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25 जनवरी 2025

मूसा ने कहा खु़दा ज़रूर फरमाता है कि वह गाय न तो इतनी सधाई हो कि ज़मीन जोते न खेती सीचें भली चंगी एक रंग की कि उसमें कोई धब्बा तक न हो, वह बोले अब (जा के) ठीक-ठीक बयान किया, ग़रज़ उन लोगों ने वह गाय हलाल की हालाँकि उनसे उम्मीद न थी वह कि वह ऐसा करेंगे

 मूसा ने कहा खु़दा ज़रूर फरमाता है कि वह गाय न तो इतनी सधाई हो कि ज़मीन जोते न खेती सीचें भली चंगी एक रंग की कि उसमें कोई धब्बा तक न हो, वह बोले अब (जा के) ठीक-ठीक बयान किया, ग़रज़ उन लोगों ने वह गाय हलाल की हालाँकि उनसे उम्मीद न थी वह कि वह ऐसा करेंगे (71)
और जब तुमने एक शख़्स को मार डाला और तुममें उसकी बाबत फूट पड़ गई एक दूसरे को क़ातिल बताने लगा जो तुम छिपाते थे (72)
खु़दा को उसका ज़ाहिर करना मंजू़र था बस हमने कहा कि उस गाय को कोई टुकड़ा लेकर इस (की लाश) पर मारो यूँ खु़दा मुर्दे को जि़न्दा करता है और तुम को अपनी कु़दरत की निशानियाँ दिखा देता है (73)
ताकि तुम समझो फिर उसके बाद तुम्हारे दिल सख़्त हो गये बस वह पत्थर के मिस्ल (सख़्त) थे या उससे भी ज़्यादा (सख्त़) क्योंकि पत्थरों में बाज़ तो ऐसे होते हैं कि उनसे नहरें जारी हो जाती हैं और बाज़ ऐसे होते हैं कि उनमें दरार पड़ जाती है और उनमें से पानी निकल पड़ता है और बाज़ पत्थर तो ऐसे होते हैं कि खु़दा के ख़ौफ से गिर पड़ते हैं और जो कुछ तुम कर रहे हो उससे खु़दा ग़ाफिल नहीं है (74)
(मुसलमानों) क्या तुम ये लालच रखते हो कि वह तुम्हारा (सा) ईमान लाएँगें हालाँकि उनमें का एक गिरोह साबिक़ में (पहले) ऐसा था कि खु़दा का कलाम सुनता था और अच्छी तरह समझने के बाद उलट फेर कर देता था हालाँकि वह खू़ब जानते थे और जब उन लोगों से मुलाक़ात करते हैं (75)
जो ईमान लाए तो कह देते हैं कि हम तो ईमान ला चुके और जब उनसे बाज़-बाज़ के साथ तखि़लया (अकेले) में मिलते हैं तो कहते हैं कि जो कुछ खु़दा ने तुम पर (तौरेत) में ज़ाहिर कर दिया है क्या तुम (मुसलमानों को) बता दोगे ताकि उसके सबब से कल तुम्हारे खु़दा के पास तुम पर हुज्जत लाएँ क्या तुम इतना भी नहीं समझते (76)
लेकिन क्या वह लोग (इतना भी) नहीं जानते कि वह लोग जो कुछ छिपाते हैं या ज़ाहिर करते हैं खु़दा सब कुछ जानता है (77)
और कुछ उनमें से ऐसे अनपढ़ हैं कि वह किताबे खु़दा को अपने मतलब की बातों के सिवा कुछ नहीं समझते और वह फक़त ख़्याली बातें किया करते हैं, (78)
बस वाए हो उन लोगों पर जो अपने हाथ से किताब लिखते हैं फिर (लोगों से कहते फिरते) हैं कि यह खु़दा के यहाँ से (आई) है ताकि उसके ज़रिये से थोड़ी सी क़ीमत (दुनयावी फ़ायदा) हासिल करें बस अफसोस है उन पर कि उनके हाथों ने लिखा और फिर अफसोस है उनपर कि वह ऐसी कमाई करते हैं (79)
और कहते हैं कि गिनती के चन्द दिनों के सिवा हमें आग छुएगी भी तो नहीं (ऐ रसूल) इन लोगों से कहो कि क्या तुमने खु़दा से कोई इक़रार ले लिया है कि फिर वह किसी तरह अपने इक़रार के खि़लाफ़ हरगिज़ न करेगा या बे समझे बूझे खु़दा पर बोहतान जोड़ते हो (80)

