सूरए अल मुद्दस्सिर मक्का में नाजि़ल हुआ और इसकी छप्पन (56) आयतें हैं
ऐ (मेरे) कपड़ा ओढ़ने वाले (रसूल) उठो (1)
और लोगों को (अज़ाब से) डराओ (2)
और अपने परवरदिगार की बड़ाई करो (3)
और अपने कपड़े पाक रखो (4)
और गन्दगी से अलग रहो (5)
और इसी तरह एहसान न करो कि ज़्यादा के ख़ास्तगार बनो (6)
और अपने परवरदिगार के लिए सब्र करो (7)
फिर जब सूर फूँका जाएगा (8)
तो वह दिन काफि़रों पर सख़्त दिन होगा (9)
आसान नहीं होगा (10)
तुम अपने किरदार को इतना बुलंद करो कि दूसरे मज़हब के लोग देख कर कहें कि अगर उम्मत ऐसी होती है,तो नबी कैसे होंगे? गगन बेच देंगे,पवन बेच देंगे,चमन बेच देंगे,सुमन बेच देंगे.कलम के सच्चे सिपाही अगर सो गए तो वतन के मसीहा वतन बेच देंगे.
17 जून 2021
ऐ (मेरे) कपड़ा ओढ़ने वाले (रसूल) उठो
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