आदरणीय अब्दुल कलाम आज़ाद साहब , नें काका केलकर की रिपोर्ट के सर्वेक्षण के अनुसार, काम के पिछड़ेपन के आधार पर, कपड़ा बुनने वाले , मांस का कारोबार करने वाले , चमड़े का कारोबार करने वाले , कपड़े धोने , रँगने का व्यवसाय करने वाले सहित हर पिछड़े व्यवसाय कर्मियों के उत्थान के लिये बनाई गई आरक्षण नीति के परिपत्र में भारतीय संविधान में , धर्म , स्थान , जाति, लिंग के आधार पर बिना भेदभाव के बराबरी के अधिकार का अवमान कर , आरक्षण परिपत्र 1951 में केवल हिन्दुओं के लिये शब्द नहीं जुड़ने दिया होता , , समर्थन नहीं कर , विरोध किया होता , तो आज , अंसारी , कुरेशी, जीनगर सहित कई मुस्लिम समाज के लोग आरक्षण में कलेक्टर , एसपी , अधिकारी, कर्मचारी, आरक्षित सीटों से विधायक , सांसद , प्रमुख, प्रधान , पंच , सरपंच , पार्षद , महापौर वगेरा होते, अख़्तर
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