं , उनके पारिवारिक दुःख की घडी में उनके साथ रहे या नहीं , यही सब तो देखना था , अभी जो कांग्रेस कार्यालय में गुटबाज़ी की घटना हुई , सिर्फ पदाधिकारी ही रहेंगे जैसे ऐलान हुए इस मामले में , पर्वेक्षकों पर भी एक पर्वेक्षक बनाकर एक रिपोर्ट संगठन अध्यक्ष , संगठन ज़िम्मेदार और खुद राहुल गांधी को मेने तो भेज दी है , लेकिन खुद पर्वेक्षकों की ज़िम्मेदारी होती है , के वोह कांग्रेस हाईकमान को , इस अव्यवस्था , गुटबाज़ी से अवगत कराये , इसके लिए ज़िम्मेदारों को चिन्हित कर उनके नाम हाईकमान तक पहुंचाए , वोह बात अलग है संगठन में गर्माहट है , संगठन के प्रति उत्साह है , लेकिन यह कह देने से काम नहीं चलेगा , अगर ऐसा ही चला तो संगठन में गुटबाज़ी खत्म होने की जगह उलटे , गुटबाज़ी बढ़ेगी ,नफरत बढ़ेगी , खून खराबा जैसे हालात होंगे , तो फिर पर्यवेक्षक जी , कोटा में आपका स्वागत है , कोटा चंबल का पानी है , कोटा भाजपा का गढ़ है , जनसंघ का गढ़ है , यहां कांग्रेस की रीढ़ भी है तो वोह जनसंघ के इशारों पर ही कई बार चलती देखी गई है , कोटा संगठन मामले में , सुनो सबकी , करो मन की , ,और जो खुद आकर अपना शक्ति प्रदर्शन कर रहे हैं , वोह तो अलग बात है , जो खुद आकर अपने आवेदन दे रहे हैं , वोह भी अलग बात है , लेकिन खुद भी तो सर्च करो ज़िम्मेदार लोग क्यों इस ज़िम्मेदारी को संभालने नहीं आ रहे यह भी तो सोचो, इनके नामांकनों पर भी विचार करो , खुद भी बिना नामांकन वालों में से सक्रिय लोगों के पेनल में से भी सर्च करो , ओर जो बेहूदगियां आपके सामने हुई हैं , या भविष्य में होंगी , उन्हें हाईकमान तक नाम ज़द , किसके इशारे पर क्या हुआ , पहुंचाओ ,, और कोटा को राहुल फार्मूले के तहत हर दिल अज़ीज़ ,, निष्पक्ष , मज़बूत , भाई साहबों के पॉकेट से अलग थलग व्यक्ति को , निष्पक्ष अध्यक्ष बनाकर सभी को चौंका दो ,, ,,,,जब कुर्सी मिलेगी तो वोह खुद अपना काम कर लेगा , क्योंकि संगठन के खिलाफ अगर यह गुटबाज कुछ अनुशासनहीनता करें तो इन्हे पहले प्यार से समझाने वाला ,और नहीं माने तो फिर इन्हे घर बिठाने वाला ही अध्यक्ष कोटा को ज़िंदाबाद कर सकता है , नहीं तो कोटा लोकसभा में मज़बूत से मज़बूत प्रत्याक्षी भी, जीती हुई बाज़ी , चालीस हज़ार वोटों से साज़िशों की तहत हारता रहेगा , ,कोटा दक्षिण विधानसभा प्रत्याक्षी जीती हुई बाज़ी हारते रहेंगे ,,,कोंग्रेस के निर्वाचित मेयर, कई वर्षों तक कोंग्रेस में रहे ज़िला कोंग्रेस अध्यक्ष, प्रसाद पर्यंत पदों की चाशनी पीने वाले लोग अवसरवादी बनकर चुनाव के एन वक़्त पर भाजपा में शामिल होते रहेंगे और जो इनकार कर कोंग्रेस का ही रह जाएगा वोह रविन्द्र त्यागी की तरह विरोध का शिकार होते रहेंगे, ,, अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान 9829086339

