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25 फ़रवरी 2025

विजया एकादशी पर नेत्रदान करके आंखों को अमर बना गई राजी बाई गुप्ता

 विजया एकादशी पर नेत्रदान करके आंखों को अमर बना गई राजी बाई गुप्ता



मरणोपरांत राजी बाई की आंखों से दो लोगों को मिलेगी नई नेत्र ज्योति-



फाल्गुन माह की विजया एकादशी अमरता का पर्व है एवं नेत्रदान दृष्टि को अमर बनाने का एकमात्र माध्यम है। इसलिए संभाग में नेत्रदान के प्रति सकारात्मकता लगातार बढ़ती जा रही है एवं मृत्यु के समय प्रेरित करने पर परिजन अब नेत्रदान के लिए सहर्ष तैयार होने लगे हैं।

नगरपालिका पार्षद राजकुमार गुप्ता ने बताया कि भवानीमंडी के पूर्व निवासी भैरूलाल गुप्ता की माताजी राजी बाई गुप्ता के कोटा में निधन होने के बाद शाइन इंडिया फाउंडेशन के नगर संयोजक एवं भारत विकास परिषद के नेत्रदान प्रभारी कमलेश गुप्ता दलाल ने मृतक के परिवार से नेत्रदान के लिए बात की एवं शिक्षित परिवार होने के कारण तुरंत नेत्रदान की सहमति हो गई, राजी बाई की उम्र अधिक होने पर भी फोटो परीक्षण में कॉर्निया उपयुक्त पाए जाने पर शाइन इंडिया फाउंडेशन के डॉ कुलवंत गौड़ एवं आई बैंक सोसाइटी ऑफ राजस्थान के टेक्नीशियन टिंकू ओझा ने मृतक के घर पहुंचकर सभी परिवारजनों के सामने नेत्रदान प्रक्रिया संपन्न करके कॉर्निया प्राप्त किया। नेत्रदान के समय महिलाएं और बच्चे भी उपस्थित थे।

राजी बाई का कॉर्निया अच्छा पाया गया है, जिसे आई बैंक सोसाइटी ऑफ राजस्थान जयपुर को भिजवा दिया गया है, जहां यह दो नेत्रहीनों को नई रोशनी देने में सहायक हो सकेगा, जिससे वे फिर से इस सुंदर सृष्टि को देख सकें।

पार्षद राजकुमार गुप्ता ने बताया कि राजी बाई भवानीमंडी के नेत्रदान कार्यक्रम से प्रभावित रही है एवं उन्होंने पहले से ही अपने नेत्रदान का संकल्प किया हुआ था।

डॉ कुलवंत गौड़ ने बताया कि अधिक उम्र होने पर फोटो परीक्षण से कॉर्निया उपयुक्त होने पर ही नेत्रदान लिया जाता है जिसे प्राप्त नेत्रदान का शत प्रतिशत सही उपयोग हो।



प्रेषक.

शाइन इंडिया फाउंडेशन

गायत्री मंत्र,वेदमन्त्रों के साथ आयुर्वेद मेडिकल कॉलेज को मिला पहला देहदान

  गायत्री मंत्र,वेदमन्त्रों के साथ आयुर्वेद मेडिकल कॉलेज को मिला पहला देहदान
2. 300 से अधिक भावी आयुर्वेद चिकित्सकों ने नत- मस्तक होकर स्वीकार किया देहदान

मेरा जन्म वाहे गुरू जी का दिया हुआ,मेरी मृत्यु के बाद भी मेरा शरीर समाज या देश के काम आ सके यही मेरा सौभाग्य होगा । ऐसी सोच थी,स्टेशन रोड निवासी,रेल्वे विभाग से सेवानिवृत सरदार ओम प्रकाश सिंह की। सेवा को पूजा मानने वाले सरदार ओमप्रकाश काफी मेहनती, ईमानदार और निस्वार्थ भाव से जीवन बिताने वाले व्यक्ति थे ।

बीते 15 दिन से ओमप्रकाश जी का स्वास्थ्य ठीक नहीं चल रहा था, उन्होंने देहदान का कोई संकल्प पत्र भी नहीं भरा हुआ था, परंतु अपनी देहदान करने की इच्छा,दोनों बेटों अमरजीत (ऑटो चालक) और चरणजीत (शिक्षक) को बता दी थी । उन्होंने यह भी कहा था कि, देहदान से व्यर्थ पेड़ नहीं जलेंगे,अनावश्यक की क्रियाओं में पैसा व्यर्थ नहीं होगा, रिश्तेदारों का शोक में आने जाने में भी उनका समय और पैसा बचेगा ।

