यक़ीनन
अभिव्यक्ति का अधिकार भारत का संवैधानिक अधिकार है, लेकिन इस अधिकार में
तथ्यात्मक कथन है, झूँठ, फरेब , कूटरचना, अखबार में छपी खबर में जो नहीं
कहा गया , उसके उलट लिखना फिर उकसाने के लिये अल्फ़ाज़ शामिल नहीं है , भारत
में क़ानून का राज है , आपका कथन सत्य है , वैधानिक है, सबूतों के साथ है
तो सच लिखिए , लेकिन किसी के खिलाफ , शब्दों की कूटरचना करना, असत्य,
अपमानकारी, उकसाऊ कथन करना अपराध है, छद्म बुद्धिजीवी प्लीज़ , किसी का टूल
बन कर इस्तेमाल होकर खुद की प्रतिष्ठा को आहत ना करें , सच बोलने की
स्वतंत्रता में , झूँठ बोलने की स्वतंत्रता शामिल नहीं है, अख़्तर
तुम अपने किरदार को इतना बुलंद करो कि दूसरे मज़हब के लोग देख कर कहें कि अगर उम्मत ऐसी होती है,तो नबी कैसे होंगे? गगन बेच देंगे,पवन बेच देंगे,चमन बेच देंगे,सुमन बेच देंगे.कलम के सच्चे सिपाही अगर सो गए तो वतन के मसीहा वतन बेच देंगे.
25 अप्रैल 2022
यक़ीनन अभिव्यक्ति का अधिकार भारत का संवैधानिक अधिकार है,
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