और अगर (कहीं) ख़ुदा अपने बन्दों की नाफरमानियों की गिरफ़त करता तो रुए
ज़मीन पर किसी एक जानदार को बाक़ी न छोड़ता मगर वह तो एक मुक़र्रर वक़्त तक
उन सबको मोहलत देता है फिर जब उनका (वह) वक़्त आ पहुँचेगा तो न एक घड़ी
पीछे हट सकते हैं और न आगे बढ़ सकते हैं (61)
और ये लोग खुद जिन बातों को पसन्द नहीं करते उनको ख़ुदा के वास्ते क़रार
देते हैं और अपनी ही ज़बान से ये झूठे दावे भी करते हैं कि (आखि़रत में भी)
उन्हीं के लिए भलाई है (भलाई तो नहीं मगर) हाँ उनके लिए जहन्नुम की आग
ज़रुरी है और यही लोग सबसे पहले (उसमें) झोंके जाएँगें (62)
(ऐ रसूल) ख़ुदा की (अपनी) कसम तुमसे पहले उम्मतों के पास बहुतेरे
पैग़म्बर भेजे तो शैतान ने उनकी कारस्तानियों को उम्दा कर दिखाया तो वही
(शैतान) आज भी उन लोगों का सरपरस्त बना हुआ है हालाँकि उनके वास्ते दर्दनाक
अज़ाब है (63)
और हमने तुम पर किताब (क़ुरान) तो इसी लिए नाजि़ल की ताकि जिन बातों में
ये लोग बाहम झगड़ा किए हैं उनको तुम साफ साफ बयान करो (और यह किताब)
इमानदारों के लिए तो (अज़सरतापा) हिदायत और रहमत है (64)
और ख़ुदा ही ने आसमान से पानी बरसाया तो उसके ज़रिए ज़मीन को मुर्दा होने
के बाद जि़न्दा (षादाब) (हरी भरी) किया क्या कुछ शक नहीं कि इसमें जो लोग
बसते हैं उनके वास्ते (कु़दरते ख़ुदा की) बहुत बड़ी निशानी है (65)
और इसमें शक नहीं कि चैपायों में भी तुम्हारे लिए (इबरत की बात) है कि
उनके पेट में ख़ाक, बला, गोबर और ख़ून (जो कुछ भरा है) उसमें से हमे तुमको
ख़ालिस दूध पिलाते हैं जो पीने वालों के लिए खुशगवार है (66)
और इसी तरह खुरमें और अंगूर के फल से (हम तुमको शीरा पिलाते हैं) जिसकी
(कभी तो) तुम शराब बना लिया करते हो और कभी अच्छी रोज़ी (सिरका वगै़रह)
इसमें शक नहीं कि इसमें भी समझदार लोगों के लिए (क़ुदरत ख़ुदा की) बड़ी
निशानी है (67)
और (ऐ रसूल) तुम्हारे परवरदिगार ने शहद की मक्खियों के दिल में ये बात
डाली कि तू पहाड़ों और दरख़्तों और ऊँची ऊँची ट्ट्टियाँ (और मकानात पाट कर)
बनाते हैं (68)
उनमें अपने छत्ते बना फिर हर तरह के फलों (के पूर से) (उनका अकऱ्) चूस
कर फिर अपने परवरदिगार की राहों में ताबेदारी के साथ चली मक्खियों के पेट
से पीने की एक चीज़ निकलती है (शहद) जिसके मुख़्तलिफ रंग होते
हैं इसमें लोगों (के बीमारियों) की शिफ़ा (भी) है इसमें शक नहीं कि
इसमें ग़ौर व फि़क्र करने वालों के वास्ते (क़ुदरते ख़ुदा की बहुत बड़ी
निशानी है) (69)
और ख़ुदा ही ने तुमको पैदा किया फिर वही तुमको (दुनिया से) उठा लेगा और
तुममें से बाज़ ऐसे भी हैं जो ज़लील जि़न्दगी (सख़्त बुढ़ापे) की तरफ लौटाए
जाते हैं (बहुत कुछ) जानने के बाद (ऐसे सड़ीले हो गए कि) कुछ नहीं जान सके
बेशक ख़ुदा (सब कुछ) जानता और (हर तरह की) कुदरत रखता है (70)
तुम अपने किरदार को इतना बुलंद करो कि दूसरे मज़हब के लोग देख कर कहें कि अगर उम्मत ऐसी होती है,तो नबी कैसे होंगे? गगन बेच देंगे,पवन बेच देंगे,चमन बेच देंगे,सुमन बेच देंगे.कलम के सच्चे सिपाही अगर सो गए तो वतन के मसीहा वतन बेच देंगे.
29 मार्च 2022
(ऐ रसूल) ख़ुदा की (अपनी) कसम तुमसे पहले उम्मतों के पास बहुतेरे पैग़म्बर भेजे तो शैतान ने उनकी कारस्तानियों को उम्दा कर दिखाया
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