24 जनवरी 2025

मेरे स्नेहिल मित्र कोटा के पुरुषोत्तम पंचोली - "ट्रू मीडिया सम्मान '25 " की घोषणा पर हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं....

 

राजस्थान हुआ गौरवान्वित
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' होनहार बिरवान के होत चिकने पात'
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मेरे स्नेहिल मित्र कोटा के पुरुषोत्तम पंचोली - "ट्रू मीडिया सम्मान '25 " की घोषणा पर हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं............
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** कोटा वरिष्ठ पत्रकार और लेखक पुरुषोत्तम पंचोली को उनके रचनात्मक पत्रकारिता योगदान के लिए नई दिल्ली का प्रतिष्ठित " ट्रू मीडिया सम्मान " मिलेगा।
यह सम्मान श्री पंचोली को 15 से 25 फर वरी.'25 तक आयोजित होने वाले नेपाल के काठमांडू में चौबीसवें अंतर्राष्ट्रीय हिन्दी सम्मेलन में प्रदान किया जाएगा।
** अंतर्राष्ट्रीय हिन्दी सम्मेलन की अध्यक्ष डॉ. सविता मोहन ने बताया कि 24वें अंतर्राष्ट्रीय हिन्दी सम्मेलन में चार रचनाकारों को उनके विशिष्ठ रचनात्मक कार्यों के लिए राजधानी दिल्ली कि प्रतिष्ठित सहयोगी संस्था /पत्रिका व संचार समूह " ट्रू मीडिया "द्वारा अलंकृत किया जाएगा। साहित्य के लिए ट्रू मीडिया सम्मान राउरकेला के डॉ. कृष्ण कुमार प्रजापति को, संस्कृति के लिए धूले महाराष्ट्र क़ी डॉ. सुनीति आचार्य को दिया जायेगा।
** रचनात्मक पत्रकारिता के लिए - "ट्रू मीडिया सम्मान '25" कोटा (राजस्थान )के पुरुषोत्तम पंचोली को तथा सामाजिक कार्यों के लिए यह सम्मान जबलपुर मध्यप्रदेश क़ी श्रीमती इन्द्राणी मलेया को दिया जाएगा.
वरिष्ठ पत्रकार पुरुषोत्तम पंचोली पिछले चार दशकों से अपनी विशिष्ठ पत्रकारिता के लिए जाने जाते रहे हैं. पंचोली ने देश के शीर्ष अखबारों - "नवभारत टाइम्स " और " जनसत्ता "में लम्बे समय तक काम किया।
उन्होंने आउटलुक पत्रिका के लिए " मेरा गावं " स्तम्भ के लिए खासे योगदान के लिए भी प्रसिद्धि मिली।
** पत्रकारिता के प्रयोजन से पंचोली साऊथ अफ्रीका के प्रवास पर रहते, दक्षिण अफीका के पूर्व राष्ट्रपति नेलसन मंडेला की पत्नी और वरिष्ठ राजनयिक विनि मंडेला से साक्षात्कार के, लिए भी ख्याति प्राप्त रहे।
** पुरुषोत्तम पंचोली पत्रकारिता के साथ लेखन में भी लगातार सक्रिय रहे हैं. उनकी कृति " मॉर्निग वॉक " को राजस्थान साहित्य अकादमी ने प्रकाशित किया. हाल ही में उनकी संस्मरण पुस्तक - " करोगे याद तो.. " को इंडिया नेट बुक्स सम्मान हासिल हुआ.
इन दिनों श्री पंचोली पंचोली पत्रकारिता पर दो पुस्तकों के लेखन में जुटे हैं।