पिता जी की अंतिम इच्छा जान,चरणजीत ने काफी समय पहले से ही शाइन इंडिया फाउंडेशन के डॉ कुलवंत गौड़ से देहदान के संदर्भ में पूरी जानकारी ले ली थी, आज जब उनका देवलोक गमन हुआ, तो उन्होंने तुरंत ही डॉ गौड़ के बताए हुए दिशा निर्देशों को मानते हुए, रानपुर स्थित राजकीय आयुर्वेद,योग एवं प्राकृतिक चिकित्सा महाविद्यालय में पिता के पार्थिव देह को दान किया ।

आयुर्वेदिक महाविद्यालय में मृत-देह के पहुँचते ही परिसर में कोटा के साथ साथ अकलेरा,झुंझुनू भरतपुर के आयुर्वेद एवं योग महाविद्यालय से आये 300 से अधिक भावी आयुर्वेद चिकित्सकों ने ओमप्रकाश जी के पार्थिव देह पर पुष्पवर्षा की,साथ ही वेद मंत्र,गायत्री मंत्र और महामृत्युंजय मंत्र के उच्चारण के साथ देह को स्वीकार किया । उपस्थित भावी चिकित्सकों व कॉलेज के सभी स्टाफ,चिकित्सकों ने सिर झुका कर देहदान करने वाले परिवार का अभिवादन किया ।

महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ नित्यानंद शर्मा, शरीर रचना विभाग अध्यक्ष डॉ निरंजन गौतम,और पूर्व प्राचार्य डॉ विष्णु चंद जोशी ने देहदानी परिवार का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि,देहदानी का एक शरीर अमूक शिक्षक के रूप में,पांच दस सालों तक,अध्ययन के काम आता है । प्रदोष और विजया एकादशी के दिन इस पुण्य कार्य का संपन्न होना देहदानी को मोक्ष की प्राप्ति देता है ।

देहदान के समय पर महाविद्यालय के काफी सारे चिकित्सक डॉ प्रेम सिंह माली,डॉ ओमप्रकाश गुप्ता,डॉ मनीष मीणा,डॉ बृजराज मालव, डॉ श्याम स्वरूप मीना,डॉ मांडवी गौतम डॉ शकुन्तला नागर,डॉ रंगोली चौहान, डॉ सुरभि पंकज, संस्कृत टीचर निलेश जोशी,डॉ विनोद मीणा उपस्थित थे ।

नफरत के खिलाफ मोहब्बत के जंगजू सिपाही , एडवोकेट अरविन्द भारद्वाज का आज आकस्मिक निधन हो गया ,

 

