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23 मई 2023

जिला न्यायिक महकमे के सर्वोच्च साहब , मेमसाहब , पशु , पक्षी , पर्यावरण प्रेमी होकर, अनुकरणीय सेवाभावी संवेदनशीलता का उदाहरण बने हैं ,

 जिला न्यायिक महकमे के सर्वोच्च साहब , मेमसाहब , पशु , पक्षी , पर्यावरण प्रेमी  होकर, अनुकरणीय सेवाभावी संवेदनशीलता का उदाहरण बने हैं , ,
जिला न्यायिक महकमे के सर्वोच्च साहब , मेमसाहब , संवेदनशील है ,  पेड़ , पौधों , ,चरिन्दों  और परिंदों से प्यार ही नहीं करते , उनकी खिदमत भी करते ,हैं  सेवा भी करते है , वोह पर्यावरण प्रेमी ,है  , लावारिस प्रताड़ित   जानवरों के हमदर्द है , उनके निवास पर ऐसे चरिन्दे ,, परिंदों के  लिए हर रोज़ ईद जैसा त्यौहार होता  है , यकींनन , ऊँचे ओहदे, चौबीस क्लॉक की ज़िम्मेदारी के साथ ,, मानवीयता का यह चरित्र , सेल्यूट करने को जी चाहता है , ,जी हाँ , कोटा जिला न्यायिक महकमे में , सर्वोच्च अधिकारी के निवास ,पर  यूँ तो , डॉग , है , लेकिन रास्ते ,में  सड़क  पर,आसपास अगर स्ट्रीट डॉग भी प्रताड़ित रूम में मिल जाएँ तो उन्हें , उनके निवास पर लाकर रखा जाता है , बीमार हों तो इलाज कराया जाता है , उनके केयर टेकर व्यवस्था में शामिल कोई भी शख्स अगर उन्हें कुत्ते के नाम से सम्बोधन कर दें तो , उन्हें हिदायत होती है , यह जीव हैं , इन्हे भय्या कहकर सम्बोधित करिये ,, रुखा सूखा, या फिर बचा  खुचा खाना , उन्हें नहीं दिया जाता  रोज़ नियमित , उनके लिए , उनकी मर्ज़ी का पौष्टिटक आहार बनता है , उन्हें सुबह , ,सवेरे  दोपहर , बढ़े प्यार खुलूस के साथ , खाना खिलाया जाता है , सुबह सवेरे चिड़ियों की चहचाहट के बीच ,, साहब और मेम साहब , अपने सहयोगी कर्मियों के साथ , चिड़ियों, कबूतर , फख्ताएँ , मोर , गिलहरी , जो भी वहां सुबह के वक़्त होते है ,उन्हें दाना ,पानी डालते है , उनका पेट भर गया, यह सुनिश्चित करने के बाद ही ,वोह अपने नियमित  कामों में लगते है , गांय पालने का भी इन्हे शोक है , अपनी पालतू गांयों के अलावा ,अगर  कोई , लावारिस हालत में , बीमार , प्रताड़ित गांय सड़क पर दिख जाए , तो उसे भी अपने निवास पर रखकर,  उसकी सेवा की  जाती है , बीमार हालत हो तो उसका इलाज करवाया जाता है , फिर , पालतू डॉग के साथ , सड़कों के लावारिस स्ट्रीट डॉग को भय्या या अलग अलग नामों से उन्हें पुकार ,कर  बढे अदब से जैसे एक महमान के साथ महमान नवाज़ी करते हुए उन्हें दावत दी जाती है , बुलाया जाता , है भर पेट खाना खिलाकर पानी वगेरा का इंतिज़ाम किया जाता है , छोटे डॉग्स के लिए , दूध की भी  व्यवस्था रहती है  ,,, निवास के गार्डन में पेड़ , पौधे , घांस , फुलवारी का निरीक्षण होता ,है  साफ़ सफाई होती है , खाद , पानी का पूरा ध्यान रखा जाता है ,, इतनी व्यस्तता , इतनी बढे ओहदे के बाद भी , पशु प्रेमी , पर्यावरण प्रेमी , होना ,और वोह भी खुद अकेले नहीं , परिवार की , जनाधार मुखिया मेमसाहब के साथ , इस तरह की संवेदनशीलता दिखाना,  एक दिन नहीं , रोज़ रोज़ , यह व्यस्थाएं करना, कई किलों आटे की रोटियां , दूध , चारा , पृथक से , मन पसंद डाइट की व्यवस्था , बीमारी की हालत में , उनके इलाज , दवा , लाने ले जाने डॉक्टर की व्यवस्था , सुनने में ऐसा लगता है , के यह मुमकिन हो ही नहीं ,सकता  लेकिन घर में अगर कोई उच्च पदस्त अधिकारी की पत्नी देवी के रूप में हो , संवेदनशील हो , पशु प्रेमी , पर्यावरण प्रेमी हो , खुद उच्च पदस्थ अधिकारी भी संवेदनशील हों , तो यह चमत्कारिक ,आश्चार्य जनक किन्तु सत्य , की सेवायें सम्भव हैं , ,, उनकी सोच है यह बेज़ुबान , परिंदे , यह बेज़ुबान पशु , जिन्हे लावारिस भूखा प्यासा छोड़ा जाता है , जिनका तिरस्कार , बहिष्कार होता है , उनके भी अपने , अधिकार हैं , उनका संरक्षण ,, जितना सम्भव हो सके , होना ही चाहिए , ऐसे संवेदनशील , जिला न्यायिक महकमे के सर्वोच्च साहब , मेमसाहब , ,उनके सहयोगी सेवक कर्मियों , मददगारों को ,सभी को सेल्यूट सलाम , अधिकारी वर्ग सहित , बढे बंगले वाले , बढे लोग , अगर इस तरह से अपने अपन क्षेत्रों में , लावारिश पशुओं , स्ट्रीट डोग्स , गांय वगेरा की सेवायें शुरू कर दें , तो यक़ीनन , लावारिस जानवरों की अकाल मौतों की संख्या में भी कम होगी , और सड़कों पर , भूख , प्यास , से तड़पते यह पशु , क्रोधित होकर,  या जनता से प्रताड़ित ,होकर जो हमलावर होने की ग़लती करते हैं , उससे भी समाज को , छुटकारा मिल सकता हैं , ,अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान 9829086339

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