** अंतर्राष्ट्रीय स्तर तक लहराया परचम :
देश में राजस्थान में कोटा शहर के निवासी पुरुषोत्तम पंचोली राष्ट्रभाषा हिन्दी को समर्पित व्यक्तित्व के धनी हैं जिन्होंने पत्रकारिता और लेखन में अंतर्राष्ट्रीय स्तर तक परचम लहराया। अंतर्राष्ट्रीय हिन्दी सम्मेलन में विशिष्ट अतिथि के तौर पर मिश्र में सहभागिता करने का गौरवमय पल आपको नसीब हुआ। आप 19 वे अंतरराष्ट्रीय हिंदी सम्मेलन (इजिप्ट – 06 से 17 जून 2022) में विशिष्ट अतिथि के रूप में शामिल हुए। साहित्य के क्षेत्र में दसवीं कक्षा में विद्यालय की वार्षिक पत्रिका के संपादन के रूप में पहला कदम रखा। कॉलेज के ही दिनों में राजस्थान की सबसे बड़ी और सर्वाधिक प्रतिष्ठित साहित्यिक संस्था ” भारतेन्दु समिति कोटा ” के प्रधानमंत्री पद का दायित्व निर्वहन किया और समिति की प्रतिनिधि साहित्य की शौध पत्रिका ” चिदम्बरा “का दो साल तक प्रबंध सम्पादक और चार साल तक प्रधान सम्पादक रहे। आपने समय – समय पर वाणिज्य परिषद की वार्षिक पत्रिका ” विजया ” का और नगर परिषद द्वारा राष्ट्रीय दशहरा मेले के वार्षिक स्मारिका के संपादक रहे। आपको 1979 में तब के ओजस्वी वक्ता और देश के प्रधानमंत्री रहे अटल बिहारी वाजपेयी के साथ ऐतिहासिक विराट जन सभा में भाषण देने का गौरव भी प्राप्त हुआ।
** आपकी कहानियां, कविताएं , समाचार- कथा और रपटें और अनगिनत रचनाएं 1978 से 1999 तक ” धर्मयुग ” , “साप्ताहिक हिन्दुस्तान ” ” दिनमान ” ” रविवार ” , ” सरिता ” , ” मुक्ता ” , ” नवनीत ” , ” कादम्बिनी ” , ” योजना “, “आजकल ” , ” स्वागत ” , मधुमती सहित देश की तकरीबन सभी पत्र- पत्रिकाओं में प्रमुखता से प्रकाशित हुई। आकाशवाणी जयपुर , कोटा के अलावा दूरदर्शन सहित “जी न्यूज ” स्टार टीवी ” आदि चैनल्स में भी इनके कार्यक्रम प्रसारित हुए हैं।
** पत्रकारिता यात्रा का इनके जीवन का वह क्षण यादगार बन गया जब इन्होंने पत्रकारिता के विशेष प्रकल्प के लिए दक्षिणी अफ्रीका के जॉहन्सबर्ग व केपटाउन में रहने वाले नेल्सन मंडेला की बेवा विनी मंडेला से लम्बा साक्षात्कार लिया।
