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24 अप्रैल 2022

दोस्तों कहते है , तस्वीरें मुंह से बोलती है , देश में , लोगों के दिल , दिमाग में नफरत का ज़हर घोल रहे न्यूज़ चेनल्स पर यह तस्वीर तमाचा है

 दोस्तों कहते है , तस्वीरें  मुंह से बोलती है , देश में , लोगों के दिल , दिमाग में नफरत का ज़हर घोल रहे न्यूज़ चेनल्स पर यह तस्वीर तमाचा है , इस तस्वीर में , न्यूज़ चैनल के ज़रिये , नफरतबाज़ी की खबरों के साथ देश को साम्प्रदायिक नफरत का मरीज़ बनाने का तरीक़ा देखिये , किस तरह से नफरत की खबरें , बाहर निकल रही हैं , और सीधे लोगों के दिमाग में घर कर रही है , इसीलिए तो लोग अब कहने लगे है, न्यूज़ चेनल्स , टी वी खबरों से खुद भी बचो , और दूसरों को भी बचाओ,, यह देश के इलेक्ट्रॉनिक मिडिया के मुंह पर तमाचा है , उनकी अब तक की नफरती हरकतों की वजह से देश को जो नुकसान पहुंचा है , यक़ीनन उसकी भरपाई , मुश्किल ही नहीं , ना मुमकिन है ,तोड़ फोड़ , नफरत , हिंसा , एक दूसरे से छुआछूत , भेदभाव के आचरण को बढ़ावा देने की यह साज़िश देश में काफी हद तक , इस मीडिया की तरफ से सफल हुई है ,सवाल यह है , के इस तरह की खबरों से इन सात सालों में ,देश को क्या मिला , सिर्फ  एटी , टुवनटी , और भूख ,गरीबी , तरक़्क़ी , राष्ट्रिय एकता , राजधर्म निर्वहन , शिक्षा , चिकित्सा , महंगाई ,मुद्रास्फीति , रोज़गार के अवसर , सभी ज़मीनी मुद्दों का लगभग खात्मा सा  हुआ है , नतीजा , ऐसे राष्ट्र हित के मुद्दों पर हर मोर्चे पर असफल रहने के बाद भी , इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के इस सेडिस्ट व्यवस्था की वजह से नतीजे , महंगाई , बेरोज़गारी , गरीबी , भुखमरी , विकास , आर्थिक स्थिति  ,  मूलयवृद्धि के खिलाफ आ रहे है , गत वर्षों में कोरोना काल में ,जब  मीडिया ने नफरत के इस खेल में , जमात इस्लामी को ज़िम्मेदार ठहरा कर ,, इन्हे ज़हर का इंजक्शंन देकर , मारने के लिए , एक डॉक्टर तक उकसा दिया , थूक अभद्रता से लेकर , हर तरह के आरोप लगाए , गलियों में सड़कों पर , सब्ज़ीवाले , ठेलेवाले ,फेरीवाले पर नफरत का कहर बरपाया गया, , यह सब इसी नफरत इलेक्ट्रॉनिक मीडिया का नतीजा रहा है, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले को , जमात इस्लामी की एक याचिका को गम्भरीता से  लिया , सरकार को इसे नियंत्रित करने के लिए निर्देशित किया गया , कुछ न्यूज़ चेनल्स ने , तरकीब से माफीनामा जारी किया , तब्लीगी जमातियों के पक्ष में खबरें चलाकर , अपनी  झेंप मिटाकर , उन्हें तय्यार किया गया की वोह ऐसे नफरतबाज़ों को माफ़ कर दें और कार्यवाही की मांग ना करें , ,खेर यह तो पेड़ वर्कर है , नौकर है , और इनके मालिक , सरकार के हमजोली है , व्यापारी है , उद्योगपति है , फिर यह दौर चुनावों में शुरू हुआ , भूख , गरीबी , बेरोज़गारी , मूल्य वृद्धि , महंगाई , आर्थिक अवमूलयन , पूजीपतियों के अरबों रूपये की माफ़ी , किसानों पर हमले , उनकी कुचल कर हत्या करने देने के मामले , बलात्कार , फिर बलात्कार के गवाहों की दुर्घटना में हत्या , पीड़िता के शव को सरकारी व्यवस्था में अंतिम संस्कार , वगेरा वगेरा ऐसे