विनती कोटा के रावण जी से

 विनती कोटा के रावण जी से ----------------------------------रावण तुमको मरना होगा। मरना होगा, मरना होगा। हर हाल में जलना होगा । वर्ना सुसाइड करना होगा। दुनिया के सबसे ऊंचे हो। बामुश्किल इस कद पहुंचे हो। अखबारों में खूब छपे हो। जेबी चैनल रचे बसे हो। तुम्हें बनाया है जिसने। मन से देवता माना उसने। भ्रष्टाचार से डरना होगा। शिष्टाचार में रहना होगा। मन की बातें मन ही जाने। झूठ का दुखड़ा सहना होगा। कसम तुम्हें कचोरी की। कोचिंग के हमजोली की। हर हालत में खपना होगा। जलना होगा जलना होगा। रावण तुमको मरना होगा। असत्य पर सत्य की जीत का जश्न होगा। भले ही रावणी मन होगा। सत्य निश्चित ही खिन्न होगा। इस बार हमारी मान भी जाओ। पन्नालाल की पकोड़ी खाओ। अगली बार फिर आ जाना। गर्व से सीना तान डट जाना। बारिश आंधी बिजली ओले, इनसे ना घबराना। खबर मिलेगी रोज नई, अखबारी सुर्खी बन जाना। महिमामंडित नेताओं की कुर्सी पक्की कर जाना। लेकिन--- हम कहें वही करना होगा। रावण तुमको मरना होगा। मरना होगा मरना होगा। -ओम कटारा

और (हम ही ने) बड़े ज़ोरों की हवा को सुलेमान का (ताबेए कर दिया था) कि वह उनके हुक्म से इस सरज़मीन (बैतुलमुक़द्दस) की तरफ चला करती थी जिसमें हमने तरह-तरह की बरकतें अता की थी और हम तो हर चीज़ से खू़ब वाकि़फ़ थे (और) है

 और (हम ही ने) बड़े ज़ोरों की हवा को सुलेमान का (ताबेए कर दिया था) कि वह उनके हुक्म से इस सरज़मीन (बैतुलमुक़द्दस) की तरफ चला करती थी जिसमें हमने तरह-तरह की बरकतें अता की थी और हम तो हर चीज़ से खू़ब वाकि़फ़ थे (और) है (81)
और जिन्नात में से जो लोग (समन्दर में) ग़ोता लगाकर (जवाहरात निकालने वाले) थे और उसके अलावा और काम भी करते थे (सुलेमान का ताबेए कर दिया था) और हम ही उनके निगेहबान थे (82)
(कि भाग न जाएँ) और (ऐ रसूल) अय्यूब (का कि़स्सा याद करो) जब उन्होंने अपने परवरदिगार से दुआ की कि (ख़ुदा वन्द) बीमारी तो मेरे पीछे लग गई है और तू तो सब रहम करने वालो से (बढ़ कर है मुझ पर तरस खा) (83)
तो हमने उनकी दुआ कु़बूल की तो हमने उनका जो कुछ दर्द दुख था रफ़ा कर दिया और उन्हें उनके लड़के बाले बल्कि उनके साथ उतनी ही और भी महज़ अपनी ख़ास मेहरबानी से और इबादत करने वालों की इबरत के वास्ते अता किए (84)
और (ऐ रसूल) इसमाईल और इदरीस और जु़लकिफ़ली (के वाक़यात से याद करो) ये सब साबिर बन्दे थे (85)
और हमने उन सबको अपनी (ख़ास) रहमत में दाखि़ल कर लिया बेशक ये लोग नेक बन्दे थे (86)
और ज़वालऐ नून (यूनुस को याद करो) जबकि गुस्से में आकर चलते हुए और ये ख़्याल न किया कि हम उन पर रोज़ी तंग न करेंगे (तो हमने उन्हें मछली के पेट में पहुँचा दिया) तो (घटाटोप) अँधेरे में (घबराकर) चिल्ला उठा कि (परवरदिगार) तेरे सिवा कोई माबूद नहीं तू (हर ऐब से) पाक व पाकीज़ा है बेशक मैं कुसूरवार हूँ (87)
तो हमने उनकी दुआ कु़बूल की और उन्हें रंज से नजात दी और हम तो ईमानवालों को यूँ ही नजात दिया करते हैं (88)
और ज़करिया (को याद करो) जब उन्होंने (मायूसी की हालत में) अपने परवरदिगार से दुआ की ऐ मेरे पालने वाले मुझे तन्हा (बे औलाद) न छोड़ और तू तो सब वारिसों से बेहतर है (89)
तो हमने उनकी दुआ सुन ली और उन्हें यहया सा बेटा अता किया और हमने उनके लिए उनकी बीवी को अच्छी बना दिया इसमें शक नहीं कि ये सब नेक कामों में जल्दी करते थे और हमको बड़ी रग़बत और ख़ौफ के साथ पुकारा करते थे और हमारे आगे गिड़गिड़ाया करते थे (90)

