और (लोगों) मुफलिसी {ग़रीबी} के ख़ौफ से अपनी औलाद को क़त्ल न करो
(क्योंकि) उनको और तुम को (सबको) तो हम ही रोज़ी देते हैं बेशक औलाद का
क़त्ल करना बहुत सख़्त गुनाह है (31)
और (देखो) जि़ना के पास भी न फटकना क्योंकि बेशक वह बड़ी बेहयाई का काम है और बहुत बुरा चलन है (32)
और जिस जान का मारना ख़ुदा ने हराम कर दिया है उसके क़त्ल न करना मगर
जायज़ तौर पर और जो शख़्स नाहक़ मारा जाए तो हमने उसके वारिस को (क़ातिल पर
क़सास का क़ाबू दिया है तो उसे चाहिए कि क़त्ल {ख़ून का बदला लेने) में
ज़्यादती न करे बेशक वह मदद दिया जाएगा (33)
(कि क़त्ल ही करे और माफ न करे) और यतीम जब तक जवानी को पहुँचे उसके माल
के क़रीब भी न पहुँच जाना मगर हाँ इस तरह पर कि (यतीम के हक़ में) बेहतर हो
और एहद को पूरा करो क्योंकि (क़यामत में) एहद की ज़रुर पूछ गछ होगी (34)
और जब नाप तौल कर देना हो तो पैमाने को पूरा भर दिया करो और (जब तौल कर
देना हो तो) बिल्कुल ठीक तराजू से तौला करो (मामले में) यही (तरीक़ा) बेहतर
है और अन्जाम (भी उसका) अच्छा है (35)
और जिस चीज़ का कि तुम्हें यक़ीन न हो (ख़्वाह मा ख़्वाह) उसके पीछे न
पड़ा करो (क्योंकि) कान और आँख और दिल इन सबकी (क़यामत के दिना यक़ीनन
बाज़पुर्स होती है (36)
और (देखो) ज़मीन पर अकड़ कर न चला करो क्योंकि तू (अपने इस धमाके की चाल
से) न तो ज़मीन को हरगिज़ फाड़ डालेगा और न (तनकर चलने से) हरगिज़ लम्बाई
में पहाड़ों के बराबर पहुँच सकेगा (37)
(ऐ रसूल) इन सब बातों में से जो बुरी बात है वह तुम्हारे परवरदिगार के नज़दीक नापसन्द है (38)
ये बात तो हिकमत की उन बातों में से जो तुम्हारे परवरदिगार ने तुम्हारे
पास ‘वही’ भेजी और ख़ुदा के साथ कोई दूसरा माबूद न बनाना और न तू मलामत
ज़दा राइन्द {धुत्कारा} होकर जहन्नुम में झोंक दिया जाएगा (39)
(ऐ मुशरेकीन मक्का) क्या तुम्हारे परवरदिगार ने तुम्हें चुन चुन कर बेटे
दिए हैं और खुद बेटियाँ ली हैं (यानि) फरिश्ते इसमें शक नहीं कि बड़ी
(सख़्त) बात कहते हो (40)
तुम अपने किरदार को इतना बुलंद करो कि दूसरे मज़हब के लोग देख कर कहें कि अगर उम्मत ऐसी होती है,तो नबी कैसे होंगे? गगन बेच देंगे,पवन बेच देंगे,चमन बेच देंगे,सुमन बेच देंगे.कलम के सच्चे सिपाही अगर सो गए तो वतन के मसीहा वतन बेच देंगे.
10 अप्रैल 2022
और (देखो) जि़ना के पास भी न फटकना क्योंकि बेशक वह बड़ी बेहयाई का काम है और बहुत बुरा चलन है
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