** कक्षा दसवीं में अपने गांव मनोहरथाना में ” राष्ट्रदूत ” के संवाददाता के रूप में पत्रकारिता के क्षेत्र में कदम रखा। यहीं से शुरू हुई इनकी पत्रकारिता की यात्रा। कोटा आने पर कॉलेज में अध्ययन के दौरान झालावाड़ जिले के झालरापाटन नगर से निकलने वाले उस समय के ” ब्लिट्ज़ ” समान तहलका मचा देने वाले अखबार “संजय साप्ताहिक ” के संवाददाता के रूप में कार्य के दौरान भ्रष्टाचार की बखिया उधेड़ने वाली इनकी दो- चार खबरों ने ही इन्हें सम्पादक लालाराम आर्य की आँखों का तारा बना दिया। इनके काम से प्रसन्न हो कर वे इन्हें हर सप्ताह पचास रुपयों का मनीआर्डर कर देते थे जो उस समय में अच्छी राशि होती थी। साथ ही दिल्ली से प्रकाशित होने वाली मासिक पत्रिका ” जाह्नवी ” से जुड़े।
** यात्रा आगे बढ़ी तो “नवभारतटाइम्स” में रिपोर्टर, “जनसत्ता” में पाँच साल तक संभागीय संवाददाता, “भास्कर ” में मुख्य सम्वाददाता और बाद में ” कोटा-प्लस के प्रभारी, हैदराबाद में भारत के सर्वप्रथम बहुभाषी पोर्टल में फीचर सम्पादक, हरियाणा के रोहतक में “हरिभूमि ” दैनिक समाचारपत्र में मुख्य सम्वाददाता व सहायक सम्पादक, मध्यप्रदेश के भोपाल में ” नवभारत ” में फीचर सम्पादक व उप संपादक, एवं “हास-परिहास. कॉम में कंटेंट सम्पादक के रूप में अपनी राष्ट्रीय पहचान कायम करने में सफल रहे। इन्होंने कोटा में दस वर्ष से अधिक समय तक स्वयं के पाक्षिक पत्र ” शब्द युद्ध ” का संपादन किया। पत्रकारिता में अनेक संवाद ,स्तंभ एवं आलेख सहित ललित निबंध निरन्तर प्रकाशित होते हैं। आपने कोटा प्रेस क्लब के सचिव के रूप में क्लब को गति प्रदान की।
परिचय :
पुरुषोत्तम पंचोली जी का जन्म 15 जुलाई 1957 को झालावाड़ जिले के मनोहरथाना गांव में हुई। यहीं पर उनकी प्रारंभिक और माध्यमिक शिक्षा भी हुई और ये कोटा आ गए जहां इन्होंने उच्च शिक्षा प्राप्त की। आपने कामर्स कॉलेज कोटा से कामर्स में बेमन से स्नातक किया बाद में राजस्थान विश्वविद्यालय जयपुर से प्रथम श्रेणी में हिंदी से स्नातकोत्तर की डिग्री प्राप्त कर रजक पदक प्राप्त किया। कहते हैं पढ़ने की कोई उम्र नहीं होती, साठ वर्ष की उम्र में इन्होंने गॉधी-दर्शन में स्नातकोत्तर की डिग्री स्वर्ण पदक के साथ प्राप्त की। आपने जर्मनी के बर्लिन विश्वविद्यालय से पत्रकारिता की विद्या में प्रशिक्षण प्राप्त किया। कॉमर्स कालेज में ये छात्रसंघ के अध्यक्ष भी रहे।
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डॉ. प्रभात कुमार सिंघल, कोटा

