आपका-अख्तर खान

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01 जुलाई 2021

वो पानी पूरी वाले भईया नज़र नहीं आते ?

 

बाजार खुलने लगे..
हांँ, देखो कोरोना जाने लगा है,
बाजार भी खुलने लगा है..
पर वो कोने की दुकान क्यों नहीं खुलती ?
वो सब्जी वाली अम्मा क्यों नहीं दिखती ?
वो पानी पूरी वाले भईया नज़र नहीं आते ?
जूते की दुकान पर ताला क्यों नजर आता है ?
पता चला, उन्हें दूसरी लहर ले गई..
ता उम्र की तन्हाईयाँ दे गई..
सब खुलेगा पहले जैसा भी होगा..
पर बुझा चिराग फिर न जलेगा
वो अकेला कहाँ गया होगा..
पूरा परिवार ले गया होगा..
किसी का स्कूल छूटा
किसा का घर टूटा
किसी की चूड़ी चटकी
किसी की सांसे अटकी
दुनिया फिर मुस्कुराएगी..
पर कुछ घरों में दिवाली न आयेगी।
जो चले गए वो बस याद आयेंगे..
ना जाने ये चेहरे फिर कब मुस्कुराएंगे।
इसलिये हम अब नफरत छोड़ें मोहब्बत , मोहब्बत सिर्फ मोहब्बत करें ,,

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