आपका-अख्तर खान

हमें चाहने वाले मित्र

23 अप्रैल 2022

भाई आतिफ आमिर खान की जुबानी,

भाई आतिफ आमिर खान की जुबानी,
साँसे रुक जाती है वक़्त नही रुकता वक़्त चलता रहता है कभी रहमत बनकर कभी कयामत बनकर जब रहमत बनता है तो अच्छे और ज़िंदा दिल लोगो की सरपरस्ती मिलती है और वक़्त खुशगवार होता है ।
जिंदगी ज़िंदा दिली का का नाम है इस लाइन पर ज़िन्दगी बसर करने वालो की ज़रूरत हमे ही नही होती उसे भी होती है इसलिये वो अपने वीटो का इस्तेमाल करता है और अपनी मोहब्बत का ऐसा इज़हार करता है जिससे दुनिया मैं उसके चाहने वाले मायूसी और ग़म के सागर मैं डूब जाते हैं और ना आने वाले सब्र पर भी ये सोच कर सब्र करने पर मजबूर हो जाते जिसने बुलाया उसने ही भेजा था ।
उसी ने उसे हमारे लिये और हमे उसके लिये इंतेखाब किया था हम तो बस उसकी कारीगरी से रिश्तों की रेशमी डोर है वो जब चाहता हैं जिसको पसन्द करता है उसको उतनी जल्दी इस दुनियां ऐ फानी से प्रमोट करके कभी ना खत्म होने वाली ज़िन्दगी मैं ट्रान्सफर कर देता हैं ।
ऐसा ही एक ट्रांसफर आज से ठीक एक साल पहले हमारे गुलिस्तां से हुआ कहने को तो एक साल हुआ है मगर जो उनके साथ थे उनसे वाबस्ता थे वो इस एक साल मैं उनके साथ गुज़ारी पूरी ज़िंदगी को याद कर रहे और एक साल एक पहाड़ की तरह जैसे उन पर से गुज़रा हो ।
जब इस वक़्त मैं लिख रहा हु तो हर लफ्ज़ मैं उनको देख रहा हु क्योकि इन लफ़्ज़ों को सिखाने वाले उंगली पकड़ कर स्कूल मैं दाखिल करवाने वाले 2 लोगो मे एक वो भी थे छोटे भाई का हक़ से नामकरण करने वाले भी वो ही थे ओर कई अनगिनत मौक़ो पर हमारी रहनुमाई करने वाले रहनुमा भी थे बचपन मे काले और गोरे से छोटी बहन को चिढाने के लिये एक रिश्तेदार भी वो ही थे।
अपनी ख़ुश्मिजाज़ी से महफ़िल लूटने वाले भी वो ही थे ।
ज़िन्दगी मैं हमेशा पॉज़िटिव रहने वाली उनकी अदा एक पोजेटिव का शिकार हो गई और उनके सब आज़ीज़ों मैं एक ऐसी नेगेटिविटी छोड़ गई जो कभी पॉज़िटिव नही हो सकती .. और आज ही के दिन हमारे मामू पहले फ़िर फूफा बने साबिर खान ज़की एडवोकेट इस दुनिया से अलविदा हो गये सब उसकी मर्जी उसकी खुशी बस हमारी दुआ तूने बुलाया जल्दी हम कुछ नही कर सकते तू मालिक ए मुख्तार है हर मोमिन का बस दुआ है तुझसे तू जंहा भी रखना तेरी शान के मुताबिक रखना ।
जन्नत के बेहतरीन हिस्से मैं अपने उन सब रिश्तेदारों के साथ रखना जो उन से पहले इस दुनिया को छोड़ गये थे । आमीन सुम्मा आमीन

 

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

दोस्तों, कुछ गिले-शिकवे और कुछ सुझाव भी देते जाओ. जनाब! मेरा यह ब्लॉग आप सभी भाईयों का अपना ब्लॉग है. इसमें आपका स्वागत है. इसकी गलतियों (दोषों व कमियों) को सुधारने के लिए मेहरबानी करके मुझे सुझाव दें. मैं आपका आभारी रहूँगा. अख्तर खान "अकेला" कोटा(राजस्थान)

Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...