विदेश में 25 लाख फिर देश मे डॉक्टरी की फीस सवा करोड़ क्यो : मनोज दुबे
कोटा 2 मार्च।अखिल भारतीय बेरोजगार मजदूर किसान संघर्ष समिति के राष्ट्रीय अध्यक्ष मनोज दुबे ने प्रधानमंत्री को ज्ञापन भेज कर निजी मेडिकल कॉलेजों में डॉक्टरी की पढ़ाई करने वाले मेडिकल छात्रों से एक से सवा करोड़ फीस वसूले जाने का तीव्र विरोध करते हुए देश के सभी निजी मेडिकल कॉलेजों की फीस कम करने की मांग की है।
मनोज दुबे ने कहा कि जब विदेश में डाँक्टरी की फीस 25 लाख है।तो फिर देश मे डॉक्टरी की फीस सवा करोड़ क्यो?आखिर भारत मे मेडिकल की शिक्षा मंहगी क्यो है।भारत की कुल आबादी 140 करोड़ से ज्यादा है।जबकि यूक्रेन जैसे छोटे देशो की आबादी भारत से बहुत कम है।ऐसे में देश मे आम जनता को चिकित्सा सुविधा सही से मिले इससे लिए आवश्यक है।कि देश मे भी निजी मेडिकल कॉलेजों में मेडिकल की पढ़ाई के लिए ली जाने वाली फीस कम हो।ताकि मेडिकल शिक्षा के लिए देश के युवा बाहर ना जाए।कोरोना काल में जिस प्रकार चिकित्सा सुविधाओं के लिए देश के लोगो को जूझने पर मजबूर होना पड़ा है।ये किसी से छुपा नही है। ग्रामीण इलाकों में आज भी लोगो को समुचित चिकित्सा सुविधा नही मिलने से कितनी परेशानी लोगो को उठानी पड़ती है।इसका अंदाजा वीआईपी सुविधा ले रहे दिल्ली के राजनेताओं को नही है।
मनोज दुबे ने कहा कि मेडिकल की पढ़ाई मंहगी होने से गरीब,मजदूर,किसान व आमजन के बेटे व बेटियों का डॉक्टर बनने का सपना सपना ही बन कर रह जाता है।ऐसे हालातों में गरीब,मजदूर,किसान व आमजन का बेटा व बेटी कैसे डॉक्टर बनेगें ये बड़ा सवाल है।सस्ती फीस और आसान दाखिले की बजह से बड़ी संख्या में देश से छात्र-छात्राए विदेशो में जाकर मेडिकल की पढ़ाई कर रहे है।यूक्रेन सहित अनेको देशो में हर वर्ष देश से बड़ी संख्या में छात्र छात्राएं दाखिले ले रहे है।ओर कई प्रकार की परेशानियों का सामना कर रहे है।आज यूक्रेन में देश के हजारों मासूम मेडिकल की पढ़ाई कर रहे छात्र छात्राएं मुसीबतों में फंसे हुए है।ये देश मे मंहगी मेडिकल की पढ़ाई का ही परिणाम है।जिसका खमियाजा देश के मासूम छात्र व छात्राओं को भुगतना पड़ रहा है।
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