05 अक्टूबर 2025

कोटा राजकीय महाविद्यालय के पूर्व छात्र संघ खेल सचिव ,, बाबा जंगलीशाह भवँर शाह तकिया वक़्फ़ सम्पत्ति के पूर्व सचिव , शिक्षाविद , समाजसेवक ,, एडवोकेट मोहम्मद अली सय्यद को उनकी सालगिराह पर पुरखुलूस खुशहाली , सह्तयाबी , उम्रदराज़ी , तरक़्क़ी की दुआओं के साथ मुबारकबाद बधाई ,

 

कोटा राजकीय महाविद्यालय के पूर्व छात्र संघ खेल सचिव ,, बाबा जंगलीशाह भवँर शाह तकिया वक़्फ़ सम्पत्ति के पूर्व सचिव , शिक्षाविद , समाजसेवक ,, एडवोकेट मोहम्मद अली सय्यद को उनकी सालगिराह पर पुरखुलूस खुशहाली , सह्तयाबी , उम्रदराज़ी , तरक़्क़ी की दुआओं के साथ मुबारकबाद बधाई , इत्तेफाक देखिये ग्याहरवीं शरीफ ओर 4 अक्टूबर एक साथ , इसी दिन इनके सुपुत्र उरूज का भी जन्म दिन रहा, इंशाल्लाह मोहम्मद अली के सुपुत्र उरूज इनके इंक़लाब को ओर उरूज तक पहुंचाएंगे, ,मेरे अभिन्न से भी अभिनतम मित्र मोहम्मद अली सय्यद एडवोकेट ,, पूर्व छात्र नेता है , यारों के यार है , हर ज़रूरतमंद के जी जान से काम आने वाले हमजोली साथी हैं , नेकनीयती और ईमानदारी इनकी पहचान है , आज इनकी सोहलवीं सालगिरह है , इन्हें इनकी सालगिरह पर पुरखुलूस दुआओं के साथ बधाई , मुबारकबाद , अल्लाह इनकी हर परेशानी दूर करे , हर बिमारी , अला , बला से इन्हे बचाये , इन्हे ज़िंदा , सलामत , तंदरुस्त ,रखे ,खुशहाल रखे , कामयाब रखे , दुनिया की हर ख़ुशी इनके क़दमों में डाल दे , यह ऐसे ही अपनी बीवी , बेटे के इशारे पर ज़िंदाबाद रहें , जी हाँ दोस्तों मेरे बचपन हाँ लगभग बचपन कहो या तरुण आयु कहो तब से अभिन्न से भी अभिन्नतम मित्र , दुःख सुख के साथी भाई सय्यद मोहम्मद अली एडवोकेट जो बहुमुखी प्रतिभा के धनी है ,लेकिन इनकी सभी प्रतिभाओं को उन्होंने एक कोने रखकर ,, ताले में रख दिया है , ,इंशा अल्लाह इनकी सह्तयाबी , खुशअख्लाकी के साथ फिर से यह अपनी प्रतिभा के ज़रिये लोगों के हक़ के लिए संघर्ष करेंगे , उन्हें इंसाफ दिलाएंगे , क्योंकि वर्तमान हालातों में इन्हे बुरी नज़र लगी है , बहुत कुछ सही है , लेकिन बहुत कुछ सही नहीं भी है ,यह बीमार है , कमज़ोर हो रहे हैं , लेकिन जलवा वही बरक़रार है , ज़ेरे इलाज है ,इंशा अल्लाह इन्हे अल्लाह जल्दी ही तंदरुस्ती अता फरमाएगा , और फिर से वही चहक , वही महक , वही हंसी , ठिठोली , लोगों की मदद का दौर आम हो जाएगा , मोहम्मद