नफरत के खिलाफ मोहब्बत के जंगजू सिपाही , एडवोकेट अरविन्द भारद्वाज का आज आकस्मिक निधन हो गया , उनका अंतिम संस्कार कल जयपुर में होगा,बकोटा मूल के निवासी प्रेक्सिशेंर एडवोकेट अरविन्द भारद्वाज पिछले कई सालों से जयपुर हाईकोर्ट में प्रेक्टिस करने के कारण जयपुर शिफ्ट हो गए थे , वोह कोटा में शनिवार को न्यायालयों में उपस्थित होते रहे हैं , उनके आकस्मिक निधन से कोटा के समाजवादी , इन्साफपरस्त , साम्प्रदायिक सद्भाव , राष्ट्रिय एकता , क़ौमी एकता के लिए काम करने वाले सभी वर्ग में शोक की लहर दौड़ गई है ,, कोटा ही नहीं राजस्थान में एक जाना पहचाना नाम अरविन्द भारद्वाज ,, जो हमेशा मूल्यों , सिद्धांतों के लिए संघर्ष करते रहे ,, नफरत के खिलाफ मोहब्बत की जंग में अपना सब कुछ गंवा देने वाले भाई अरविन्द भारद्वाज खुद एक स्वतंत्रता सेनानी स्वर्गीय लीलाधर जी भारद्वाज के सुपुत्र थे , उन्होंने , शैक्षणिक कार्यकाल से ही , समाजसेवा क्षेत्र से जुड़कर , गरीब , दलित , अल्पसंख्यक ,. ज़रूरतमंदो ,, पीड़ितों को न्याय दिलाने का संकल्प लिया ,खुद ने वकालत पास कर , कोटा में ही वकालत शुरू की , समाजवादी विचारक होने से वोह सभी वर्ग के लोगों में अमीरी गरीबी , छोटे बढे का भेदभाव भुलाकर बढे प्यार से मुलाक़ात करते थे , कोटा से राज्य सभा सदस्य रहे , मौलाना असरारुल हक़ के वोह निकटतम थे , उनकी क़ौमी एकता की तंज़ीम से वोह लगातार जुड़े रहे , जब जब भी कोटा में ज़ुल्म , ज़्यादतियां बढ़ी , वोह सबसे पहले , सबसे आगे इन्साफ का झंडा लेकर , खुलकर मैदान में जंगजू सिपाही बनकर सामने क्खदे नज़र आये , हज़ारों हज़ार प्रताड़ित लोगों को उन्होंने इंसाफ दिलाया , कई बेगुनाहों को , जेल से छुड़वाया ,, दंगे , फसादात के माहोल में अरविन्द भारद्वाज ने , नफरत के खिलाफ मोहब्बत की जंग की शुरुआत की , क़ौमी एकता संगठन के नाम से गाँधीवादी विचारक व्यवस्था के तहत , वोह हमेशा इंसान से इंसानियत को जोड़ने , भाई से भाई को जोड़ने के प्रयासों में लगे रहे , क़ौमी एकता की हज़ारों बैठकों में उन्होंने मोहब्बत का संदेश दिया , नफरत के माहौल को , प्यार में बदलने की उनकी कला ही थी के उन्हें हर जगह जब जब भी , नफरत का माहौल होता था , मोहब्बत का माहौल बनाने के लिए खुद जिला प्रशासन द्वारा भी बुलाया जाता था ,वोह कामयाब भी होते थे , अरविन्द भारद्वाज , स्वतंत्रता सेनानी के पुत्र होने के नाते , स्वभाव से भी , आज़ाद भारत के गुलाम माहौल में ,,आज़ादी के सिपाही की तरह ही , ज़ुल्म के खिलाफ , ज़ालिमों के खिलाफ जंग लड़ते रहे , कोटा में जब दंगे फसाद का माहौल हुआ ,पुलिस का एक तरफा ज़ुल्म ज़्यादतियों का माहौल बना, कोटा में एक तरफा टाडा के मुक़दमों की भरमार हो गई , घर घर से लोगों को उठाकर ,जेलों में ठूसा जाने लगा , जब अरविन्द भारद्वाज ने , कॉमरेड अब्दुल हमीद मुन्ना भाई , कॉमरेड अब्दुल वहीद , ब्रह्ममानन्द शर्मा सहित कई साथियों के साथ , आंदोलन छेड़ा और कोटा के इतिहास में कलेक्ट्रेट के बाहर महिलाओं का वोह सबसे लम्बे समय तक चलने वाला धरना रहा , प्रशासन ने उन्हें धमकाया , मुक़दमों में फंसाने की धमकियां दिन , लेकिन वोह तो सिपाही थे , इंसाफ के लिए लड़ते थे , डरने , रुकने का वोह कभी सोच भी नहीं सकते थे , सरकार में भी उनकी ओहदों पर बैठे लोगों से खुसूसी पहचान थी , कई बार उन्हें सरकार की व्यवस्था में शामिल करने के निमंत्रण मिले लेकिन उन्होंने ठुकरा दिया , वोह कहते थे के गले में पट्टा बंधा और इंसाफ के खिलाफ उठने वाली आवाज़ हलक़ में ही घुट जायेगी , ,बहतरीन तार्किक क्षमता वाले वकील के रूप में उनकी पहचान थी , क़ानून के बहतरीन जानकार थे , वोह हाल ही में , अशोक गहलोत के साथ जुड़कर गांधी विचारक के रूप में काम कर रहे थे , स्वराज के नाम पर वोह फिर से लोगों को प्रेरित कर रहे थे , भ्रष्टाचार , नफरत , मिलावट ,, अव्यवस्थाओं के खिलाफ वोह अपनी टीम के साथ पुरे राजस्थान में जिला स्तरीय कार्यकम कर मोहब्बत और इंसाफ़ का पैगाम देने में जुटे थे , पिछले दिनों जब कोटा में , राहुल गांधी भारत जोड़ो यात्रा के दौरान पदयात्रा पर थे , तब उनके साथ भारत जोड़ो अभियान के वोह भी क़दमताल मिलते हुए प्रेरक बने , छोटे वकील साथियों के लिए वोह प्रेरणा थे ,तो बढे वकील साथियों के लिए वोह लाडले थे, उनके दुलारे थे ,कोटा रामपुरा पोस्ट ऑफिस के सामने उनका पुराना ऑफिस आज भी है , जबकि जयपुर में वोह उनके पुत्र के साथ वकालत से जुड़े हुए थे , लेकिन काल के क्रूर हाथों ने , उन्हें हमसे छीन लिया ,, नफरत के खिलाफ आज जब मोहब्बत के पैगाम की ,मोहब्बत की जंग की इस देश को ज़रूरत थी , तब यह जंगजू सिपाही हमसे चीन लिया गया ,, ,खुदा से दुआ है , के उन्हें स्वर्ग में बहतरीन स्थान मिले , उनके परिजनों को सब्र मिले , उनके जूनियर , सहयोगी साथियों को हिम्मत मिले , और अरविन्द भारद्वाज का संदेश , मोहब्बत , क़ौमी एकता , भ्रष्टाचार मुक्त, अहिंसा का अलमबरदार भारत बनाने का सपना साकार कर , इस भारत को विश्व के नक़्शे में अव्वल बनाना है , इस सपने को वोह साकार करने के प्रयासों में जुटें ,, कोटा में उनके निधन से वकालत क्षेत्र में , समाजसेवा क्षेत्र में , स्वराज मेरा जन्म सिद्ध अधिकार है , सर्वोदय आन्दोलन ,, नफरत के खिलाफ मोहब्बत की जंग के अभियान को धक्का लगा है , जयपुर में भी उनके निधन से अपूरणीय क्षति हुई है , ईश्वर ,, अल्लाह उनकी रूह , आत्मा को शांति दे , ,,,अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान 9829086339

