स्काउट-गाइड शिविर समापन पर अंगदान विषय पर कार्यशाला
जिला स्तरीय स्काउट-गाइड प्रशिक्षण शिविर में अंगदान विषय पर कार्यशाला
भारत
स्काउट गाइड कोटा जिले की ओर से बेसिक गाइड कैप्टन और बेसिक फ्लॉक लीडर
कैंप 1 से 7 दिसंबर तक,किशोर सागर तालाब पर आयोजित किया गया
शिविर
संचालिका गाइड विमलेंद्र राठी,फ्लॉक श्रीमती बीना महेरू के निर्देशन में
कोटा जिले से आये हुए शिक्षक व अन्य गाइड-फ्लॉक को प्रशिक्षण दिया जा रहा
है । इसी क्रम में सीओ गाइड प्रीति कुमारी व सहायक सुशीला यादव,दीपेश जोशी
एवं रजनी महावर के सहयोग से आज शाइन इंडिया फाउंडेशन के माध्यम से अंगदान
के विषय पर विस्तार से चर्चा की गयी।
अंगदान
के विषय पर जानकारी देते हुए शाइन इंडिया फाउंडेशन के संस्थापक डॉ कुलवंत
गौड़ ने बताया कि, किसी भी ब्रेन डेड हुए व्यक्ति के अंगों से,मृत्यु के
करीब आए हुए 8 व्यक्तियों का जीवन बचाया जा सकता है ।
परंतु
आज भी हमारे यहां धार्मिक व प्राचीन रूढ़िवादिताओं की भ्रांतियों के कारण
लोग नेत्रदान-अंगदान व देहदान में अपनी रुचि नहीं दिखाते हैं । जबकि सभी
धार्मिक शास्त्रों में नेत्रदान,अंगदान व देहदान को एक पुनीत कार्य बताते
हुए मोक्ष प्राप्त करने का रास्ता बताया गया है ।
नेत्रदान
सबसे सरल होने वाला अंगदान है,जिसमें पूरी आँख ना लेकर, सिर्फ कॉर्निया
लिया जाता है । नेत्रदान 10 मिनट में पूरी हो जाने वाली ,एक रक्त विहीन
प्रक्रिया है,जिसमें चेहरे पर कोई विकृति नहीं आती है । 2 वर्ष से 80 वर्ष
तक की उम्र के व्यक्ति नेत्रदान कर सकते हैं । मृत्यु के उपरांत नेत्र
दाता के आंखों को पूरी तरह बंद करके उन पर गीला रुमाल,कपड़ा रख देना चाहिए
और यदि पंखा चल रहा हो तो उसको बंद कर देना चाहिए जिससे आंखों का कॉर्निया
सुरक्षित रहे और सूखे नहीं ।
मंडल
अधिकारी, कोटा श्रीमान दिलीप माथुर ने नेत्रदान के विषय में जानकारी
प्राप्त करने के उपरांत स्वयं के परिवार सहित नेत्रदान संकल्प लेने का प्रण
लिया और उन्होंने उपस्थित गाइड एंड फ्लॉप को संबोधित करते हुए कहा कि,
नेत्रदान जैसा पुनीत व मोक्ष प्राप्ति जैसा उत्तम कार्य तो हर मनुष्य को
अपने अंतिम समय में करना ही चाहिए, उसके लिए नेत्रदान संकल्प ही एक उचित
माध्यम है ,अधिक से अधिक लोगों को नेत्रदान संकल्प लेकर अपने परिवार के
लोगों को इस बारे में अच्छे से समझाना चाहिए ताकि,जब भी कभी ऐसा समय आता है
तो,वह नेत्रदान करने में पीछे ना हटे । कार्यशाला के उपरांत गाइड सीमा
मेघवाल व रजनी महावर ने नेत्रदान का संकल्प लिया,और श्रीमान माथुर साहब ने
उनको प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया ।
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