उस दिन (को याद करो) जब हम तमाम लोगों को उन पेशवाओं के साथ बुलाएँगें तो
जिसका नामए अमल उनके दाहिने हाथ में दिया जाएगा तो वह लोग (खुश खुश) अपना
नामए अमल पढ़ने लगेगें और उन पर रेशा बराबर ज़ुल्म नहीं किया जाएगा (71)
और जो शख़्स इस (दुनिया) में (जान बूझकर) अंधा बना रहा तो वह आखि़रत में
भी अंधा ही रहेगा और (नजात) के रास्ते से बहुत दूर भटका सा हुआ (72)
और (ऐ रसूल) हमने तो (क़ुरान) तुम्हारे पास ‘वही’ के ज़रिए भेजा अगर चे
लोग तो तुम्हें इससे बहकाने ही लगे थे ताकि तुम क़ुरान के अलावा फिर (दूसरी
बातों का) इफ़तेरा बाँधों और (जब तुम ये कर गुज़रते उस वक़्त ये लोग तुम
को अपना सच्चा दोस्त बना लेते (73)
और अगर हम तुमको साबित क़दम न रखते तो ज़रुर तुम भी ज़रा (ज़हूर) झुकने ही लगते (74)
और (अगर तुम ऐसा करते तो) उस वक़्त हम तुमको जि़न्दगी में भी और मरने पर
भी दोहरे (अज़ाब) का मज़ा चखा देते और फिर तुम को हमारे मुक़ाबले में कोई
मददगार भी न मिलता (75)
और ये लोग तो तुम्हें (सर ज़मीन मक्के) से दिल बर्दाश्त करने ही लगे थे
ताकि तुम को वहाँ से (शाम की तरफ) निकाल बाहर करें और ऐसा होता तो तुम्हारे
पीछे में ये लोग चन्द रोज़ के सिवा ठहरने भी न पाते (76)
तुमसे पहले जितने रसूल हमने भेजे हैं उनका बराबर यही दस्तूर रहा है और जो
दस्तूर हमारे (ठहराए हुए) हैं उनमें तुम तग़्य्युर तबद्दुल {रद्दो बदल} न
पाओगे (77)
(ऐ रसूल) सूरज के ढलने से रात के अँधेरे तक नमाज़े ज़ोहर, अ०, मग़रिब,
इशा पढ़ा करो और नमाज़ सुबह (भी) क्योंकि सुबह की नमाज़ पर (दिन और रात
दोनों के फरिश्तौं की) गवाही होती है (78)
और रात के ख़ास हिस्से में नमाजे़ तहज्जुद पढ़ा करो ये सुन्नत तुम्हारी
खास फज़ीलत हैं क़रीब है कि क़यामत के दिन ख़ुदा तुमको मक़ामे महमूद तक
पहुँचा दे (79)
और ये दुआ माँगा करो कि ऐ मेरे परवरदिगार मुझे (जहाँ) पहुँचा अच्छी तरह
पहुँचा और मुझे (जहाँ से निकाल) तो अच्छी तरह निकाल और मुझे ख़ास अपनी
बारगाह से एक हुकूमत अता फरमा जिस से (हर कि़स्म की) मदद पहुँचे (80)
तुम अपने किरदार को इतना बुलंद करो कि दूसरे मज़हब के लोग देख कर कहें कि अगर उम्मत ऐसी होती है,तो नबी कैसे होंगे? गगन बेच देंगे,पवन बेच देंगे,चमन बेच देंगे,सुमन बेच देंगे.कलम के सच्चे सिपाही अगर सो गए तो वतन के मसीहा वतन बेच देंगे.
09 मार्च 2022
और अगर हम तुमको साबित क़दम न रखते तो ज़रुर तुम भी ज़रा (ज़हूर) झुकने ही लगते
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