और फिरऔन के आदमियों को तुम्हारे देखते-देखते डुबो दिया और (वह वक़्त भी याद करो) जब हमने मूसा से चालीस रातों का वायदा किया था और तुम लोगों ने उनके जाने के बाद एक बछड़े को (परसतिश के लिए खु़दा) बना लिया

 और फिरऔन के आदमियों को तुम्हारे देखते-देखते डुबो दिया और (वह वक़्त भी याद करो) जब हमने मूसा से चालीस रातों का वायदा किया था और तुम लोगों ने उनके जाने के बाद एक बछड़े को (परसतिश के लिए खु़दा) बना लिया (51)
हालाँकि तुम अपने ऊपर ज़ुल्म जोत रहे थे फिर हमने उसके बाद भी तुम से दरगुज़र की ताकि तुम शुक्र करो (52)
और (वह वक़्त भी याद करो) जब मूसा को (तौरेत) अता की और हक़ और बातिल को जुदा करनेवाला क़ानून (इनायत किया) ताकि तुम हिदायत पाओ
(53)

और (वह वक़्त भी याद करो) जब मूसा ने अपनी क़ौम से कहा कि ऐ मेरी क़ौम तुमने बछड़े को (ख़ुदा) बना के अपने ऊपर बड़ा सख़्त जु़ल्म किया तो अब (इसके सिवा कोई चारा नहीं कि) तुम अपने ख़ालिक की बारगाह में तौबा करो और वह ये है कि अपने को क़त्ल कर डालो तुम्हारे परवरदिगार के नज़दीक तुम्हारे हक़ में यही बेहतर है, फिर जब तुमने ऐसा किया तो खु़दा ने तुम्हारी तौबा क़ुबूल कर ली बेशक वह बड़ा मेहरबान माफ़ करने वाला है (54)
और (वह वक़्त भी याद करो) जब तुमने मूसा से कहा था कि ऐ मूसा हम तुम पर उस वक़्त तक ईमान न लाएँगे जब तक हम खु़दा को ज़ाहिर बज़ाहिर न देख ले उस पर तुम्हें बिजली ने ले डाला, और तुम तकते ही रह गए (55)
फिर तुम्हें तुम्हारे मरने के बाद हमने जिला उठाया ताकि तुम शुक्र करो (56)
और हमने तुम पर अब्र का साया किया और तुम पर मन व सलवा उतारा और (ये भी तो कह दिया था कि) जो सुथरी व नफीस रोजि़या तुम्हें दी हैं उन्हें शौक़ से खाओ, और उन लोगों ने हमारा तो कुछ बिगाड़ा नहीं मगर अपनी जानों पर सितम ढाते रहे (57)
और (वह वक़्त भी याद करो) जब हमने तुमसे कहा कि इस गाँव (अरीहा) में जाओ और इसमें जहाँ चाहो फराग़त से खाओ (पियो) और दरवाज़े पर सजदा करते हुए और ज़बान से हित्ता बखि़्शश कहते हुए आओ तो हम तुम्हारी ख़ता ये बख़्श देगे और हम नेकी करने वालों की नेकी (सवाब) बढ़ा देगें (58)
तो जो बात उनसे कही गई थी उसे शरीरों ने बदलकर दूसरी बात कहनी शुरू कर दी तब हमने उन लोगों पर जिन्होंने शरारत की थी उनकी बदकारी की वजह से आसमानी बला नाजि़ल की (59)
और (वह वक़्त भी याद करो) जब मूसा ने अपनी क़ौम के लिए पानी माँगा तो हमने कहा (ऐ मूसा) अपनी लाठी पत्थर पर मारो (लाठी मारते ही) उसमें से बारह चश्में फूट निकले और सब लोगों ने अपना-अपना घाट बखूबी जान लिया और हमने आम इजाज़त दे दी कि खु़दा की दी हुयी रोज़ी से खाओ पियो और मुल्क में फसाद न करते फिरो (60)

23 जनवरी 2025

ज्योति मित्रों के घरों में शोक,नेत्रदान हुआ संपन्न

 ज्योति मित्रों के घरों में शोक,नेत्रदान हुआ संपन्न
2. शाइन इंडिया के सहयोग से,शहर में 24 घंटों में तीन नेत्रदान

शाइन इंडिया फाउंडेशन के नेत्रदान जागरुकता अभियान से बीते 24 घंटे में तीन देवलोक-गामियों के नेत्रदान का कार्य संपन्न हुआ ।

बुधवार शाम को रामपुरा निवासी रविंद्र, सुनील और दिलीप के पिताजी श्री महावीर प्रसाद जैन का  आकस्मिक निधन हो गया, तीनों बेटे काफी समय से शाइन इंडिया फाउंडेशन के साथ जुड़कर कार्य कर रहे हैं, दु:खद घटना का पता चलते ही,संस्था को संपर्क कर पिताजी का नेत्रदान का कार्य संपन्न करवाया।

इसी क्रम में भारत विकास परिषद, विवेकानंद शाखा के नेत्रदान प्रभारी पी के शर्मा ने बताया कि,आज स्टेशन क्षेत्र निवासी विशाल,विकास व विनीत के पिताजी ओमप्रकाश विजय (किराना व्यवसायी) का आकस्मिक निधन हुआ, नेत्रदान के प्रति पहले से ही परिवार जागरूक था,अत: संस्था के ज्योति मित्र डॉ नवीन गोयल के माध्यम से संस्था को संपर्क कर नेत्रदान का कार्य संपन्न करवाया ।

