फिल्म तो फिल्म है , उसे देखे , समझे ,, और फिर अपने आप में , अपने समाज में , सुधार करें , ज़िम्मेदार नेताओं , ज़िम्मेदार पार्टियों को बेनक़ाब करें , कब तक हिन्दू , मुस्लिम , कश्मीरी पंडित के नाम पर , वोटों की सियासत होगी , रोज़ी , रोटी , रोज़गार , महंगाई ,, विकास , वृद्धि ,, में नाकाम सरकारें , कब तक , इन मुद्दों को आगे करके , हमारे ज़रूरी मुद्दों को छुपाती रखती रहेंगी , भूख ,,गरीबी , विकास , महंगाई को दरकिनार कर ,भावनाये भड़काकर शार्ट कट में चुनाव जीत कर , इस लोकतंत्र को तार तार यह हमारे नेता , यह हमारी पार्टियां करती रहेंगी ,,
फ़िल्में मसालेदार बनाकर , घटनाओं को तोड़ मरोड़ कर , लोगों के जज़्बात में उन्हें शामिल कर , सिर्फ रूपये कमाने के लिए बनाई जाती है , फिल्मों का जज़्बातों , सच्चाई , इतिहास से कोई लेना देना नहीं है , यह देश जानता है, और हाल ही में बनी कश्मीर फिल्म ,जो बीस करोड़ रुपये में बनी और उस फिल्मे ने , करोड़ों रूपये कमाई का रिकॉर्ड बनाया है , अगर यह फिल्म फिल्म नहीं, अगर यह फिल्म , किसी पार्टी विशेष की प्रचारक , या फिर फायदा पहुंचाने की कोशिश नहीं , संवेदनाओं से अगर यह फिल्म भरी है , तो निश्चित तोर पर इस फिल्म से , कमाई गयी करोड़ों करोड़ रूपये की राशि फिल्म निर्माण में खर्च निकालने के बाद , इस फिल्म की सारी बचत , भाई कश्मीरी पंडितों के पुनर्वास , उनके कल्याण पर खर्च होना चाहिए ,, इतना ही नहीं , जो राष्ट्रभक्त कलाकार इस फिल्म में काम करने वाले है , वोह भी एक्टिंग के नाम पर जो उन्होंने करोडो करोड़ का मुनाफा प्राप्त किया है , वोह मुनाफा भी उन्हें खुद स्वेच्छा से छोड़कर , कश्मीरी पंडित भाइयों के कल्याण , पुनर्वास पर खर्च करना चाहिए , खेर फिल्म है , लेकिन अब तक की हर फिल्म में, जब जब इतिहास तोडा है , मरोड़ा है , तब तब विवाद हुए है , इस फिल्म में ,, सभी तरह की तोड़फोड़ कर , एक तरफा जज़्बाती व्यवस्था के तहत बनाई गयी इस फिल्म का कोई विरोध नहीं कर रहा है, क्योंकि अब तो विरोधी ही इसके प्रचारक है,, फिल्म में क्या छुपाया , क्या दिखाया ,, यह सारा देश , सारे देश की सियासत , जानती है , ऐसा क्यों , किसलिए हुआ , क्यों एक प्रधानमंत्री को , लोकसभा , राज्य सभा के चलते , ,इस फिल्म को प्रमोट करने के लिए तारीफ करना पढ़ी , क्यों इस फिल्म के प्रचारक , एक ही पार्टी के कार्यकर्ता है , जबकि जिन कश्मीरियों के लिए यह फिल्म बनी है ,उनमे से कई परिवार आज भी इस फिल्म के आधे सच को लेकर , आलोचना कर रहे है , लेकिन फिल्म तो फिल्म है , सच सर चढ़ कर बोलता है , ,इस फिल्म के बाद , चाहे अब कश्मीरी पंडितों के नाम पर देश में नफरत और दूरियां बढ़ाने की साज़िशें वोटों के बटवारे की कोशिशों में कामयाब हो जाएँ , लेकिन कश्मीर में पुनर्वास की योजना तो अब दूर लगती है, ,फिल्म के माध्यम से चाहे कुछ भी बताया गया हो , लेकिन अब ,, भाजपा और समर्थकों के पास सीधा माहौल बनाने की साज़िश है के , खुद कश्मीरी पंडित भाई , वहां नहीं जाना चाहते , हम तो बसाना चाहते है ,, लेकिन वोह खुद इंकार कर रहे है , ,खेर , ,जो भी हो , लेकिन समस्या जस की तस है , ,नफरत अपनी जगह, गुस्सा अपनी जगह , और भाई कश्मीरी पंडितों की समस्या अपनी जगह , अब जगमोहन के वक़्त , जो भी हादसे हुए उसकी बात