आज की रात 23 वी शबे क़द्र है*
हज़रते आएशा सिद्दिक़ा
رضی اللہ عنھا
से रिवायत है की रसूलअल्लाहﷺ
ने फ़रमाया-
रमज़ान के आख़री अशरे की ताक़ रातों ( 21, 23, 25 , 27 , 29 vi) में शबे क़द्र को तलाश करो।
आप
رضی اللہ عنھاही से रिवायत है की हुज़ूरﷺ
से पूछा या रसूलअल्लाह! अगर मुझे शबे क़द्र मालूम हो जाए तो मैं उसमें क्या करूँ?
आपने फ़रमाया कि ये दुआ पढ़ो
*اللَّهمَّ إنَّكَ عفوٌّ تحبُّ العفوَ فاعفُ عنِّي*
अल्लाहुम्मा इन्न-क-अफुव्वुन तुहिब्बुल अफ़वा फ़आफ़ू अन्नी।
*तरजमा :*
ऐ अल्लाह ! बेशक तू माफ फरमाने वाला है, माफ करने को पसंद फरमाता है पस हमें माफ फरमा दे |
—
एक रिवायत में है की जो कोई शबे क़द्र में 4 रकाअत नफ़्ल इस तरह पढ़े की हर रकाअत में सूरह फ़ातिहा के बाद सूरह क़द्र 3 मरतबा और सूरह इखलास 50 मरतबा पढ़े
और सलाम के बाद सजदे में जाकर एक मरतबा ये पढ़े
सुबहांनल्लाहि वलहमदु लिललाही व ला इलाहा इल्लल्लाहु वल्लाहु अकबर।
फिर जो दुआ माँगे क़ुबूल होगीऔर अल्लाह तआला उसको बेइनतहां नेमते अता करेगा और उसके कुल गुनाह बक्श देगा।
तालिबे दुआ :
असिरे गौसे आज़म मोहम्मद फज़ले हक़ असीरूलक़ादरी*
ख़ादिम दारुल उलूम अता-ए-रसूल,रज़ा नगर,कोटा।
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