आपका-अख्तर खान

हमें चाहने वाले मित्र

21 मार्च 2022

और हमने मूसा को किताब (तौरैत) अता की और उस को बनी इसराईल की रहनुमा क़रार दिया (और हुक्म दे दिया) कि ऐ उन लोगों की औलाद जिन्हें हम ने नूह के साथ कश्ती में सवार किया था

 वह ख़ुदा (हर ऐब से) पाक व पाकीज़ा है जिसने अपने बन्दों को रातों रात मस्जिदुल हराम (ख़ान ऐ काबा) से मस्जिदुल अक़सा (आसमानी मस्जिद) तक की सैर कराई जिसके चैगिर्द हमने हर किस्म की बरकत मुहय्या कर रखी हैं ताकि हम उसको (अपनी कुदरत की) निशानियाँ दिखाए इसमें शक नहीं कि (वह सब कुछ) सुनता (और) देखता है (1)
और हमने मूसा को किताब (तौरैत) अता की और उस को बनी इसराईल की रहनुमा क़रार दिया (और हुक्म दे दिया) कि ऐ उन लोगों की औलाद जिन्हें हम ने नूह के साथ कश्ती में सवार किया था (2)
मेरे सिवा किसी को अपना कारसाज़ न बनाना बेशक नूह बड़ा शुक्र गुज़ार बन्दा था (3)
और हमने बनी इसराईल से इसी किताब (तौरैत) में साफ साफ बयान कर दिया था कि तुम लोग रुए ज़मीन पर दो मरतबा ज़रुर फसाद फैलाओगे और बड़ी सरकशी करोगे (4)
फिर जब उन दो फसादों में पहले का वक़्त आ पहुँचा तो हमने तुम पर कुछ अपने बन्दों (नजतुलनस्र) और उसकी फौज को मुसल्लत {ग़ालिब} कर दिया जो बड़े सख़्त लड़ने वाले थे तो वह लोग तुम्हारे घरों के अन्दर घुसे (और खूब क़त्ल व ग़ारत किया) और ख़ुदा के अज़ाब का वायदा जो पूरा होकर रहा (5)
फिर हमने तुमको दोबारा उन पर ग़लबा देकर तुम्हारे दिन फेरे और माल से और बेटों से तुम्हारी मदद की और तुमको बड़े जत्थे वाला बना दिया (6)
अगर तुम अच्छे काम करोगे तो अपने फायदे के लिए अच्छे काम करोगे और अगर तुम बुरे काम करोगे तो (भी) अपने ही लिए फिर जब दूसरे वक़्त का वायदा आ पहुँचा तो (हमने तैतूस रोगी को तुम पर मुसल्लत किया) ताकि वह लोग (मारते मारते) तुम्हारे चेहरे बिगाड़ दें (कि पहचाने न जाओ) और जिस तरह पहली दफा मस्जिद बैतुल मुक़द्दस में घुस गये थे उसी तरह फिर घुस पड़ें और जिस चीज़ पर क़ाबू पाए खूब अच्छी तरह बरबाद कर दी (7)
(अब भी अगर तुम चैन से रहो तो) उम्मीद है कि तुम्हारा परवरदिगार तुम पर तरस खाए और अगर (कहीं) वही शरारत करोगे तो हम भी फिर पकड़ेंगे और हमने तो काफिरों के लिए जहन्नुम को क़ैद खाना बना ही रखा है (8)
इसमें शक नहीं कि ये क़ुरान उस राह की हिदायत करता है जो सबसे ज़्यादा सीधी है और जो इमानदार अच्छे अच्छे काम करते हैं उनको ये खुशख़बरी देता है कि उनके लिए बहुत बड़ा अज्र और सवाब (मौजूद) है (9)
और ये भी कि बेशक जो लोग आखि़रत पर इमान नहीं रखते हैं उनके लिए हमने दर्दनाक अज़ाब तैयार कर रखा है (10)

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

दोस्तों, कुछ गिले-शिकवे और कुछ सुझाव भी देते जाओ. जनाब! मेरा यह ब्लॉग आप सभी भाईयों का अपना ब्लॉग है. इसमें आपका स्वागत है. इसकी गलतियों (दोषों व कमियों) को सुधारने के लिए मेहरबानी करके मुझे सुझाव दें. मैं आपका आभारी रहूँगा. अख्तर खान "अकेला" कोटा(राजस्थान)

Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...