न्यायालय ,, न्यायालय में , इंसाफ के पैरोकार , जो , हर मज़लूम , हर पीड़ित को न्याय दिलवाते है , ,वही पैरोकार , पक्षकारों के साथ ,, सेहत को नुकसान पहुंचाने वाले खाद्य पदार्थ खाने , पीने को मजबूर है , कोटा न्यायालय परिसर में कमोबेश यही हाल हैं , यहां कुछ एक दुकानों पर तो , पीने का पानी भी , टंकी का , तो टंकी के नल को भी गंदगी के पास से पाइप में लगाकर भरे जाने वाले पानी को पीने को मजबूर हैं , जी हाँ दोस्तों , कोटा अभिभाषक परिषद के हर साल चुनाव होते है , 15 मार्च को चुनाव भी हो चुके , वोटिंग के पहले , हर साल की तरह , अलग अलग सिम्पोजियम हुए ,, बढ़ी बढ़ी बातें , बढे बढे वायदे हुए , वकीलों की केंटिंन अलग खुलवाने का स्थाई वायदा भी हुआ ,, लेकिन वायदा पूरा हो या ना हो , किसी भी वकील साथी इस तरह की गंदगी व्यवस्था , खाध पदार्थों में मिलावट की जांच के बारे में , स्वास्थ्य विभाग से , खाद्य पदार्थ , टंकियों से सप्लाई होने वाले पीने के पानी , की शुद्धता की जांच आज तक नहीं कराई है ,, ताज्जुब है ,, कोटा न्यायालय परिसर , न्याय का मंदिर ,यहां जज साहब बैठते है , दो हज़ार से ज़्यादा सक्रिय वकील उपस्थित रहते है , कुछ एक गिनती के वकील साथी तो घर से अपना पानी ले आते है , कुछ खाना ले आते हैं , लेकिन बाक़ी तो बस , सर दर्द हो , थकान हो तो चाय केंटीन की , थोड़ी अल्पाहार की ज़रूरत हो तो कचोरी , समोसा , पकवान , पकोड़ी , नमकीन , फलाहार ,, फ्रूट चाट ,, फ्रूट ज्यूज़ वगेरा , वगेरा सब केंटीन , थड़ी चाय वाले , चाट वाले ही , उनकी ज़रूरत पूरी करते हैं ,, प्यास लगे तो कुछ और लोग है , जो अपना केम्पर मंगा लेते है , लेकिन बाक़ी लोग तो , या तो कलेक्ट्री के ठीक सामने लगने वाली होटल , पर बैठेंगे , जहाँ पीने का पानी अगर माँगा तो उन्हें ,, गंदगी भरे , पुरुष यूरिनल के पास ,स्थित टंकी के पानी से भरे गए ,, पानी को पीना पढ़ेगा , उन्हें यह भी पता नहीं के यह पानी पाइप लगाकर , कहाँ से , कैसे भरा गया है ,, बस प्यासे है ,गट , गट करके पानी पीना और प्यास बुझाना उनकी मजबूरी है , नमकीन , सेव , कचोरी , दूध , चाय ,, पकोड़ी का तेल , वगेरा , वगेरा ,, सभी तो गंदगी के माहौल में , भूख मिटाने के लिए अभिभाषक साथी खाने को मजबूर हैं , लेकिन जहां इंसाफ का मंदिर है ,जहाँ इस मंदिर में इन्साफ के देवता बैठते है , जहाँ रोज़ वकीलों के रूप में दो हज़ार से अधिक इंसाफ के पुजारी , इन्साफ की जंग लड़ने आते है ,, जहां ज़िले के कलेक्टर , ज़िले के पुलिस अधिकारी , के कार्यालय है ,वोह नियमित बैठते है , उनके रहने के बंगले है , थोड़ी दूरी पर , मिलावट युक्त पदार्थों की , शुद्धता जांचने का कार्यालय है , लेकिन ऐसे गंदे हालात ,भीड़ भरे माहौल ,, पानी की टंकियों के हालातों के बाद भी , हफ्तेवार , मासिक , या त्रेमासिक , या वार्षिक किसी भी कार्यकाल में ,, खाद्य पदार्थ की शुद्धता जांचने के लिए , कोई खाद्य पदार्थ निरीक्षक कभी नहीं आया , दूध केसा है , पानी