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11 दिसंबर 2025

अल्पसंख्यक विभाग प्रदेश कोंग्रेस के जिलाअध्यक्षों , लो बन गए ना अब तो, चलो शुरू हो जाओ,

अल्पसंख्यक विभाग प्रदेश कोंग्रेस के जिलाअध्यक्षों , लो बन गए ना अब तो, चलो शुरू हो जाओ, कोटा देहात के भाई असरार, टोंक के हसीन बरकाती, दो तीन ओर को छोड़कर लग जाओ काम पर मालाएं पहनो, स्वागत करो, स्वागत करवाओ, अपने अपने भाई साहबों के पिछलग्गू बने रहो , दो चार महीने तक तो ज़िला कार्यकारिणी भी मत बनाना, ओर हां मुस्लिमों पर हुए ज़ुल्म , पक्षपात के मामले में तो कोई धरना , कोई प्रदर्शन करना भी मत, शिकवे , शिकायत भी मत करना, ज़िला कोंग्रेस की बैठकों जो सम्मान , जो हक़ तुम्हारा संवैधानिक है, उसके बारे में भी संघर्ष मत करना, ज़िला कोंग्रेस कमेटी, प्रदेश कोंग्रेस, पंचायत, पालिका चुनावों में टिकिट की मांग मत करना , लेकिन सुनो तुम्हारे राष्ट्रीय अध्यक्ष इन मामलों में चाहे जितने भी नाकारा हों , अल्पसंख्यक मुद्दों से दूर हों, कोई आवाज़ नहीं उठाई हो लेकिन राजस्थान के प्रदेश चेयरमेन एम डी चोपदार सर तो दबंग हैं, ईमानदार है , ज़मीन से जुड़े हैं हर दिल अज़ीज़ हैं, लोगों का दुख दर्द समझने वाले हैं , तो फिर हो सके तो खुद को कर्तव्यनिष्ठ अल्पसंख्यक ज़िला अध्यक्ष बनाओ ना, तुम्हे पता है किस काम के लिये बनाता है, सरकार हो, कोंग्रेस संगठन हो अगर मुस्लिम, सिक्ख, किश्चियन, बौद्ध, जेन समाज के किसी भी व्यक्ति समूह के साथ नाइंसाफी हो ज़ुल्म हो , उन पर अत्याचार हो , पक्षपात हो तो तुम्हे यलगार करना है, हाईकमान को शिकायत करना है, सुनवाई नहीं होने पर उन्हें भीड़ ओर विरोध के बल पर इंसाफ करने को मजबूर करना है, कर सको तो करना, वर्ना चमचागिरी, चापलूसी, जी भाईसाहब , जो हुक्म भाईसाहब, ओर मुस्लिमों की उपेक्षा तो इसके पहले अल्पसंख्यक विभाग का अपना इतिहास अपना रिकॉर्ड रहा है, फिर भी कोटा देहात के असरार भाई, टोंक के हसीन बरकाती ओर दो तीन और जो हैं ना उनसे सीख लेना, के अपनों के लिये संघर्ष, आंदोलन और सामने वाले कि आंखों में आंखें डालकर कैसे इंसाफ का संघर्ष होता है, बातों से नहीं तो लातों से कैसे इंसाफ छीना जाता है, अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान 9829086339

 

कोटा । शहर व देहात जिला कांग्रेस कमेटी का पदभार ग्रहण समारोह गुरुवार को गुमानपुरा स्थित कांग्रेस कार्यालय में आयोजित किया गया

 

कोटा । शहर व देहात जिला कांग्रेस कमेटी का पदभार ग्रहण समारोह गुरुवार को गुमानपुरा स्थित कांग्रेस कार्यालय में आयोजित किया गया
समारोह में शहर अध्यक्ष राखी गौतम व देहात अध्यक्ष भानु प्रताप सिंह ने कार्यकर्ताओं व नेताओं की मौजूदगी में पदभार ग्रहण किया, कार्यकर्ताओं ने दोनों का फूल मालाओं से भव्य स्वागत किया
समारोह में विधायक प्रमोद जैन भाया सीएल प्रेमी देशराज मीणा कोटा जिला प्रभारी पूर्व मंत्री अशोक चांदना चेतन पटेल विधायक पीपल्दा कांग्रेस नेता रविंद्र त्यागी पूनम गोयल अमित धारीवाल करण सिंह राठौड़ महेंद्र राजोरिया राकेश सोरल विजय सिंह राजू अनूप ठाकुर मंजूर तंवर शिवराज गुंजल शालिनी गौतम अनुराग गौतम प्रफुल्ल पाठक योगेश विजय गीता मीणा हरपाल राणा जोंटी वीरवाल जफर प्रगति सोनू कुरैशी डा. विजय सोनी विशाल मेवाड़ा मोईजुद्दीन गुड्डू मन्नालाल गुर्जर जगदीश राजावत पारस वर्मा रुक्मणी मीणा अमीन पठान इसरार मोहम्मद मोहित गौतम विजय सिंह राजू शीतल प्रसाद मीणा समेत बड़ी संख्या में कार्यकर्ता मौजूद रहे