करते है, कुछ लोग थेंक्यु कहते है , भाजपा की दोहरी निति को बेनक़ाब करने को , भाजपा विश्व नाथ प्रताप सिंह के साथ , सरकार में थी , वहां फ़ारुक़ अब्दुल्लाह सरकार को ग्रह मंत्री मुफ़्ती सईद के इशारे पर बर्खास्त कर दिया गया था , और फिर पलायन , पलायन , हिंसा , नफरत , ऐलान के साथ खौफ का वातावरण बना , ग्रह मंत्री भाजपा के समर्थित थे ,प्रधानमंत्री भाजपा के समर्थित थे , कश्मीरी पंडित भाइयों का नरसंहार था , बेइज़्ज़ती , अपमान था , उन्हें खदेड़ा जा रहा था , लेकिन भाजपा , और आर एस एस , वी पी सिंह और ग्रह मंत्री मुफ़्ती सईद की गोद में बैठे थे , वोह इस मुद्दे पर कुछ नहीं बोलते हैं , दखल नहीं देते है , समर्थन वापस लेकर सरकार नहीं गिराते है , आदरणीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के गुरु लालकृष्ण आडवाणी साहब , रथ यात्रा निकालते है , वोह कश्मीर में पंडितों के पुनर्वास की मांग को लेकर की यात्रा नहीं निकालते है , ,कोई दबाव नहीं बनाते है , और रथ यात्रा के नाम पर लोगों को भटकाते है, फिर मुफ़्ती सईद की पुत्री रुबीना का अपहरण के नाम पर , कश्मीरी पंडितों पर ज़ुल्म ज़्यादती करने वाले , आतंकवादियों में से जिन्हे कांग्रेस सरकार में , सैनिकों ने अपनी जान पर खेलकर गिरफ्तार किया था , उन्हें चुटकियों में भाजपा की समर्थित सरकार में छोड़ दिया जाता है , भाजपा चुप रहती है , ,खुद भाजपा समर्थित सरकार में , जगमोहन गवर्नर , सरकारी स्तर ,अपर पंडित भाइयों के पलायन का समर्थन करते ,है उन्हें रोकते नहीं , सुरक्षा नहीं देते , और फिर गावकदल नरसंहार पैरामिलिट्री फ़ोर्स की गोलियों से 50 लोगों की मोत के बाद , मामला और भड़का दिया गया ,, 1990 में कश्मीर से पलायन करने वाले 44167 परिवार रजिस्टर्ड हुए ,, जिसमे से 39782 पंडित भाइयों के परिवार है , ,सुचना के अधिकार अधिनियम में दी गयी जानकारी के अनुसार इस दौरान 89 कश्मीरी पंडित भाइयों का नरसंहार हुआ , जबकि 1635 दूसरे समाज के लोगों का नरसंहार हुआ ,, जगमोहन जो कश्मीर के गवर्नर थे , उन्हें भाजपा सरकार ने तीन बार सांसद , एक बार राज्य सभा सदस्य बनाया ,, वोह केंद्र में , आवास विकास मंत्री भी रहे , केंद्र में अटल बिहारी वाजपयी की सरकार साढ़े छह साल रही , फिर अभी आठ सालों से नरेंद्र मोदी जी की सरकार है , इसके पहले , कश्मीर में ,भाजपा ने , मुफ्ती सईद अहमद गृहमंत्री जिनकी पुत्री के अपहरण के बाद , सात अलगाववादी आतंकवादी छोड़े गए थे , जो कश्मीरी पंडितों की हत्या , ,नरसंहार , ज़ुल्म ज़्यादती के आरोपी थे , उस ग्रह मंत्री की पुत्री मुफ़्ती महबूबा के साथ सरकार बनाई गयी , भाजपा और मुफ़्ती महबूबा की सरकार ढाई साल रही , वहां कश्मीरी पंडितों को बसाने को लेकर कोई भाजपा की पहल नहीं हुई , ,कांग्रेस सरकार में , देश के जांबाज़ सिपाहियों ने , अपनी जान पर खेलकर , जिन खतरनाक अलगाववादी ,आतंकवादियों को गिरफ्तार कर जेल भेजा था, यह वही खतरनाक आतंकवादी जिन्हों की शह पर कश्मीरी आतंकवादियों ने ,, हमारे कश्मीरी पंडित भाइयों में डर खोफ़ का वातावरण बनाया था , पाकिस्तान समर्थक थे ,, उन आंतकवादियों को ,, भाजपा के ग्रह मंत्री हवाई जहाज़ में बिठाकर , कंधार छोड़कर आये , ,अगर फिल्म में नफरत के माहौल को उजागर करने का एजेंडा नहीं था , तो फिर