बेशक जिन लोगों ने कुफ्रइखि़्तयार किया और कुफ्रकी हालत में मर गये तो अगरचे इतना सोना भी किसी की गुलू ख़लासी {छुटकारा पाने} में दिया जाए कि ज़मीन भर जाए तो भी हरगिज़ न कु़बूल किया जाएगा यही लोग हैं जिनके लिए दर्दनाक अज़ाब होगा और उनका कोई मददगार भी न होगा

 बेशक जिन लोगों ने कुफ्रइखि़्तयार किया और कुफ्रकी हालत में मर गये तो अगरचे इतना सोना भी किसी की गुलू ख़लासी {छुटकारा पाने} में दिया जाए कि ज़मीन भर जाए तो भी हरगिज़ न कु़बूल किया जाएगा यही लोग हैं जिनके लिए दर्दनाक अज़ाब होगा और उनका कोई मददगार भी न होगा (91)
(लोगों) जब तक तुम अपनी पसन्दीदा चीज़ों में से कुछ राहे ख़ुदा में ख़र्च न करोगे हरगिज़ नेकी के दरजे पर फ़ायज़ नहीं हो सकते और तुम कोई (92)
सी चीज़ भी ख़र्च करो ख़ुदा तो उसको ज़रूर जानता है तौरैत के नाजि़ल होने के क़ब्ल याकू़ब ने जो जो चीज़े अपने ऊपर हराम कर ली थीं उनके सिवा बनी इसराइल के लिए सब खाने हलाल थे (ऐ रसूल उन यहूद से) कह दो कि अगर तुम (अपने दावे में सच्चे हो तो तौरेत ले आओ (93)
और उसको (हमारे सामने) पढ़ो फिर उसके बाद भी जो कोई ख़ुदा पर झूठ तूफ़ान जोड़े तो (समझ लो) कि यही लोग ज़ालिम (हठधर्म) हैं (94)
(ऐ रसूल) कह दो कि ख़ुदा ने सच फ़रमाया तो अब तुम मिल्लते इबराहीम (इस्लाम) की पैरवी करो जो बातिल से कतरा के चलते थे और मुशरेकीन से न थे (95)
लोगों (की इबादत) के वास्ते जो घर सबसे पहले बनाया गया वह तो यक़ीनन यही (काबा) है जो मक्के में है बड़ी (खै़र व बरकत) वाला और सारे जहान के लोगों का रहनुमा (96)
इसमें (हुरमत की) बहुत सी वाज़े और रौशन निशानिया हैं (उनमें से) मुक़ाम इबराहीम है (जहाँ आपके क़दमों का पत्थर पर निशान है) और जो इस घर में दाखि़ल हुआ अमन में आ गया और लोगों पर वाजिब है कि महज़ ख़ुदा के लिए ख़ानाए काबा का हज करें जिन्हे वहां तक पहुँचने की इस्तेताअत है और जिसने बावजूद कु़दरत हज से इन्कार किया तो (याद रखे) कि ख़ुदा सारे जहान से बेपरवाह है (97)
(ऐ रसूल) तुम कह दो कि ऐ अहले किताब खुदा की आयतो से क्यो मुन्किर हुए जाते हो हालांकि जो काम काज तुम करते हो खु़दा को उसकी (पूरी) पूरी इत्तेला है (98)
(ऐ रसूल) तुम कह दो कि ऐ अहले किताब दीदए दानिस्ता (जान बुझ कर) खुदा की (सीधी) राह में (नाहक़ की) कज़ी ढॅूढो (ढूढ) के ईमान लाने वालों को उससे क्यों रोकते हो ओर जो कुछ तुम करते हो खु़दा उससे बेख़बर नहीं है (99)
ऐ ईमान वालों अगर तुमने एहले किताब के किसी फि़रके़ का भी कहना माना तो (याद रखो कि) वह तुमको ईमान लाने के बाद (भी) फिर दुबारा काफि़र बना छोडेंगे (100)

