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29 सितंबर 2021

कोरोना गाइड लाइन ,, आपदा प्रबंधन अधिनियम , में कोटा पुलिस , कोटा जिला प्रशासन , फिल्म अभिनेत्री अमीषा पटेल , के कोटा कार्यक्रम और हंगामे के मामले में , पूर्ण रूप से असफल साबित हुआ है ,

 कोरोना गाइड लाइन ,,  आपदा प्रबंधन अधिनियम , में कोटा पुलिस , कोटा जिला प्रशासन , फिल्म अभिनेत्री अमीषा पटेल ,  के कोटा कार्यक्रम और हंगामे के मामले में , पूर्ण रूप से असफल साबित हुआ है , कोटा के अख़बार , कोटा का इलेक्ट्रॉनिक मीडिया ऐसे मामले में , ना जाने क्यों , ना जाने  किस  वजह से , छुपी साध कर , फॉर्मल रिपोर्टर रहा है ,, देश वर्तमान हालातों में कोरोना गाइड लाइन के तहत , सरकारी विधि नियमों , आपदा प्रबंधन अधिनियम के विधिक प्रावधानों की छूट के तहत , स्वस्थ शहर की तरफ धीरे धीरे बढ़ रहा है , सभी जानते है ,सावधानी हठी और दुर्घटना घटी ,, कोटा  में एक संस्था द्वारा ,  फिल्म अभिनेत्री अमीषा पटेल का कार्यक्रम , नगर विकास न्यास के ऑडिटोरियम जिसकी बैठक क्षमता , कोरोना गाइड लाइन छूट ,200 लोगों से कई गुना  ज़्यादा है  ,,  ज़ाहिर है  , फिल्म अभिनेत्री का मामला था  , बहुत कम कपड़े पहन कर अभिनेत्री साहिबा आयी थीं , पहले कोटा में एक बार ऐसे ही कपड़े पहनकर , कोटा मेला दशहरा में कार्यक्रम देने वाली एक ऑर्केस्टा पार्टी की महिलाओं के खिलाफ अश्लील और भोंडा प्रदर्शन करने पर , किशोरपुरा थाने में मुक़दमा दर्ज हो चुका है ,, जयपुर  की आयोजक ,  कल्पना झिलानी ,  ने कोटा में आयोजित इस कार्यक्रम के आयोजन के लिए विधिक रूप से किस संस्था , किस व्यक्ति की तरफ से कोरोना गाइड लाइन में कार्यकम करने की मंज़ूरी ली , आपदा प्रबंधन अधिनियम , और कोरोना गाइड लाइन की बंदिशों के चलते , अमीषा पटेल के इस कार्यकम के आयोजन की स्वीकृति ,  जिला प्रशासन , और पुलिस प्रशासन ने किन शर्तों के तहत दी , यह तो ,स्वीकृति पत्र में ही अंकित होगा , लेकिन ,  सभी जानते है , के ऐसे कार्यक्रम की यूँ तो स्वीकृति नहीं मिलती , टालमटोल  का रवय्या रहता है , वैसे भी जब गणेश चतुर्थी , मोहर्रम वगेरा की स्वीकृति नहीं तो यह स्वीकृति तो असम्भव सी है , फिर भी ,,  अपने रसुकात के बल पर अगर स्वीकृति प्राप्त भी की होगी , तो इस स्वीकृति में निश्चित पर , आपदा प्रबंधन अधिनियम , और कोरोना गाइड लाइन  की पालना सुनिश्चित किये जाने का कर्तव्य आयोजक के  लिए बाध्यकारी रखा होगा , इसकी एक सुचना , नगर विकास  न्यास ऑडिटोरियम थाना क्षेत्र , के उप अधीक्षक , पुलिस अधीक्षक , ,थानाधिकारी को भी भेजी होगी , थानाधिकारी , उप अधीक्षक   का कर्तव्य था , के वोह इस कार्यक्रम में कोरोना  गाइड लाइन के तहत , संख्या  , मास्क , सेनेटाइज़ , सहित सभी व्यवस्थाओं को  संभालता और इसके उलंग्घन पर ,तुरतं ,  मुक़दमा दर्ज कर , आयोजकों  या उलंग्घन कर्ताओं को गिरफ्तार करते ,  इसमें जो विडिओ वाइरल हुए है ,  जो खबरें आयी  है ,  सभी ने खुले रूप से देखा है  , पुलिस की धानाधिकारी मौजूद है  , पुलिस मौजूद है , भीड़ जमा है , भीड़ में कई महिलाये , कई पुरुष है , अधिकतम लोगों ने मास्क  नहीं लगाए हुए है  , ऐसे में भीड़ एक साथ जमा नहीं  , हंगामा नहीं  होगा , क़ानून व्यवस्था बाधित  नहीं होगी  , कोरोना गाइड लाईन की   पालना सुनिश्चीत होगी ,  जिसमे ,  मास्क लगाना  ज़रूरी है और बिना मास्क के ,  जुर्माना आवश्यक प्रावधान है ,, ऐसे में ,  आयोजकों  की मनमानी  कहो  ,,अमीषा पटेल  का ,  जिस यूनिफॉर्म में प्रदर्शन रहा , उस  यूनिफॉर्म में शीलता और अश्लीलता के क़ानूनी प्रावधानों  का फ़र्क़ हो  ,  हंगामे ,  सोशल  डिस्टेंसिंग ,  बिना  मास्क  कार्यक्रम में उपस्थिति सहित ,आपदा प्रबंधन अधिनियम का उलंग्घन ,, कार्यक्रम के आयोजन की स्वीकृति अगर सशर्त है तो उन शर्तों का उलंग्घन , निश्चित तोर पर , आयोजक और आने वाली अमीषा पटेल के खिलाफ फौजदारी मुक़दमा बनाकर उनकी गिरफ्तारी की कार्यवाही के लिए काफी है , लेकिन ऐसे सभी प्रावधानों के बावजूद भी ,, कोटा पुलिस कोटा प्रशासन की ऐसे मामलों में छूट किसलिए , किसके दबाव में , किन कारणों से , इसका खुलासा भी होना चाहिए , पत्रकार साथियों को , दैनिक सबसे तेज़ बढ़ते अख़बारों को ,, निष्पक्ष सबसे अधिक प्रसार संख्या वाले अख़बारों को , सबसे तेज़ न्यूज़  चेनल्स को , सबसे ज़्यादा टी आर पी चेनल्स को , अवैध रूप से चल रहे , लोकल चेनल्स हों , यू ट्यूब चेनल्स हों , जो भी हों , सभी को इस पर गौर करना चाहिए , दबाव बनाना चाहिए ,,  कोटा की धरती पर ,, छोटे लोगों को मास्क नहीं लगाने पर जुर्माना , वाहन ज़ब्त , 200 की  स्वीकृत संख्या से ज़्यादा लोगों पर चालान बाज़ी , वगेरा वगेरा होती रही है , लेकिन इस मामले में , विशिष्ठ्ता , के साथ विशेष छूट क्यों , फौजदारी मुक़दमा दर्ज कर कार्यवही में कोताही क्यों , यह पक्षपात कोटा के जिला प्रशासन , कोटा की पुलिस का अगर है , तो फिर इस मामले में , राजस्थान के मुखिया बने , ज़िम्मेदारों को तो स्वत प्रसंज्ञान लेकर कार्यवाही करना ही चाहिए , ,देखते है , एक ब्रेक के बाद , क्या होता है , क्या होना चाहिए ओर भी , कुछ भी , क्यों और किन कारणों से नहीं होता है  ,, अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान  

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