मुद्दे थे , जिन्हे , इसी दिमाग में नफरत , भर देने वाले मीडिया ने , व्यवस्थित तरीके से , एटी , ट्वन्टी का मैच बनाकर,  नतीजे भूख ,गरीबी , बेरोज़गारी पर हावी कर दिए , ,फिर यह दौर चला बुलडोज़र की खबर , सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद भी , लगातार बुलडोज़र चलाये जाने की कैमरे में क़ैद होकर चलाई जाती रही , न्यूज़ चेनल्स पर , मौलवी , मौलानाओं पर सामजिक दबाव पढ़ने से उन्होंने पेडवर्कर की तरह , डिबेट में आने पर प्रतिबंध लगा दिया , तो फिर , आप पार्टी के संजय सिंह , कांग्रेस के दिल्ली प्रवक्ता मुकेशशर्मा ,  राजस्थानके प्रताप सिंह खाचरियावास , जैसे लोग, न्यूज़ चेनल्स पर , आंकड़ों के साथ , ज़िम्मेदारी के साथ , न्यूज़ ऐंकर को भी लाजवाब करते रहे , और भाजपा के प्रवक्ता की बोलती बंद करते रहे , खेल बिगड़ने लगा , सच को दबाने की जगह सच उजागर होने लगा , और तब यह याद आयी के , न्यूज़ चेनल्स पर , झूंठ , फरेब , नफरत के एजेंडे नियंत्रित होने चाहिए , देर आयद दुरुस्त आयद , क्योंकि अब न्यूज़ चेनल्स की डिबेट , सोशल मीडिया  पर भी हावी है , इन डिबेटोँ के माध्यम से विदेशों में हमारे देश की छवि बिगड़ रही है, इसलिए यह ज़रूरी भी है , के ऐसे नफरत बाज़ न्यूज़ चेनल्स , गप्पें हाँक कर फ़र्ज़ी खबरें बनाने वाले चेनल्स ,, देश का वातावरण ना बिगाड़ें , इसके लिए नियंत्रित क़ानून ज़रूरी है , खेर अभी तो हाल ही में ,सुप्रीमकोर्ट में पेंडिगं , याचिकाओं का डर हो या स्वेच्छा से हो , केंद्र सरकार का इन्हे नियंत्रित करने , झूंठ अफवाहें फैलाने , नफरतबाज़ी फैलाने ,झूंठ गढ़ने , और डिबेट में आपत्तिजनक ,अमर्यादित अल्फ़ाज़ों के इस्तेमाल के खिलाफ प्रतिबंध के लिए परिपत्र जारी किया है , में इसका समर्थन करता हूँ , लेकिन परिपत्र से काम नहीं चला ,निश्चित टूर पर ,राष्ट्रहित में ,मुद्दों के साथ,सबूतों के साथ रिपोर्टिंग करने वाले , न्यूज़ चेनल्स हों , प्रिंट मीडिया हो, सोशल मीडिया हो, उन्हें पद्मश्री एवार्ड मिले , सहायताएं मिलें , शाबाशी मिले ,, लेकिन इसके खिलाफ अगर देश तोड़ने , समाज तोड़ने ,वर्गों में विभाजन करने , उकसाने , जैसी रिपोर्टिंग हों , योजनाबद्ध रिपोर्टिंग हो तो ऐसे लोगों को , ग़ैरज़मानती अपराध में गिरफ्तार करने का क़ानून भी होना चाहिए , और वोह क़ानून आम आदमी में से किसी के भी द्वारा रिपोर्ट लिखाने पर ,ऐसे लोगो के खिलाफ अगर सुबूत हों , तो तुरंत कार्यवाही के निर्देशों के साथ ,ऐसे नफरत बाज़ न्यूज़ चेनल्स , ऐसे नफरत बाज़ प्रिंट मीडिया पत्रकारिता के नाम पर नफरत , झूंठ फैलाने वाले वर्कर्स , जो भी हों, उनके घरों , उनके कार्यालयों पर भी बुलडोज़र चलाने का क़ानून होना ही चाहिए , क्योंकि इन सात सालों में जो होना था , हो लिया , अब तो हमे खुद को बदलना होगा , देश को बचाने के लिए इस ज़हरीले मीडिया के खिलाफ क़ानून का बुलडोज़र वोह भी बिना किसी अगर मगर के प्रतिबंध के , आम जनता के किसी भी व्यक्ति की शिकायत पर कार्यवाही की छूट के साथ लागू करना ही होगा , अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान 

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