देश भर में वक़्फ़ क़ानून में संशोधन और वक़्फ़ क़ानून का नाम बदलने को लेकर , केंद्र में नरेंद्र मोदी जी की सरकार ने , करोड़ों करोड़ रूपये खर्च किये , कई कर्मचारियों , विशेषज्ञों , विधि सलाहकारों को काम पर लगाया , लेकिन सुप्रीमकोर्ट में वोह बिना किसी तय्यारी के थे और उन्हें , आखिर में संवैधानिक मामले में लाजवाब होने पर , एक सप्ताह का वक़्त सुप्रीमकोर्ट से लेना पढ़ा , यह क़ानून , संविधान और सुप्रीमकोर्ट का मज़ाक़ ही है , ,, एक सरकार , अपने सारे काम काज छोड़कर सिर्फ वक़्फ़ क़ानून को ड्राफ्ट करने के लिए सारे तामझाम लगा देती है , विशेषज्ञों की राय लेती है , फिर कमेटी में पास करवाती है ,, और संसद में इसे पारित करवाने के लिए बढे जोश के साथ आती है , फिर सरकार एक क़दम पीछे हटती है , और प्रस्तावित वक़्फ़ संशोधित क़ानून को, जे पी सी के हवाले करती है , सदस्य बनाये जाते है , जे पी सी गठित होती है , देश भर में सुनवाई होती है , लाखों लाख रूपये विज्ञापन , यात्रा भत्तों और दूसरे मदों में खर्च किये जाते हैं , फिर जे पी सी संशोधित ड्राफ्ट बनाती है , अचानक केंद्र सरकार इस संशोधित ड्राफ्ट को पारित कराने के लिए , इसे संसद में रखती है , मांडोली होती है , आंध्रा और बिहार के लिये, विशेष पैकेज की घोषणाएं करती है , व्हिप जारी होते हैं , बहस होती है , वोटिंग होती है , ,और वक़्फ़ बिल पास हो जाता है , राज्य सभा में भी पारित हो जाता है , देश के सर्वोच्च न्यायालय के जजों को नियुक्त करने वाले महामहिम राष्ट्रपति से जुड़े विधि विभाग में यह बिल देश भर में लागू करने के लिए भेज दिया जाता है , महामहीम राष्ट्रपती महोदया इस बिल का पूरा संवैधानिक प्रावधानों के तहत परीक्षण करवाए बगैर , एक यांत्रिक तरीके से उसे अधिसूचित कर पूरे देश में लागू करवाने का हुक्म जारी कर देती हैं , ,केंद्र सरकार इस मामले में सरकारी वकीलों की फौज के ज़रिये सुप्रीमकोर्ट में केवियट लगवाती है , यानी , इस मुद्दे पर सरकार ने करोड़ों करोड़ खर्च किये इसे लागू करने के पूर्व पूरी स्टडी की और संबंधित विधि विभाग , संविधान विशेषज्ञों ,, खुद लोकसभा अध्यक्ष से जुड़े कार्यालय कर्मचारियों के ज़रिये इसे परीक्षित करवाया गया ,, पहले से ही जानकारी में था, के यह मुद्दा देश के सुप्रीमकोर्ट के समक्ष देश के संविधान की भावना के अनुरूप निर्णीत करने के लिए सुनवाई के लिए प्रश्नगत होगा , ज़ाहिर है , केंद्र सरकार के विधि विशेषज्ञों की पूरी तय्यारी थी , लेकिन सेवानिवृत्ति के पूर्व सुनवाई के वक़्त , आदरणीय सुप्रीमकोर्ट जज साहब ने जब संविधान के मुद्दों ,, धर्म निर्पेक्ष मुद्दों , हिन्दू मंदिरों आस्थाओं में मुस्लिमों को सदस्य बनाने संबंधित सवाल उठाये , तो केंद्र के विधि विशेषज्ञों के पास कोई जवाब नहीं थे , लेकिन फिर भी , केंद्र सरकार के विधि विशेषज्ञों ने जवाब के लिए समय चाहा , और आखिर में, मई के पहले सप्ताह का वक़्त ले ही लिया , , अब दो सप्ताह सुनवाई और टली तो मुख्य न्यायधीश सेवानिवृत होकर नए मुख्य न्यायाधीश कार्यभार ग्रहण करें , लेकिन केंद्र सरकार की इस ढील पोल , चालबाज़ी को देश देख रहा है , सुप्रीम कोर्ट भी इस मामले में सख्त है , भाजपा चाहे देश भर में जागरण अभियान चलाये लेकिन फैसला तो देश के संविधान के अनुरूप ही होगा , और भाजपा , भाजपा के कार्यकर्ता जितनी