 

भारत जोड़ो यात्रा में मौलाना फज्ले हक़ व धर्मगुरुओं के साथ 20 मिनट चले राहुल गांधी , साथ में तराना भी गाया :
*सारे जहाँ से अच्छा हिन्दुस्तान हमारा, मज़हब नहीं सिखाता आपस में बैर रखना हिन्दी हैं हम वतन है हिन्दुस्तान हमारा ।*
कोटा, 10 दिसम्बर
पीस मिशन सोसाइटी के संस्थापक मौलाना फज्ले हक़ के नेतृत्व में केशवराय पाटन में हिन्दू, मुस्लिम, सिख, इसाई धर्मगुरुओं का प्रतिनिधि मण्डल भारत जोड़ो यात्रा में राहुल गांधी के साथ 20 मिनट चला।
मौलाना फज्ले हक़ के साथ प्रतिनिधी मण्डल में पण्डित अरविन्द भारद्वाज, गुरुनाम सिंह सिख धर्माचार्य गुरुद्वारा अमगढ़ बून्दी रोड, चन्दन चन्द्रा फादर CNIचर्च कोटा।
चारोंधर्मगुरुओं ने अम्न शान्ति का प्रतीक सफ़ेद झंडा राहुल गांधी को भेंट कर आशीर्वाद दिया , साथ में तराना भी गाया *सारे जहाँ से अच्छा हिन्दुस्तान हमारा, मज़हब नहीं सिखाता आपस में बैर रखना हिन्दी हैं हम वतन है हिन्दुस्तान हमारा ।*
व अभिनन्दन पत्र भी भेंट किया जिसमें अभिनन्दन करते हुए लिखा है कि भारत जोड़ो यात्रा उस समय प्रारम्भ हुई जब भारतीय जन मानस को साम्प्रदायिक उन्वाद की तरफ धकेला जा रहा है।
नफरत के माहौल को प्यार मोहब्बत भाईचारे , व साम्प्रदायिक सौहार्द में
बदलने के लिए आपको शुभकामनाएं ।
राहुल गांधी ने धर्मगुरुओ से आह्वान किया हर धर्म की शिक्षा मानवता की सेवा है इस सेवा में धर्मगुरुओं का बड़ा योगदान है । सब धर्मगुरुओं से इस सम्बन्ध में सलाह ली।
धर्मगुरुओं ने उनकी सराहना करते हुए कहा कि हम सब मिलकर मानवता के धर्म को बढ़ायेंगे । देश से नफ़रत के माहौल को मिटाकर प्यार मोहब्बत का पैगाम जन-जन तक पहुँचाएँगे ।
- पण्डित अरविन्द भारद्वाज
सचिव पीस मिशन
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