अली सय्यद भवरगढ़ में गुरु जी की पहचान रखने वाले माट्साहब बुनियाद अली जी के इकलौते पुत्र हैं , लाड़प्यार से प्ले , कोटा में महात्मा गाँधी स्कूल रामपुरा में हम दोस्त बने , फिर ऐसी दोस्ती हुई के माशाअल्लाह फेबिकोल के जोड़ की तरह से , ज़िंदाबाद , दोस्ती हो गई हर दुःख दर्द के साथी हो गए , एक दूसरे के लिए जान छिड़कने वाले हो गए , ,महात्मागांधी स्कूल के बाद राजकीय महाविद्यालय में भी साथी रहे , मोहम्मद अली सय्यद कोटा के क्रांतिकारी मज़दूर नेता कॉमरेड अब्दुल हमीद मुन्ना कामरेड के भांजे होने से , वोह उनके भी लाडले रहे , इसलिए नेतृत्व , नेतागिरी ,, भाषण बाज़ी और निर्भीकता उनकी पूंजी थी ,, राजकीय महाविद्यालय में वोह क्रीड़ा सचिव थे , तब घरेलू गलियों में खेले जाने वाले खेलकूद प्रतियोगिताएं भी उन्होंने कॉलेज में रखवाई थीं , वोह कई कॉलेज आंदोलन , संघर्ष के सक्रिय गवाह रहे , स्नातक के बाद , सोशोलॉजी में मास्टर डिग्री , फिर जयपुर टेलीफोन ऑपरेटर की तकनीकी ट्रेनिंग , फिर बी ऐड , फिर एम ऐड , फिर एल एल एल बी , और फिर फिल्मों के शोक ने इन्हे फिल्म सिटी का रास्ता दिखाया , लेकिन सुरूर फिल्म एक्टिंग एन्टरप्राइजेज कम्पनी के बाद फिर से यह कोटा के ही हो गए , गलियों में जब साक्षरता कार्यक्रम चला तो इन्होने गरीब बस्तियों में शिक्षा अभियान के तहत साक्षरता की अलख जगाने के लिए नो लॉस नो प्रॉफिट के स्कूल खोले , कोटड़ी में भी इनका स्कूल काफी लम्बे समय तक , कई गरीब बच्चों को , बिना किसी शुल्क के शिक्षा देने वाला अनुकरणीय स्कूल रहा ,, इन्होने गरीब बस्तियों में समाज सेवा कार्यों के तहत नशा मुक्ति अभियान में भी हिस्सा लिया , कई लोगों को बुरी लत ,बुरी संगत से उनक पीछा छुड़वाया , और कई गरीब बस्तियों में यह उनके चहेते बन गए , ,हर साल एक विशिष्ठ पहचान रखने वाले की खोज इनकी रूचि रही , और कई हस्तियों की खोज कर इन्होने अपने दोस्तों में उन्हें शामिल किया , ,हंसी मज़ाक़ , यारी दोस्ती , मौज मस्ती , एक दूसरे के प्रति समर्पण , ईमानदाराना किरदार , ,मोहब्बत , खुलूस , क़ौमी एकता के लिए संघर्ष इनकी पहचान रही , इनके पीछे का बेक ग्राउंड , मज़बूत बेक ग्राउंड इनके समक्ष शार्ट कट से खुद को साबित करने के कई ऑफर थे , लेकिन हर ऑफर को इन्होने ईमानदाराना सोच के चलते ठेंगा बताया और ठुकरा दिया ,क़लम के धनी , मुखर वक्ता , ,बहतरीन साइक्लोजिस्ट , लेखक , शायराना अंदाज़ इनकी विशेषता थी , दैनिक कोटा ब्यूरो जब गुमानपुरा से प्रकाशित होता तब यह काफी लम्बे समय तक दैनिक कोटा ब्यूरो के प्रमुख सम्पादक पद पर कार्यरत रहकर बहतरीन रिपोर्टरों के साथ कोटा की स्थानीय खबरों के प्रकाशक रहे ,मोहम्मद अली सय्यद कई संस्थाओं से जुड़कर लोगों के खिदमतगार रहे , ,कोटा बाबा जंगलीशाह , भवँर शाह तकिया वक़्फ़ कमेटी के सचिव पद पर रहे , कोटा महफ़िल खाना इन्ही के कार्यकाल में फेज़ टू बनकर शुरू हुआ जिसमे ऊपर की मंज़िल के कमरे और दूसरे कमरे लोगों को साफ सफाई खर्च , मामूली से किराए पर ही दिए जाते रहे , लेकिन अब जो कुछ है सभी के सामने है ,,,,फिर वकालत के लिए इन्हे लगातार प्रेरित करने से इनका सफर वकालत में रजिस्ट्रेशन करवाने के साथ एडवोकेट के रूप में हमारे सहयोगी साथी के रूप में शुरू हुआ , लेकिन किसी की बुरी नज़र लगी , यह बीमार होने लगे , बिमारी से हौसले से लड़ते रहे , मुक़ाबला करते रहे , बिमारी भी ऐसी के डॉक्टर्स साड़ी जांच पड़ताल के बाद कहें कोई बिमारी नहीं , सब ठीक है , लेकिन कुछ तो है , कुछ तो था के एक तंदरुस्त शख्सियत एक मुखर वक्ता एक संघर्ष शील जांबाज़ दोस्त अचानक कमज़ोर होता चला गया , बीमार हो गया , कभी दांत , कभी दाढ़ , कभी आँख , और फिर पेट , क़ब्ज़ , गैस और ना जाने क्या क्या , गठिया बाय , वगेरा वगेरा बिमारियों ने घेर लिया , इलाज मेडिकल , मेडिसिन , आयुर्वेद , हॉम्योपेथिक और दुआओं के साथ लगातार चल रहा है , लेकिन कुछ तो है के दिन बा दिन तकलीफ बढ़ रही है , खेर अल्लाह हर बिमारी का इलाज करने वाला है , इंशा अललाह अब बहुत जल्द मोहम्मद अली सय्यद फिर से वही पुराने वाले , हंसी ठिठोली वाले , यारों के यार वाले , ज़रा सी खबर मिलते ही दोस्तों के लिए अपने सभी ज़रूरी काम काज छोड़कर उनकी मदद करने वाले , वही मुखर वक्ता , लोगों के खिदमतगार , ज़ुल्म के बोझ तले दबे कुचले पीड़ितों के वकील बनकर उन्हें इंसाफ दिलाने वाले बनेंगे , अल्लाह के फ़ज़ल से फिर से तंदरुस्त होकर , अपने नए अंदाज़ में पुराने अनुभवों के साथ , दुनिया के मौज मस्ती के अखाड़े में इन्साफ की जंग के साथ मैदान में रहेंगे ,, , अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान 9829086339

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