इसी नेत्रदान के ठीक उपरांत संस्था के ज्योति मित्र हेमंत अजवानी के पिताजी चंद्र प्रकाश अजवानी का आकस्मिक निधन हुआ । चंद्र प्रकाश ने पूर्व में ही संस्था के साथ नेत्रदान संकल्प पत्र भरा हुआ था, शोकाकुल परिवार के सदस्यों ने तुरंत ही पिताजी की अंतिम इच्छा को जानते हुए नेत्रदान का कार्य संस्था के माध्यम से संपन्न करवाया ।

संस्था संस्थापक डॉ कुलवंत गौड़ नहीं बताया कि इस माह अभी तक, संस्था के सहयोग से,40 नेत्रों का संकलन किया जा चुका है ।

कोटा सहित पुरे राजस्थान में ,, ट्रांसफ़रों की उथल पुथल से खलबली मची हैं , ,खेर कांग्रेस तो चुप है , लेकिन इस बार भाजपा की सरकार में , ट्रांसफर लिस्ट में भाजपा का राजनितिक चेहरा दागदार हुआ है

 

कोटा सहित पुरे राजस्थान में ,, ट्रांसफ़रों की उथल पुथल से खलबली मची हैं , ,खेर कांग्रेस तो चुप है , लेकिन इस बार भाजपा की सरकार में , ट्रांसफर लिस्ट में भाजपा का राजनितिक चेहरा दागदार हुआ है , खासकर कोटा के शीर्ष नेतृत्व के बारे में जो ,, निष्पक्ष , उदार ,, सहयोगात्मक रुख की धारणा बनी हुई थी, वोह तार तार हो गई , उनके साथ रहने वाले , उनके गुणगान करने वाले , मुस्लिम समाज के कुछ चहेते अब उनसे मुलाक़ातों के नाम पर , उनके भक्त होने के बाद भी , समाज के लोगों में बात चीत के दौरान पल्ला झाड़ते नज़र आ रहे हैं , कोटा में , हर विभाग चाहे सार्वजनिक निर्माण विभाग हो , चिकित्सा विभाग हो , या फिर नगर निगम हो , दूसरे विभाग हों , ,ट्रांसफर लिस्ट में , मुस्लिम समाज के कर्मचारियों , अधिकारीयों को टारगेट करते हुए , दूर दराज़ इलाक़े में फेंका गया , इनमे वोह कर्मचारी भी शामिल है , जो इन शीर्ष नेतृत्व के नेता जी , इनके परिवार और कार्यर्कताओं की टीम के एक फोन पर , खड़े हो जाते थे , सभी तरह के काम करते थे , और नेता जी के निकटतम होने का दम्भ भरते थे , लेकिन कोटा में एक तरफा ,, टार्गेटिव ट्रांसफर लिस्टों से ,,भाजपा सरकार का एक नया चेहरा सामने आया है ,, भाजपा का चेहरा तो अलग है , लेकिन उदार, निष्पक्ष नेता की छवि वाले शीर्ष लीडरशिप पर भी प्रश्न चिन्ह लग रहा है , हालांकि कुछ लोग ऐसे भी हैं , जो टार्गेटिव ट्रांसफर समाज के लोगों के होने के बावजूद भी इस सच को स्वीकार नहीं कर रहे हैं , और चम्पी गिरी के दौरान , सिर्फ एक ही जुमला कह रहे हैं , के यह लिस्ट , कोटा के एक कटटरपंथी कहे जाने वाले मंत्री जी की है , इससे हमारे लीडर का क्या लेना देना , जबकि उक्त लीडर महोदय को सभी जानते हैं वोह कहते है फिर करते हैं, लॉजिकली करते हैं, ,एक साहब कहते हैं , में तो उनसे दूर दूर ही था , ,, खेर सभी जानते हैं , जिन नेता को कटटरपंथी कहकर वोह अपना पल्ला झाड़ कर आरोपित कर रहे हैं , वोह नेता जी कोटा की किसी भी पचड़े में पढ़ने वाले नहीं हैं , उनका विभाग तो अलग है , अभी तो उनके विभाग में ट्रांसफर शुरू ही नहीं हुए , ट्रांसफर तो अलग बात है , लेकिन अब वक़्फ़ सम्पत्तियों पर भी हमले हो रहे हैं ,, ,, वक़्फ़ की करोड़ों की सम्पत्ति पर जहाँ कुछ कारोबारियों के पास किराये पर थी , कुछ क़ब्ज़ेदार जो वक़्फ़ की सम्पत्ति खुद को मालिक बताकर क़ब्ज़े में रखे हुए हैं , वोह सम्पत्ति तक ,, नगर निगम ने ताले लगाकर सील कर दी है , लेकिन ,,शीर्ष नेतृत्व की उदारता को फिर से पुनर्जीवित करने के लिए कुछ बुद्दिजीवी समाज के लोग , सम्भवत उनसे मिलकर , इस दर्द , इस पीड़ा के बारे में चर्चा करने की योजना बना रहे हैं , क्योंकि शीर्ष नेतृत्व की उदारता ऐसी निष्ठुरता , टार्गेटिव हो सकती है , इस मामले में बुद्धिजीवी वर्ग को अभी भी यक़ीन नहीं हो पा रहा हैं , देखते हैं , एक ब्रेक के बाद , वैसे एक सुझाव भी बार बार आ रहा है , के शीर्ष नेतृत्व से तो मिलो ही सही , पीड़ा बताओ , लेकिन हज़ार हज़ार का समूह बनाकर, जो लोग उदार शीर्ष नेतृत्व के प्रचारक , समर्थक होकर खुले रूप से साथी हैं , उनके घरों पर ,, पारिवारिक , सामाजिक सदस्य होने के नाते , जाकर बैठें , दिन भर ,,,धरनार्थी की तरह बैठकर , उन्हें मजबूर करे के वोह अपने समाज की आवाज़ अपने शीर्ष नेतृत्व जिसे वोह मानते हैं , वहां तक पहुंचायें तो सही , मानना ना मानना तो उनके हाथ की बात है, वोह स्वीकार तो करें के गलत , हुआ है , ना इंसाफ़ी हुई है , राजनीति में , पार्टियां होती हैं , विचारधाराएं होती है , ,चुनाव होते हैं , वोटिंग होती है , प्रचार होते हैं , हार जीत होती है , लेकिन टार्गेटिव बदला , वोह भी कर्मचारियों से ,,दो पांच दस प्रतिशत तक तो होता है , लेकिन एक वर्ग विशेष के साथ सो फीसदी टार्गेटिव बदला , ट्रांसफर ,,राजनीति की अच्छी शुरुआत नहीं है ,,कुछ लोग मुस्लिम वर्ग के इन लोगों को उकसाते नज़र आते हैं , कहते हैं के आपके चहेते नेता, आपके वोटों से जीतने वाले नेता की उगाई हुई यह फसल है, कोंग्रेस कार्यकाल में यह नेता जी, वर्तमान शीर्ष भाजपा नेतृत्व के ट्रांसफर सहित सभी काम बिना ना नुकुर के करते रहे हैं , ऐसे में उनसे भी कहलवा कर तो देखें, कुछ कहते हैं, ज़मीन से जुड़े शेर दिल कहे जाने वाले नेता जो लोकसभा उम्मीदवार रहे हैं, वोह भी सार्वजनिक रूप से इस मुद्दे पर दहाड़ तो सुनाएं, ,खेर देखिये , कांग्रेस की लीडरशिप तो शायद इस बारे में , पूर्व की तरह एक शब्द भी नहीं कहेगी , विधानसभा में भी कोटा के लीडर शायद इस अन्याय , टार्गेटिव गुस्से को चर्चा का विषय नहीं बनाएं , लेकिन ,,,,,,,,,,,शीर्ष नेतृत्व की उदारता की ,, उन्हें याद दिलाकर फिर से , पुनर्जीवित करने के सात्विक , लोकतान्त्रिक , अपनेपन की व्यवस्था के तहत जो भी प्रयास हों , वोह तो लोग कर ही सकते हैं ,, देखते हैं एक ब्रेक के बाद , ,, अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान 9829086339

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