और उन लोगों के ऐसे न हो जाओं जो (मुँह से तो) कहते थे कि हम सुन रहे हैं हालाकि वह सुनते (सुनाते ख़ाक) न थे (21)
इसमें शक नहीं कि ज़मीन पर चलने वाले तमाम हैवानात से बदतर ख़ुदा के नज़दीक वह बहरे गूँगे (कुफ्फार) हैं जो कुछ नहीं समझते (22)
और अगर ख़़ुदा उनमें नेकी (की बू भी) देखता तो ज़रूर उनमें सुनने की
क़ाबलियत अता करता मगर ये ऐसे हैं कि अगर उनमें सुनने की क़ाबिलयत भी देता
तो मुँह फेर कर भागते। (23)
ऐ ईमानदार जब तुम को हमारा रसूल (मोहम्मद) ऐसे काम के लिए बुलाए जो
तुम्हारी रूहानी जि़न्दगी का बाइस हो तो तुम ख़ुदा और रसूल के हुक्म दिल से
कुबूल कर लो और जान लो कि ख़ुदा वह क़ादिर मुतलिक़ है कि आदमी और उसके दिल
(इरादे) के दरमियान इस तरह आ जाता है और ये भी समझ लो कि तुम सबके सब उसके
सामने हाजि़र किये जाओगे (24)
और उस फितने से डरते रहो जो ख़ास उन्हीं लोगों पर नही पड़ेगा जिन्होने
तुम में से ज़ुल्म किया (बल्कि तुम सबके सब उसमें पड़ जाओगे) और यक़ीन
मानों कि ख़ुदा बड़ा सख़्त अज़ाब करने वाला है (25)
(मुसलमानों वह वक़्त याद करो) जब तुम सर ज़मीन (मक्के) में बहुत कम और
बिल्कुल बेबस थे उससे सहमे जाते थे कि कहीं लोग तुमको उचक न ले जाए तो
ख़ुदा ने तुमको (मदीने में) पनाह दी और ख़ास अपनी मदद से तुम्हारी ताईद की
और तुम्हे पाक व पाकीज़ा चीज़े खाने को दी ताकि तुम शुक्र गुज़ारी करो (26)
ऐ ईमानदारों न तो ख़़ुदा और रसूल की (अमानत में) ख़्यानत करो और न अपनी अमानतों में ख़्यानत करो हालाँकि समझते बूझते हो (27)
और यक़ीन जानों कि तुम्हारे माल और तुम्हारी औलाद तुम्हारी आज़माइश
(इम्तेहान) की चीज़े हैं कि जो उनकी मोहब्बत में भी ख़ुदा को न भूले और वह
दीनदार है (28)
और यक़ीनन ख़़ुदा के हाँ बड़ी मज़दूरी है ऐ ईमानदारों अगर तुम ख़़ुदा से
डरते रहोगे तो वह तुम्हारे वास्ते इम्तियाज़ पैदा करे देगा और तुम्हारी तरफ
से तुम्हारे गुनाह का कफ़्फ़ारा क़रार देगा और तुम्हें बख़्ष देगा और
ख़़ुदा बड़ा साहब फज़ल (व करम ) है (29)
और (ऐ रसूल वह वक़्त याद करो) जब कुफ़्फ़ार तुम से फरेब कर रहे थे ताकि
तुमको क़ैद कर लें या तुमको मार डाले तुम्हें (घर से ) निकाल बाहर करे वह
तो ये तद्बीर (चालाकी) कर रहे थे और ख़़ुदा भी (उनके खि़लाफ) तद्बीर कर रहा
था (30)
तुम अपने किरदार को इतना बुलंद करो कि दूसरे मज़हब के लोग देख कर कहें कि अगर उम्मत ऐसी होती है,तो नबी कैसे होंगे? गगन बेच देंगे,पवन बेच देंगे,चमन बेच देंगे,सुमन बेच देंगे.कलम के सच्चे सिपाही अगर सो गए तो वतन के मसीहा वतन बेच देंगे.
22 दिसंबर 2021
और उन लोगों के ऐसे न हो जाओं जो (मुँह से तो) कहते थे कि हम सुन रहे हैं हालाकि वह सुनते (सुनाते ख़ाक) न थे
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