ताक़त से इस वक़्फ़ बिल को लागू करवाने इसके बारे में जान झोंक रहे हैं , उससे आधी भी , यह लोग अगर, देवस्थान , मंदिरों ,,मंदिर माफ़ी की ज़मीनों के प्रबंधन के लिए लगाते , ,तो करोड़ों करोड़ लोगों को रोज़गार मिलता , देश को फायदा होता , लेकिन पंचर के पीछे प्रधानमंत्री जी पढ़े , उन्होंने सड़कों पर , पंचर की दुकानों पर लगे बोर्ड पढ़े ही नहीं ,, के यह बोर्ड किस किस समाज , किस किस नाम से लगे है , खेर पंचर तो बना कर पेट पाल रहे हैं , दूसरों के धर्म स्थलों में जाकर अपने धर्म के झंडे लहराने में वक़्त खराब नहीं कर रहे , नारे बाज़ी लगाने , आपस में समाजों को लड़ाने , एक दूसरे के घरों पर प्रदर्शन हमले करने में तो वक़्त बर्बाद नहीं कर रहे , ,रोज़गार से लगे है , चाहे पंचर का ही रोज़गार हो , बेरोज़गारों को गुमराह करने से केंद्र सरकार , और धार्मिक ठेकेदारों , समाज के ठेकेदारों को बाज़ आना चाहिए , जो बात सुप्रीम कोर्ट में रखी गई है , जो सवाल सुप्रीमकोर्ट ने पूंछे हैं ,वही सवालात अगर , संसद में , राज्य सभा में कांग्रेस और दूसरे साथी दलों के लोग उठा देते , देवस्थान ,, मंदिर माफ़ी , मंदिरों की सम्पत्तियाँ , देश भर में कहा कहाँ , कितनी है , कितना प्रबंधन है , किस राजा , किस बादशाह के वक़्त , यह सम्पत्ति बनी , या दान दी गई , उसका विवरण मांग लेते , इनसे होने वाली कमाई का हिसाब और खर्च कहाँ हो रहा है , हिसाब मांग लेते , और इनके प्रबंधन के लिए क्या वक़्फ़ की तर्ज़ पर मुस्लिमों ,, को भी रखा जाएगा , इस पर सवाल उठा देते तो , शायद केंद्र सरकार और बहके हुए , लोग कुछ अपने पेंतरे बदलते , लेकिन कांग्रेस को , तो ग्रीडी डॉग की कहानी की तरह , आधी रोटी की जगह आधी रोटी , जो नदी में आधी रोटी वाले के अक्स के पास दिखती है उसको , यानी हिंदुत्व के वोटर्स को, छीनने की कवायद है , उस कवायद में कांग्रेस नक़ली हिदुत्व की राह पर होने से खामोश रही और नतीजा देश के ऐसे बेवजह के मुद्दों पर करोड़ों करोड़ रूपये , संसद , राज्य सभा के क़ीमती वक़्त बर्बाद होगये , अब सुप्रीमकोर्ट में दूसरे मुद्दे टालकर इस मुद्दे पर सुनवाई भी ज़रूरी है , तो देश के लिए , समाजों के लिए बेरोज़गारों के लिए , गरीबों के लिए ,, महंगाई ,भ्रष्टाचार , गुंडागर्दी , मोबिलिन्चिंग हिंसा ,,धार्मिक स्थलों पर हमले , वगेरा जैसे मुद्दों पर देश का आम आदमी , देश का सांसद , विधायक , राज्य सभा सदस्य पत्रकार , कब बोलेगा , ,महामहीम राष्ट्रपति के पद की गरिमा के अनुरूप संविधान की भावना के खिलाफ जारी क़ानूनों को अधिसूचित करने के लिए परिसखित करवाकर , ऐसे क़ानूनों को रोकने का सुझाव कब देंगे , देकते हैं , इन्तिज़ार करते हैं , काले अंग्रेज़ों से एक बार फिर देश की आज़ादी की क्रान्ति की , देश के विकास की क्रान्ति की , देश की खुशहाली , भाईचारा , सद्भावना की खुशहाली की यह क्रांति कब आती है , लेकिन यहाँ तो उपराष्ट्रपति जिनकी अध्यक्षता में निर्णीत फैसले के खिलाफ सुनवाई है, वोह सुप्रीम कोर्ट के खिलाफ बयान दे रहे, विधि मंत्री भी यही कर रहे हैं, ओर प्रधानमंत्री जी बोहरा समाज से बधाई लेकर वक़्फ़ संशोधन का प्रजनन , बोहरा समाज के सैय्यदना साहब की सलाह बता रहे हैं, अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान 9829086339
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