एक दूसरे से प्रेरित होकर परिवार के तीन सदस्यों ने लिया देहदान संकल्प
2. देहदान का महत्व जाना,तो तीन देहदान संकल्प हुए
3. मृत देह को दान कर,करेंगे चिकित्सकों का आभार प्रकट
घर
में यदि एक व्यक्ति, किसी अच्छे कार्य से प्रेरित होता है तो घर के अन्य
लोगों में भी इसकी प्रेरणा जाती है । इसी तरह का उदाहरण कोटा के एक परिवार
में देखने को मिला जहां पर परिवार की छोटी बेटी इंद्रजीत कौर ने सर्वप्रथम
अपना देहदान का संकल्प पत्र शाइन इंडिया फाउंडेशन के साथ भरा ।
इसके
उपरांत उसने अपने ही परिवार के अन्य सदस्यों को भी प्रेरित करने के
उद्देश्य से शाइन इंडिया फाउंडेशन के सदस्यों को देहदान के बारे में
विस्तार से जानकारी देने के लिए घर पर बुलाया ।
संस्था
के डॉ कुलवंत गौड़ ने घर आकर देहदान के बारे में पूरी जानकारी दी, उस
जानकारी से प्रेरित होकर इंद्रजीत के पिता जी रविन्द्र सिंह और छोटी बहन
चरणजीत कौर ने भी अपना देहदान का संकल्प पत्र भर दिया ।
रविंद्र
जी ऑटो चालक हैं और उन्होंने अपना देहदान का प्रशस्ति पत्र ऑटो में ही रख
रखा है, जिससे वह अन्य लोगों को भी प्रेरणा देता है । रविंद्र जी का कहना
है कि, वर्ष 2002 में पत्नी सुरजीत कौर का देहांत कैंसर से हुआ था,इस दौरान
कई चिकित्सकों ने मेरी पत्नी की काफी मदद की थी मैं उनका यह एहसान नहीं
चुका सकता परंतु देहदान के माध्यम से चिकित्सकों के कुछ काम आ सकूंगा यही
सोचकर देहदान का संकल्प लिया हैं । यूँ तो हम चिकित्सकों के किसी काम नहीं आ
सकते,पर देहदान एक ऐसा माध्यम है,इसके माध्यम से हम चिकित्सकों के कुछ मदद
कर पाते हैं ।
संकल्प
पत्र ग्रहण करते हुए चरणजीत कौर ने कहा की,अंत समय में हमारा देहदान होना
ही,हमारी अंतिम इच्छा है,यह प्रशस्ति पत्र परिवार के सदस्यों को अंत समय
में देहदान करवाने की याद दिलाएगा ।
शाइन इंडिया फाउंडेशन की ओर से देहदान का संकल्प लेने वाले तीनों संकल्पकर्ताओं को प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया गया ।
ज्ञात
हो कि संस्था शाइन इंडिया फाउंडेशन के देहदान जागरूकता अभियान के तहत
आरोपी संभाग में 175 लोग अभी तक देहदान का संकल्प पत्र भर चुके हैं साथ ही 9
देहदान कोटा मेडिकल कॉलेज,कोटा को संस्था के सहयोग से प्राप्त हुए हैं ।
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