राजकीय विद्यालयों के 700 विद्यार्थियों से घर-घर पहुँचा नेत्रदान अंगदान का संदेश

 राजकीय विद्यालयों के 700 विद्यार्थियों से घर-घर पहुँचा नेत्रदान अंगदान का संदेश
2. सहज,सरल भाषा में,बच्चों ने समझ लिया, नेत्रदान-अंगदान है महान

शाइन इंडिया फाउंडेशन व ईबीएसआर-बीबीजे चेप्टर के तत्वाधान में बारां जिले के पलायथा गांव के राज० उच्च मा० विद्यालय,राज० महात्मा गांधी विद्यालय एवं राज० प्रवेशिका संस्कृत विद्यालय में कक्षा 6 से 12 तक के कुल 700 से अधिक विद्यार्थियों और उपस्थित शिक्षकों को नेत्रदान अंगदान के विषय पर संस्था संस्थापक डॉ कुलवंत गौड़ और डॉ संगीता गौड़ ने बहुत उपयोगी जानकारी दी।

कार्यशालाओं का आयोजन राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय पलायथा के ही, नेत्रदान संकल्पित शिक्षक दिगदर्शन सिंह चौहान द्वारा किया गया था ।

डा. कुलवंत गौड़ ने छात्र/छात्राओं समेत विद्यालय स्टाफ को नेत्रदान और अंगदान के महान कृत्य को दैनिक जीवन‌ के सहज उदाहरणों से जोड़कर स्पष्ट किया। उन्होंने साझा किया कि,मरणोपरांत देह जो मिट्टी समान हो जाती है,उसे मानवता के निमित्त कल्याण में लगाने का पुनीत कार्य होता है - नेत्रदान और अंगदान। किंतु कुछ पारंपरिक भ्रांतियों और भावनात्मक संबंधों के चलते हम इस कल्याणकारी कदम को उठाने में हिचकिचाते हैं।

संस्था सचिव डॉ संगीता ने बताया कि,नेत्रदान मृत्यु के बाद 6 से 8 घंटे के भीतर,10 मिनट में पूरी होने वाली रक्त विहीन प्रक्रिया है,इस प्रक्रिया में आँख के ठीक सामने दिखाई देने वाला पारदर्शी हिस्सा जिसे पुतली या कॉर्निया कहा जाता है, उसे ही मृतक की आँखों से लिया जाता है,लोगों को ऐसी भ्रांति है कि,नेत्रदान में पूरी आँख ली जाती है जो कि गलत है, कॉर्निया लेने से किसी भी तरह की विकृति चेहरे पर नहीं आती है । अंत में सवाल जवाब के माध्यम से बच्चों को शाइन मेडल से पुरस्कृत किया गया ।

शिक्षक दिगदर्शन ने भी विद्यार्थियों को संबोधित करते कहा कि,देश को अच्छे नागरिक देने के लिये उत्तम शिक्षा के साथ साथ ,समय समय पर इस तरह के सामाजिक कार्यों की कार्यशाला से बच्चों में न सिर्फ समाज,देश के प्रति दायित्व बढ़ता है,बल्कि उनमें नई ऊर्जा व आत्मविश्वास का संचार करता है ।

कार्यशाला के अंत में प्रश्नोत्तरी के माध्यम से बच्चों को नेत्रदान अंगदान के विषय पर दीजिए जानकारी के बारे में सवाल किए गये और सही जवाब देने वालों को,शाइन मेडल से पुरस्कृत किया गया ।

नेत्रदान अंगदान की जागरूकता कार्यशाला में,  प्रधानाचार्य श्रीमती संध्या शर्मा,श्रीमती वंदना राठौर श्रीमती पुष्पा उदेशिया,के साथ गिरीश गोचर,सत्येंद्र मीना,बृजमोहन वर्मा और मनीष का सहयोग रहा ।

तो (ऐ रसूल) तुम देखो उनकी तदबीर का क्या (बुरा) अन्जाम हुआ कि हमने उनको और सारी क़ौम को हलाक कर डाला