यह सब बातें भी उसमे होना चाहिए थीं , लेकिन क्यों होतीं , फिल्म में ,, एक्टिंग भाजपा सांसद के पतिदेव जो कर रहे थे , जम्मूकश्मीर की हर खबर पर नज़र रखने वाली पत्रकार अनुराधा भसीन उस वक़्त की ताज़ा रिपोर्टिंगों में ,लगातार जगहमोहन द्वारा कश्मीरी पंडित भाइयों को पलायन का रास्ता दिखाने के खिलाफ लिखती रही , बोलती रही, सैफुद्दीन सोज़ ,खुद पत्रकार अनुराधा सहित कई लोगों ने इस मामले में आपत्ति जताई , खेर 32 साल हो गये , दर्दनाक हादसे हुए , भाजपा उस वक़्त एकता यात्रा , रथ यात्रा में , व्यस्त रही , कश्मीरी पंडितों का दर्द भाजपा और संघ के लोगों को समझ नहीं आया ,, लेकिन साढ़े छह साल अटल बिहारी वाजपेयी , दो साल वी पी सिंह के साथ समर्थित सरकार और अब आठ सालों से आप सरकार में हो , कश्मीरी पंडितों के दर्द की इतनी ही फ़िक्र है , तो उनके पुनर्वास , उनकी क्षतिपूर्ति के लिए कुछ ,करते जिस तरह से सिक्ख दंगों के दोषियों के मामले की जांच दुबारा करवाकर उन्हें जेल भेजा गया , ,उसी तरह , कश्मीरी पंडितों के ऊपर अत्याचार करने वालों , उनके समर्थकों को जेल भेजते , पलायन कर गए लोगों को पुनर्वासित करवाते , लेकिन कश्मीरी पंडित के पुनर्वास की बात तो दूर , अलगाववाद की साथी मददगार बनी , मुफ़्ती महबूबा के साथ , भाजपा ने हाथ मिलाकर ,गठबंधन सरकार बनाई , सरकार के मज़े लिए ,, अब भी कुछ नहीं बिगड़ा ,, सरकार का दोहरा चरित्र सामने आ गया है , फ़िल्म के प्रमोट के लिए , तो खूब प्रधानमंत्री , मंत्री , विधायक , सांसद , संघ , ,कार्यकर्ता , मीडिया नौकर , सभी प्रचारित कर रहे है , फिल्म भी करोडो अरबों कमा रही है , किसी की संवेदनाये , किसी का दर्द , कमाई ज़रिया बनाना , कहा की अक़्लमंदी है ,और अगर आप वाक़ई इस दर्द को महसूस करते है ,तो फिल्म से कमाई गयी करोड़ों करोड़ रूपये की दौलत पीड़ित परिवारों के पुनर्वास पर खर्च करवाओ , फिल्म में एक्टिंग के अगर आप 15 करोड़ लेते हो , तो ऐसे मज़लूम ,पीड़ित , प्रताड़ित ,, सिसकते लोगों का सच बताने को लेकर , व्यापार मत करो , एक्टिंग के पैसे भी वापस लौटाओ , ,उस वक़्त के जो भी ज़ालिम रहे है, उसमे से कुछ आतंकवादियों को तो एक बार भाजपा समर्थित वी पी सिंह सरकार में , छोड़ा गया , फिर भाजपा की अटल बिहारी सरकार में , कुछ खतरनाक आतंकवादियों को , कंधार ले जाकर छोड़कर आये , लेकिन फिर भी कुछ अगर बचे है , तो उन्हें चिन्हित कर , सज़ा दिलवाओ ,, हाल ही में ,,जम्मू कश्मीर के मुख्यमंत्री रहे गुलाम नबी आज़ाद के राजयसभा से सदस्य कार्यकाल समाप्त होने के ,वक़्त आयोजित कार्य्रकम ,में आदरणीय प्रधानमंत्री ने उनके कश्मीर के कामकाज की तारीफों के पूल बांधे थे , इसका मतलब , प्रधानमंत्री महोदय गुलाम नबी आज़ाद के उस वक़्त के कार्यकाल की निष्पक्षता के प्रशंसक रहे है,, अन्यथा वोह कश्मीरी पंडितों की प्रताड़ना के क़िस्से को उनके कार्यकाल समाप्ति समारोह में गिनाते ,, खेर अब भी वक़्त है, अब नफरत की बातें छोडो ,, आंसुओं और सुबकियों को दिखाकर ,वोट मत मांगो , जो गलतियां हुई है ,उसे सुधारो , मोहब्बत का पैगाम दो , और जो कोई भी नफरत , अलगाव की बात करे , उसे सबक़ सिखाओ, कश्मीरी पंडितों को , उनका हक़ दिलाओ, इंसाफ दिलाओ ,, अख्तर खान
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