आपका-अख्तर खान

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05 मई 2021

कि तुम्हारे ऐसे और लोग बदल डालें

 कि तुम्हारे ऐसे और लोग बदल डालें और तुम लोगों को इस (सूरत) में पैदा करें जिसे तुम मुत्तलक़ नहीं जानते (61)
और तुमने पैहली पैदाइश तो समझ ही ली है (कि हमने की) फिर तुम ग़ौर क्यों नहीं करते (62)
भला देखो तो कि जो कुछ तुम लोग बोते हो क्या (63)
तुम लोग उसे उगाते हो या हम उगाते हैं अगर हम चाहते (64)
तो उसे चूर चूर कर देते तो तुम बातें ही बनाते रह जाते (65)
कि (हाए) हम तो (मुफ्त) तावान में फॅसे (नहीं) (66)
हम तो बदनसीब हैं (67)
तो क्या तुमने पानी पर भी नज़र डाली जो (दिन रात) पीते हो (68)
क्या उसको बादल से तुमने बरसाया है या हम बरसाते हैं (69)
अगर हम चाहें तो उसे खारी बना दें तो तुम लोग शुक्र क्यों नहीं करते (70)

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