 तो (ऐ रसूल) तुम देखो उनकी तदबीर का क्या (बुरा) अन्जाम हुआ कि हमने उनको और सारी क़ौम को हलाक कर डाला (51)
ये बस उनके घर हैं कि उनकी नाफ़रमानियों की वज़ह से ख़ाली वीरान पड़े हैं इसमे शक नही कि उस वाकि़ये में वाकि़फ कार लोगों के लिए बड़ी इबरत है (52)
और हमने उन लोगों को जो इमान लाए थे और परहेज़गार थे बचा लिया(53)
और (ऐ रसूल) लूत को (याद करो) जब उन्होंने अपनी क़ौम से कहा कि क्या तुम देखभाल कर (समझ बूझ कर) ऐसी बेहयाई करते हो (54)
क्या तुम औरतों को छोड़कर शहवत से मर्दों के आते हो (ये तुम अच्छा नहीं करते) बल्कि तुम लोग बड़ी जाहिल क़ौम हो तो लूत की क़ौम का इसके सिवा कुछ जवाब न था (55)
कि वह लोग बोल उठे कि लूत के खानदान को अपनी बस्ती (सदूम) से निकाल बाहर करो ये लोग बड़े पाक साफ़ बनना चाहते हैं (56)
ग़रज हमने लूत को और उनके ख़ानदान को बचा लिया मगर उनकी बीवी कि हमने उसकी तक़दीर में पीछे रह जाने वालों में लिख दिया था (57)
और (फिर तो) हमने उन लोगों पर (पत्थर का) मेंह बरसाया तो जो लोग डराए जा चुके थे उन पर क्या बुरा मेंह बरसा (58)
(ऐ रसूल) तुम कह दो (उनके हलाक़ होने पर) खु़दा का शुक्र और उसके बरगुज़ीदा बन्दों पर सलाम भला ख़ुदा बेहतर है या वह चीज़ जिसे ये लोग शरीके ख़ुदा कहते हैं (59)
भला वह कौन है जिसने आसमान और ज़मीन को पैदा किया और तुम्हारे वास्ते आसमान से पानी बरसाया फिर हम ही ने पानी से दिल चस्प (ख़ुशनुमा) बाग़ उठाए तुम्हारे तो ये बस की बात न थी कि तुम उनके दरख़्तों को उगा सकते तो क्या ख़ुदा के साथ कोई और माबूद भी है (हरगिज़ नहीं) बल्कि ये लोग खुद अपने जी से गढ़ के बुतो को उसके बराबर बनाते हैं (60)

10 दिसंबर 2025

(उसके बाद) सुलेमान ने कहा कि उसके तख़्त में (उसकी अक़्ल के इम्तिहान के लिए) तग़य्युर तबददुल कर दो ताकि हम देखें कि फिर भी वह समझ रखती है या उन लोगों में है जो कुछ समझ नहीं रखते

 (उसके बाद) सुलेमान ने कहा कि उसके तख़्त में (उसकी अक़्ल के इम्तिहान के लिए) तग़य्युर तबददुल कर दो ताकि हम देखें कि फिर भी वह समझ रखती है या उन लोगों में है जो कुछ समझ नहीं रखते (41)
(चुनान्चे ऐसा ही किया गया) फिर जब बिलक़ीस (सुलेमान के पास) आयी तो पूछा गया कि तुम्हारा तख़्त भी ऐसा ही है वह बोली गोया ये वही है (फिर कहने लगी) हमको तो उससे पहले ही (आपकी नुबूवत) मालूम हो गयी थी और हम तो आपके फ़रमाबरदार थे ही (42)
और ख़ुदा के सिवा जिसे वह पूजती थी सुलेमान ने उससे उसे रोक दिया क्योंकि वह काफिर क़ौम की थी (और आफ़ताब को पूजती थी) (43)
फिर उससे कहा गया कि आप अब महल मे चलिए तो जब उसने महल (में शीशे के फ़र्श) को देखा तो उसको गहरा पानी समझी (और गुज़रने के लिए इस तरह अपने पाएचे उठा लिए कि) अपनी दोनों पिन्डलियाँ खोल दी सुलेमान ने कहा (तुम डरो नहीं) ये (पानी नहीं है) महल है जो शीशे से मढ़ा हुआ है (उस वक़्त तम्बीह हुयी और) अर्ज़ की परवरदिगार मैने (आफ़ताब को पूजा कर) यक़ीनन अपने ऊपर ज़ुल्म किया (44)
और अब मैं सुलेमान के साथ सारे जहाँ के पालने वाले खु़दा पर ईमान लाती हूँ और हम ही ने क़ौम समूद के पास उनके भाई सालेह को पैग़म्बर बनाकर भेजा कि तुम लोग ख़ुदा की इबादत करो तो वह सालेह के आते ही (मोमिन व काफ़िर) दो फरीक़ बनकर बाहम झगड़ने लगे (45)
सालेह ने कहा ऐ मेरी क़ौम (आखि़र) तुम लोग भलाई से पहल बुराई के वास्ते जल्दी क्यों कर रहे हो तुम लोग ख़ुदा की बारगाह में तौबा व अस्तग़फार क्यों नही करते ताकि तुम पर रहम किया जाए (46)
वह लोग बोले हमने तो तुम से और तुम्हारे साथियों से बुरा शगुन पाया सालेह ने कहा तुम्हारी बदकिस्मती ख़ुदा के पास है (ये सब कुछ नहीं) बल्कि तुम लोगों की आज़माइश की जा रही है (47)
और शहर में नौ आदमी थे जो मुल्क के बानीये फ़साद थे और इसलाह की फिक्र न करते थे-उन लोगों ने (आपस में) कहा कि बाहम ख़ुदा की क़सम खाते जाओ (48)
कि हम लोग सालेह और उसके लड़के बालो पर सब खून करे उसके बाद उसके वाली वारिस से कह देगें कि हम लोग उनके घर वालों को हलाक़ होते वक़्त मौजूद ही न थे और हम लोग तो यक़ीनन सच्चे हैं (49)
और उन लोगों ने एक तदबीर की और हमने भी एक तदबीर की और (हमारी तदबीर की) उनको ख़बर भी न हुयी (50)

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