कोटा अभिभाषक परिषद कार्यकारिणी ने एडवोकेट तरन्नुम के साथ ट्रैफिक पुलिस इंस्पेक्टर, राजेन्द्र सिंह कविया की अभद्रता , अनावश्यक चालानबाज़ी को गम्भीरता से लिया ,है,, इस सम्बंध में अभिभाषक परिषद के अध्यक्ष मनोज गौतम , महासचिव पदम् गौतम , उपाध्यक्ष भुवनेश शर्मा ने पुलिस अधीक्षक को ज्ञापन, देकर ऐसे अधिकारी के खिलाफ कार्यवाही की मांग की है, जबकि एक ज्ञापन ज़िला जज को भी दिया, गया,, अभिभाषक परिषद के पदाधिकारी इस मामले में अत्यंत गम्भीर है और कार्यवाही होने तक कठोर कार्यवाही के मूड में है,,
कोटा अभिभाषक परिषद कार्यकारिणी की सदस्य एडवोकेट ,, तरन्नुम अंसारी को अदालत तक आने , अदालत से घर जाने के बीच , छावनी क्षेत्र में ड्यूटी कर रहे , ट्रेफिक इंस्पेक्टर , राजेंद्र सिंह कविया ने , उन्हें रोका , धमकाया , राजकार्य में बाधा डालने के मुक़दमे की धमकी दी , और फिर पांच सो रूपये का चालान काट कर , कम्पाउंड कर ,, उन्हें छोड़ा , एडवोकेट तरन्नुम का कहना है , के वोह , 26 मई को कोटा न्यायालय परिसर में कोविड टीकाकरण केम्प होने से , अभिभाषक परिषद की कार्यकारिणी सदस्य होने के कारण , व्यवस्थाओं में भी थीं, लेकिन बीच में ही उन्हें घर जाना पढ़ा , उनका स्वास्थ्य कुछ खराब था, , वोह दिन में कोर्ट से , अपने दुपहिया वाहन से , विज्ञाननगर के लिए निकली , उन्हें छावनी पुल के नीचे रोका गया , एडवोकेट तरन्नुम ने अपना परिचय दिया , एडवोकेट कार्ड बताया, आने , जाने का आवश्यक कारण भी बताया , लेकिन वहां तैनात ट्रेफिक इंस्पेक्टर साहब तो ,, पुलिसिया रुआब में थे , उन्होंने कोई सुनवाई नहीं की , गाडी एक तरफ कर दो , आने जाने का ज़रूरी रीज़न बताना चाहा तो नाराज़गी ज़ाहिर करते हुए , कहा , अभी गाइडलाईन है ,तुम बाहर क्यों निकले , तुम लोगों ने कोरोना फैला रखा है , ,और फिर बात करने पर , राजकार्य में बाधा डालने का मुक़दमा दर्ज करने की धमकी भी दे डाली , तरन्नुम ने एक वकील साथी से बात करवाना चाही तो कविया ने बात करने से भी इंकार कर दिया , खेर तरन्नुम एडवोकेट , पुलिसिया रुआब के आगे ख़ौफ़ज़दा हो गईं, उनका पांच सो रूपये का चालान बना ,दिया गया ,,, जो राशि उनसे ले ली गयी, उन्होंने इस मामले की शिकायत अभिभाषक परिषद के नेतृत्व को की , अभिभाषक परिषद ने, कोटा जिला जज , पुलिस अधीक्षक को इस मामले में ज्ञापन दिया , ज्ञापन जिला जज ने ,, तत्काल पुलिस अधीक्षक महोदय को भेजा , पुलिस अधीक्षक महोदय ने , ट्रेफिक पुलिस को पूर्व की तरह निर्देशित कर दिया , के वकीलों को , अदालत , आते जाते वक़्त , उनका कार्ड बताने पर , रोके नहीं , चालान नहीं बनाये , लेकिन , तरन्नुम का चालान तो बन गया ,, अभद्रता की भी शिकायत है , अभी अभिभाषक परिषद ने ,, पुलिस अधीक्षक ,को लिखित ज्ञापन दे दिया है, , लेकिन ,अब ऐसे अहंकारी पुलिस कर्मी के खिलाफ कार्यवाही तो होना ही चाहिए , ट्रेफिक इंस्पेक्टर , अपने बचाव में कहते है , महिला वकील ने हेलमेट नहीं लगा रखा था , इसलिए , चालान काटा , तो जनाब चालान की कॉपी मुलायज़ा करिये , चालान जिस टूटी फूटी भाषा में भरा है , उसमे, तरन्नुम नाम है , गाड़ी का नंबर जो चालान की कॉपी तरन्नुम को दी है , उसमे नहीं लिखा है , क्योंकि गाड़ी नम्बर लिखे ही नहीं, और गाड़ी में एम सी , यानी मोटर साइकल अंकित की गयी है , जबकि मोटर साइकल , स्कूटी ,एक्टिवा में फ़र्क़ होता है ,,तरन्नुम मोटर साइकिल नहीं चलातीं , एक्टिवा चलाती है , चालान का समय अंकित नहीं है , , ,और अपराध धारा 179 गोले में 1 एम वी एक्ट लिखा हुआ है ,, आगे आदेशों की अवहेलना , में लिखा हुआ है ,, ,मज़ेदार बात यह है के चालान काटने वाले स्थान पर तो चालान करने वाले के हस्ताक्षर है , लेकिन चालान में , कम्पाउंड , यानी जुर्माना राशि पांच सो रुपया जमा करने वाले की जगह कोई हस्ताक्षर नहीं है , हाँ प्रभारी थानाधिकारी यातायात पुलिस की मुहर ज़रूर लगी है ,, अब इस चालान के पोस्टमार्टम से साफ है के अगर हेलमेट नहीं पहनने का चालान होता , तो चालान की कॉपी में , सभी पूर्व में काटे जा रहे,, चालानों की तरह , हेलमट नहीं है , कागज़ात नहीं है ,, वगेरा वगेरा लिखा होता , लेकिन साफ लिखा है , के आदर्शों की अवहेलना ,इससे यही समझ में आता है , के कोरोना गाइड लाइन की अवहेलना का ही चालान है ,, फिर हड़बड़ी में एम सी यानी मोटरसायकल की शार्ट फॉर्म लिखना ,कम्पाउंड पर हस्ताक्षर नहीं करना , वगेरा वगेरा से साफ़ ज़ाहिर है , की यह हुज्जत और गुस्से में , बनाया गया चालान है ,, और यह चालान विधिक तो नहीं है , फिर इस मामले में ऐसे यातायात पुलिस अधिकारी साहिब के खिलाफ , अदालत में ,, उनके कृत्य के लिये उन्हें दण्डित करवाने के लिये, परिवाद भी पेश किया जा रहा है ,, राज्य मानवाधिकार आयोग में भी शिकायत की गई है, वरिष्ठ पुलिस अधिकारीयों को रूबरू जाकर शिकायत भी की गयी है , क्योंकि जिस धारा का हवाला दिया है , वोह भी पूर्व आदेश की अवहेलना ही है ,, जिसमे कोरोना गाइड लाइन की अवहेलना कवर होती है , ऐसे में जब दिल्ली हायकोर्ट के स्पष्ट आदेश है के कोई भी वकील आते जाते वक़्त अगर रोका जाता है और उसके पास , वकील का पहचान पत्र है , तो उसे रोके नहीं ,और फिर भी कोई शिकायत किसी पुलिस कर्मी के खिलाफ आती है ,तो उसके खिलाफ गंभीर कार्यवाही होना चाहिए , इस मामले में पूर्व में भी गाइड लाइन है , ,लेकिन पुलिस जी ने अपना कमाल दिखा दिया , अब , पुलिस अधीक्षक ने ,तो जिला जज साहब द्वारा ज्ञापन अपने पत्र के साथ भेजने के बाद ,, वकीलों को पहचान पत्र दिखाने पर आने जाने से नहीं रोकने बाबत पुलिस को निर्देश दे ,दिए है ,, लेकिन एक महिला वकील , वोह भी अभिभाषक परिषद की कार्यकारिणी सदस्य , और अपना परिचय देने के बाद भी ,उसके साथ, अभद्रता कर, टूटी फूटी भाषा , में आधा अधूरा चालान बनाने का जो साहस इन पुलिस अधिकारी महोदय ने दिखाया है , तो इन्हे तो , यातायात पुलिस की जगह , किसी बढे खतरनाक गेंग से जुड़े लोगों के खिलाफ कार्यवाही करने जैसे , बहादुरी वाले क्षेत्र में लगाना चाहिए , ऐसे दबंग अधिकारीयों को यूँ ही ,ट्रेफिक जैसी छोटी सी जगह लगाकर , काम लेना , उनकी बहादुरी का सही उपयोग नहीं है , ऐसे लोगों को स्पेशल टीम में रखना चाहिए , अभिभाषक परिषद कोटा ने , वकीलों की आवाजाही पर अनावश्यक टोका टाकी मामले में पुलिस अधीक्षक कोटा से निर्देश तो जारी करवा कर , एक सफलता हांसिल कर ली है , लेकिन अब ,ऐसे टूटे फूटे चालान मामले में , महिला वकील कार्यकारिणी सदस्य ने जो बताया है , उस व्यवहार के लिए , परिवाद जल्दी पेश होना चाहिए,, अभिभाषक परिषद इस मामले में वकील साथियों के मान , सम्मान , स्वाभिमान , उनके हक़ संघर्ष के लिए हमेशा , तत्पर रही है , और कार्यकारिणी के सभी पदाधकारी , इस मामले में अग्रिम कार्यवाही भी कर रहे है अभिभाषक परिषद का हर सदस्य , इस संघर्ष में , बहन तरन्नुम एडवोकेट और उनकी कार्यकारिणी के निर्णय के साथ , खडी है ,,,, जल्दी ही ,, उन्हें न्याय मिलेगा ,,,,अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
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