क्या ही बुरा है वह काम जिसके मुक़ाबले में (इतनी बात पर) वह लोग अपनी
जानें बेच बैठे हैं कि खु़दा अपने बन्दों से जिस पर चाहे अपनी इनायत से
किताब नाजि़ल किया करे इस रश्क से जो कुछ खु़दा ने नाजि़ल किया है सबका
इन्कार कर बैठे बस उन पर ग़ज़ब पर ग़ज़ब टूट पड़ा और काफि़रों के लिए
(बड़ी) रूसवाई का अज़ाब है (90)
और जब उनसे कहा गया कि (जो क़ुरान) खु़दा ने नाजि़ल किया है उस पर ईमान
लाओ तो कहने लगे कि हम तो उसी किताब (तौरेत) पर ईमान लाए हैं जो हम पर
नाजि़ल की गई थी और उस किताब (कु़रान) को जो उसके बाद आई है नहीं मानते हैं
हालाँकि वह (क़ुरान) हक़ है और उस किताब (तौरेत) की जो उनके पास है तसदीक़
भी करती है मगर उस किताब कु़रान का जो उसके बाद आई है इन्कार करते हैं (ऐ
रसूल) उनसे ये तो पूछो कि तुम (तुम्हारे बुजुर्गों) अगर ईमानदार थे तो फिर
क्यों खु़दा के पैग़म्बरों का साबिक़ मे क़त्ल करते थे (91)
और तुम्हारे पास मूसा तो वाज़ेए व रौशन मौजिज़े लेकर आ ही चुके थे फिर
भी तुमने उनके बाद बछड़े को खु़दा बना ही लिया और उससे तुम अपने ही ऊपर
ज़ुल्म करने वाले थे (92)
और (वह वक़्त याद करो) जब हमने तुमसे अहद लिया और (क़ोहे) तूर को
(तुम्हारी उदूले हुक्मी से) तुम्हारे सर पर लटकाया और (हमने कहा कि ये
किताब तौरेत) जो हमने दी है मज़बूती से लिए रहो और (जो कुछ उसमें है) सुनो
तो कहने लगे सुना तो (सही लेकिन) हम इसको मानते नहीं और उनकी बेईमानी की
वजह से (गोया) बछड़े की उलफ़त घोल के उनके दिलों में पिला दी गई (ऐ रसूल)
उन लोगों से कह दो कि अगर तुम ईमानदार थे तो तुमको तुम्हारा ईमान क्या ही
बुरा हुक्म करता था (93)
(ऐ रसूल) इन लोगों से कह दो कि अगर खु़दा के नज़दीक आख़ेरत का घर
(बेहिश्त) ख़ास तुम्हारे वास्ते है और लोगों के वासते नहीं है बस अगर तुम
सच्चे हो तो मौत की आरजू़ करो (94)
(ताकि जल्दी बेहिश्त में जाओ) लेकिन वह उन आमाले बद की वजह से जिनको
उनके हाथों ने पहले से आगे भेजा है हरगिज़ मौत की आरज़ू न करेंगे और खु़दा
ज़ालिमों से खू़ब वाकि़फ है (95)
और (ऐ रसूल) तुम उन ही को जि़न्दगी का सबसे ज़्यादा हरीस पाओगे और
मुशरिक़ों में से हर एक शख़्स चाहता है कि काश उसको हज़ार बरस की उम्र दी
जाती हालाँकि अगर इतनी तूलानी उम्र भी दी जाए तो वह ख़ुदा के अज़ाब से
छुटकारा देने वाली नहीं, और जो कुछ वह लोग करते हैं खु़दा उसे देख रहा है
(96)
(ऐ रसूल उन लोगों से) कह दो कि जो जिबरील का दुशमन है (उसका खु़दा
दुशमन है) क्योंकि उस फ़रिश्ते ने खु़दा के हुक्म से (इस कु़रान को)
तुम्हारे दिल पर डाला है और वह उन किताबों की भी तसदीक करता है जो (पहले
नाजि़ल हो चुकी हैं और सब) उसके सामने मौजूद हैं और ईमानदारों के वास्ते
खु़शख़बरी है (97)
जो शख़्स ख़ुदा और उसके फरिश्तों और उसके रसूलों और (ख़ासकर) जिबराईल व
मीकाइल का दुशमन हो तो बेशक खु़दा भी (ऐसे) काफि़रों का दुश्मन है (98)
और (ऐ रसूल) हमने तुम पर ऐसी निशानियाँ नाजि़ल की हैं जो वाजेए और रौशन
हैं और ऐसे नाफरमानों के सिवा उनका कोई इन्कार नहीं कर सकता (99)
और उनकी ये हालत है कि जब कभी कोई अहद किया तो उनमें से एक फरीक़ ने तोड़ डाला बल्कि उनमें से अक्सर तो ईमान ही नहीं रखते (100)
तुम अपने किरदार को इतना बुलंद करो कि दूसरे मज़हब के लोग देख कर कहें कि अगर उम्मत ऐसी होती है,तो नबी कैसे होंगे? गगन बेच देंगे,पवन बेच देंगे,चमन बेच देंगे,सुमन बेच देंगे.कलम के सच्चे सिपाही अगर सो गए तो वतन के मसीहा वतन बेच देंगे.
24 मई 2023
और तुम्हारे पास मूसा तो वाज़ेए व रौशन मौजिज़े लेकर आ ही चुके थे फिर भी तुमने उनके बाद बछड़े को खु़दा बना ही लिया और उससे तुम अपने ही ऊपर ज़ुल्म करने वाले थे
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