केसा है , तेल केसा है ,, फ्रूट कैसे हैं , मिठाई ,या नमकीन ,या कचोरी वगेरा केसी है , साफ सफाई गंदगी किस हालत में हैं ,वगेरा वगेरा , ,कोई जांचने नहीं आया , जांचने नहीं आया कोई बात नहीं , निरीक्षण के दौरान भी , यह जाँच करवाना , किसी भी स्तर पर मुनासिब नहीं समझा गया ,, अभिभाषक परिषद के नेतृत्व , चुनाव जीतते है , केंटीन के वायदे पर तो चर्चा भी नहीं होती , लेकिन केंटीन जो अभी उपलब्ध है , बाहर ठेले हैं , वगेरा वगेरा किस हालत में है ,उनकी शुद्धता के क्या हालात है ,, इस मामले में जांच करवाने के ,लिए , खाद्य पदार्थों के सेम्पल लेने के लिए कलक्टर , स्वास्थ्य अधिकारी , निरीक्षक को पत्र भी नहीं लिखा ,, लेकिन जो भूल गए , भूल गए ,, अब फिर 15 मार्च को चुनाव हो चुके है ,बढे बढे शेर , हर बार की तरह , दहाड़ चुके है ,, ,वकीलों के लिए , आसमान से तारे तोड़ने की बातें कर चुके है, वकीलों के लिए चाँद ज़मीन पर लाने के वायदे कर चुके है , बढे बढे सब्ज़ बाग़ दिखा चुके है , दिखाओ , लेकिन बस , वकील साथियों के स्वास्थ्य के प्रति गंभीर हो जाओ , उन्हें बैठने के लिए पर्याप्त व्यवस्थित , गर्मी से बचाव , सर्दी से बचाव ,बारिश से बचाव ,, बारिश में अदालत को तालाब बनने से बचाव ,, वकीलों के खाने पीने के लिए केंटीन में , दूध , दही , चाय , नमकीनं , कचोरी , समोसे , फूट्स , टंकियों से पीने के पानी की सप्लाई की शद्धता की जांच , आकस्मिक जांच हो , लगातार होती रहे , और इस शुद्धता की जांच के नमूनों के नतीजे , सार्वजनिक रूप से अख़बारों में भी प्रकाशित हों ,, कोनसा खाद्य पदार्थ कितना शुद्ध है , कितना मिलावटी , सेहत के लिए नुक्सानदायक है , पीने का पानी कितना शुद्ध है , कितनी साफ़ सुथरी व्यवस्था है , पीने के पानी की शुद्धता का बी ओ डी , सी ओ डी का लेवल क्या है , होटलों पर ,ठेलों पर ,, पीने के पानी को ,किस जगह , कोनसे नल में पाइप लगाकर भरा जा रहा है ,, केंटीन ,, या फिर ठेलों पर ,, कोई अवैध कारोबार , , नशीली सामग्री का सेवन , या बिक्री तो नहीं हो रही , यह सभी जांचने की परखने की ज़बरदस्त ज़रूरत है , क्योंकि एक तरफ कोरोना संक्रमण , इम्युनिटी की कमज़ोरी , दूसरी तरफ भीषण गर्मी का आगमन , और मिलावट युक्त खाद्य पदार्थ , मिलावट युक्त पीने का पानी ,, वकीलों को धीमा ज़हर देकर , उनके स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ हो रहा है , उसे रोक नहीं सकते , तो रोकने की कोशिश तो कर सकते हैं ,, मेरी दरख्वास्त है , अभिभाषक परिषद के ,, प्रत्याक्षी , निर्वाचित होने वाले लोग , इस मामले को गंभीरता से लें ,, और वकीलों के खाद्य पदार्थों में , पीने के पानी के मामले में , शुद्ध के लिए युद्ध के ,,जांबाज़ योद्धा बनकर , वकीलों की सेहत को सुरक्षित रखने की इस जंग को लड़ें भी और जीतें भी ,, वकीलों की ही नहीं , उनके परिजनों , बच्चों की भी दुआएं लगेंगी ,, अख्तर खान अकेला कोटा
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