और जिन लोगों ने (कुफ़्फ़ार के ज़ुल्म पर ज़ुल्म सहने के बाद ख़ुदा की खुषी
के लिए घर बार छोड़ा हिजरत की हम उनको ज़रुर दुनिया में भी अच्छी जगह
बिठाएँगें और आखि़रत की जज़ा तो उससे कहीं बढ़ कर है काश ये लोग जिन्होंने
ख़ुदा की राह में सखि़्तयों पर सब्र किया (41)
और अपने परवरदिगार ही पर भरोसा रखते हैं (आखि़रत का सवाब) जानते होते (42)
और (ऐ रसूल) तुम से पहले आदमियों ही को पैग़म्बर बना बनाकर भेजा किए जिन
की तरफ हम वहीं भेजते थे तो (तुम एहले मक्का से कहो कि) अगर तुम खुद नहीं
जानते हो तो एहले जि़क्र (आलिमों से) पूछो (और उन पैग़म्बरों को भेजा भी
तो) रौशन दलीलों और किताबों के साथ (43)
और तुम्हारे पास क़ुरान नाजि़ल किया है ताकि जो एहकाम लोगों के लिए
नाजि़ल किए गए है तुम उनसे साफ साफ बयान कर दो ताकि वह लोग खुद से कुछ ग़ौर
फिक्र करें (44)
तो क्या जो लोग बड़ी बड़ी मक्कारियाँ (शिर्क वग़ैरह) करते थे (उनको इस
बात का इत्मिनान हो गया है (और मुत्तलिक़ ख़ौफ नहीं) कि ख़ुदा उन्हें ज़मीन
में धसा दे या ऐसी तरफ से उन पर अज़ाब आ पहुँचे कि उसकी उनको ख़बर भी न हो
(45)
उनके चलते फिरते (ख़ुदा का अज़ाब) उन्हें गिरफ्तार करे तो वह लोग उसे ज़ेर नहीं कर सकते (46)
या वह अज़ाब से डरते हो तो (उसी हालत में) धर पकड़ करे इसमें तो शक नहीं कि तुम्हारा परवरदिगार बड़ा शफीक़ रहम वाला है (47)
क्या उन लोगों ने ख़ुदा की मख़लूक़ात में से कोई ऐसी चीज़ नहीं देखी
जिसका साया (कभी) दाहिनी तरफ और कभी बायी तरफ पलटा रहता है कि (गोया) ख़ुदा
के सामने सर सजदा है और सब इताअत का इज़हार करते हैं (48)
और जितनी चीज़ें (चादँ सूरज वग़ैरह) आसमानों में हैं और जितने जानवर
ज़मीन में हैं सब ख़ुदा ही के आगे सर सजूद हैं और फरिश्ते तो (है ही) और वह
हुक्में ख़ुदा से सरकशी नहीं करते (49) (सजदा)
और अपने परवरदिगार से जो उनसे (कहीं) बरतर (बड़ा) व आला है डरते हैं और जो हुक्में दिया जाता है फौरन बजा लाते हैं (50)
तुम अपने किरदार को इतना बुलंद करो कि दूसरे मज़हब के लोग देख कर कहें कि अगर उम्मत ऐसी होती है,तो नबी कैसे होंगे? गगन बेच देंगे,पवन बेच देंगे,चमन बेच देंगे,सुमन बेच देंगे.कलम के सच्चे सिपाही अगर सो गए तो वतन के मसीहा वतन बेच देंगे.
28 मार्च 2022
और अपने परवरदिगार ही पर भरोसा रखते हैं (आखि़रत का सवाब) जानते होते
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