भावी पीढ़ी को देहदान संकल्प पत्र सौंपने पर ही उसकी सार्थकता
पहले साल में 2 भी नहीं, अब प्रतिमाह 2 से ज्यादा देहदान संकल्प
"डोर स्टेप फैसिलिटी" से बढ़ रहा देहदान संकल्प
बीते
एक वर्ष से शाइन इंडिया फाउंडेशन के द्धारा संभाग स्तरीय देहदान जागरूकता
अभियान से सभी उम्र आयु और वर्ग के लोगों में देहदान के प्रति काफ़ी
जागरूकता बढ़ी हैं । देहदान से जुड़ी कई भ्रांतियाँ और सही जानकारी का न होना
ही लोगों में उदासीनता का सबसे बड़ा कारण हैं,इसके साथ ही संकल्प-कर्ता यह
भी चाहते हैं कि,किसी भी तरह से घर पर ही देहदान-संकल्प से जुड़ी सारी
प्रक्रिया परिवार के सभी सदस्यों के बीच हो जाये,तो समय आने पर देहदान के
कार्य को सम्पन्न होने में पूरी सार्थकता होती हैं ।
वर्तमान
समय की जरूरत व कोरोना गाइड लाइन की पालना करते हुए,संस्था सदस्य, घर तक
देहदान संकल्प पत्र और उससे जुड़ी सभी जानकारी घर तक पहुँचा रहे हैं,फॉर्म
पूरा भरने के बाद,संकल्पकर्ता के परिवार के सभी सदस्यों के बीच, संस्था
सदस्य देहदान संकल्प लेने वाले सदस्य का सम्मान करते हैं। इसके साथ ही उसी
समय परिजनों के साथ ही देहदान के विषय पर लघु चर्चा करते हैं ,जिससे सभी के
मन में अच्छे से यह बात समझ आ जाती हैं, पहला यह कि देहदान के विषय पर
पूरी जानकारी मिल जाती हैं, दूसरा यह कि सभी रिश्तेदार यह अच्छे से यह भी
जान जाते हैं कि,समय आने पर यह देहदान का कार्य सम्पन्न करवाना ही हैं ।
संस्था
के 'मिस्ड कॉल से देहदान संकल्प' पायलट प्रोजेक्ट की शुरूआत एक वर्ष पहले
हुई थी,तब से अभी तक 148 लोग देहदान का संकल्प ले चुके हैं, यह सब वह लोग
हैं, जिन्होंने अपने देहदान संकल्प का निर्णय अपने सभी रिश्तेदारों को भी
अच्छे से बताया हुआ है।
कल
आदर्श कॉलोनी,स्टेशन क्षेत्र के टू-व्हीलर मेकेनिक राजेन्द्र कुमार 'राजू
जी' ने अपने बेटे को साथ में बिठाकर शाइन इंडिया फाउंडेशन के साथ देहदान का
संकल्प-पत्र भरा । किसी भी तरह के सेवा कार्यों में राजू जी हमेशा आगे
रहते हैं, पिछले कई समय से वह संस्था के ज्योतिमित्र मुकेश अग्रवाल के साथ
गौ-सेवा, अनजान-अजनबियों की सेवा के लिये कार्य कर रहे हैं ।
वर्ष
2014 में राजू जी की पत्नि रीना वर्मा का देहांत हो गया,दूसरों की मदद की
बात सुनकर,रीना जी को हमेशा ख़ुशी होती थी। यही सोचकर उनके मन में विचार आया
कि, जीते जी तो मैं रक्तदान करके सेवा करता ही हूँ, पर दुनिया से जाने के
बाद भी देहदान-नैत्रदान जैसा कार्य होता है तो,ऊपर जाकर पत्नि से नज़र मिला
सकूँगा ।
राजू जी का मानना
है कि,मृत्यु के बाद इतने पेड़ो को बेकार जलाने से अच्छा है,मेरा शरीर
भावी-चिकित्सकों के काम आ सकें। राजू जी के साथ साथ उनका बेटा मेहुल भी
नियमित रक्तदाता है,वर्ष में 3 बार रक्तदान करने वाला मेहुल भी अपने पिता
के सेवा कार्यों से काफ़ी प्रेरित है । देहदान के लिये मेहुल ने कहा कि,इससे
अच्छा पुण्य कार्य कोई नहीं हो सकता है,मैं पिता की भावनाओं की कद्र करता
हूँ, और जब ईश्वर की इच्छा होगी,मैं इस नेक कार्य को सम्पन्न करने में पीछे
नहीं हटूँगा । पापा के कार्यों से मुझे भी प्रेरणा मिली है,मैं भी प्रयास
करूँगा की,नैत्रदान-अंगदान-देहदान के कार्यों में सभी को जोड़ सकूँ ।
शाइन
इंडिया फाउंडेशन के ज्योतिमित्र मुकेश अग्रवाल ने देहदान संकल्प के उपरांत
राजेन्द्र कुमार जी को उनके बेटे मेहुल के हाथों से प्रशस्ति पत्र भेंट
किया ।
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