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29 मई 2021

देश भर में कोरोना संक्रमित मरीज़ों में क़रीब 400 के लगभग पत्रकारों की मोत हो गयी है , जबकि हज़ारों छोटे बढ़े पत्रकार ,, ज़िंदगी और मोत के बीच जूझ कर , हज़ारों ,, लाखों रूपये खर्च कर ,अपनी जान बचा पाए है ,,

 देश भर में कोरोना संक्रमित मरीज़ों में क़रीब 400 के लगभग पत्रकारों की मोत हो गयी है , जबकि हज़ारों छोटे बढ़े पत्रकार ,,  ज़िंदगी और मोत के  बीच जूझ कर , हज़ारों ,, लाखों रूपये खर्च कर ,अपनी जान बचा पाए है ,, मनमोहन सिंह सरकार के  प्रधानमंत्री कार्यकाल में , पत्रकारों के प्रति संवेदनशील राहुल गांधी के सुझाव पर , पत्रका कल्याण योजना के लिए 1 फरवरी 2013 संशोधित दिशा निर्देश जारी कर , पत्रकारों को ,मृत्यु पर , उनके परिजनों को पांच लाख रूपये तक की  अनुकम्पा राशि एक मुश्त देने का प्रावधान रखा था ,, पत्रकारों की मौतें हुई , पत्रकार आपस में ही उलझते रहे , लेकिन इस यौजना का लाभ ,पत्रकारों के संगठनों के निष्क्रिय होने , और वर्तमान सरकार की निष्क्रियता , इच्छा शक्ति की कमी की वजह से पत्रकारों को नहीं मिल पाया ,,, ,पत्रकारों की बेहिसाब कोरोना से मौतों पर ,, 1 मई को  ,  राहुल गाँधी ने ,सरकार से आग्रह किया , के जो पत्रकार , रात दिन , आपकी खबरें दिखाते है , उनके ,, उनके परिजनों के लिए कल्याणकारी लाभ की व्यवस्था तो करो ,, राहुल गाँधी के उक्त बयान के बाद कुछ पत्रकार संगठन सतर्क हुए , उन्होंने , प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के कार्यकाल का पत्रकार कल्याणकारी क़ानून   निकाला , और सरकार पर दबाव बनाया , ,तब कहीं जाकर सरकार ने पत्रकारों के बारे में 8 साल पहले बनी इस लाभकारी , कल्याणकारी योजनाओं का लाभ पत्रकारों को देने की शुरुआत की है ,लेकिन उसमे भी कंजूसी जारी है, वैसे तो केंद्र सरकार को , राजस्थान सरकार के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की तर्ज़  पर , पत्रकारों को , कोरोना वॉरियर्स के रूप में , चिन्हित कर , इनकी मृत्यु पर , पचास लाख रूपये मुआवज़ा परिजनों को देने की घोषणा करना चाहिए थी ,लेकिन अभी तो पुरानी योजना ज़रूरत मंदों तक पहुंचने में ही ,  वेरिफिकेशन ,  नियमों का सरलीकरण नहीं होने से दिक़्क़तें है ,  पत्रकारों में ,अधिस्वीकरण , और बढे संस्थांन में काम करने वाले  पत्रकारों के स्थाई नियुक्ति पत्रों के अभाव सहित ,, छोटे ,, मंझोले समाचार पत्रों के , मालिक , प्रकाशकों , के समक्ष , कई चुनौतियां है , जिन्हे , पत्रकार संगठनों को , केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार के समक्ष , आवाज़ उठाकर , ,,सरलीकृत करवाना ज़रूरी है ,, मनमोहन सरकार में पत्रकारों के कल्याण की योजना के तहत पत्रकारों की मृत्यु पर , उनके परिजनों को पांच लाख रूपये स्थाई विकलांग होने पर , पत्रकार को पांच लकह रूपये , गंभीर बीमार होने पर ,तीन लाख रूपये दुर्घटना ग्रस्त होने पर ,दो लाख रूपये अनुदान का प्रावधान रखा था , जो ,हर साल बजट प्रावधान में भी रखा जाना था , लेकिन सात बजटों मे  इस योजना को बजट प्रावधान में रखवाने के लिए पत्रकार संगठनों में कोई दबाव ही नहीं बनाया , पत्रकार देश की हर समस्या के लिए संघर्ष करते रहे , जूझते रहे , जान की बाज़ी लगाकर , खबरें लाते  रहे , आपको ,खबरें ,, पढ़ाते रहे , दिखाते रहे ,, लेकिन अफ़सोस की बात यह रही , के खुद पत्रकारों ने ,पत्रकारों के नियोक्ता मालिकों ने ,  खुद सरकार ने , इस बारे मे  कोई क़दम आगे नहीं बढ़ाया , खेर देर आयद दुरुस्त आयद , अभी ,राहुल गाँधी के पत्रकारों को कल्याण कोष से मदद के बयान के बाद ,, पत्रकार भी हरकत में आये है , और केंद्र सरकार भी ,  अब पत्रकारों को , मनमोहन सरकार के वक़्त बने इन नियमों के तहत , लाभ देने के प्रयासों में आगे बढ़ी है , लेकिन सात सालों में यह राशि पत्रकारों के लिए , दुगुनी तो कम से कम होना ही चाहिए थी ,, अभी देश के हर ज़िले में  ,,  संभाग में , प्रेस इन्फॉर्मेशन ब्यूरो का  कार्यालय है , केंद्र सरकार , इन कार्यालयों के ज़रिये , अभियान चलाकर ,, नियमन में सरलीकरण करते हुए , , मृतक पत्रकार के परिजनों , गंभीर बीमार , और बीमार पत्रकारों को , लाभान्वित करने का अगर प्रयास करे ,तो कमसे कम छः सो  से भी अधिक मृतक पत्रकारों के परिजन , और हज़ारों पत्रकार लाभान्वित हो सकते है , लेकिन सरकार ने अभी यह मदद का आंकड़ा , पांच छह दर्जन से आगे नहीं बढ़ाया है , सरकार का प्रयास है , लेकिन सरकार के प्रयास तो प्रयास की तरह ही होते है , इसके लिए , केंद्र सरकार को   मजबूर करने के लिए  ,मोटिवेशन करने के लिए राहुल गाँधी ने तो अपनी पहल कर दी , लेकिन अब , अशोक गहलोत की सरकार की तर्ज़ पर , पत्रकारों को ,  कोरोना वॉरियर्स मान ,कर , उनकी मृत्यु पर , उनके परिजनों को पचास लाख रूपये की मदद राशि दिलवाने ,, नियमों का सरलीकरण करने , अधिक से अधिक लोगों को लाभान्वित करने के लिए ,, प्रिंट मीडिया के अख़बार मालिकों , न्यूज़  चैनलों के मालिकों ,  वरिष्ठ पत्रकारों ,, सम्पादकों , छोटे , मंझोले समाचार पत्रों के मालिक , प्रकाशकों को ,, अभियान के रूप में ,  वर्तमान हालातों में , पीड़ित  पत्रकार परिवारों ,और पीड़ित पत्रकारों को ,, केम्प लगवाकर , जिलेवार आवेदन भरकर , , आर्थिक सहायता दिलवाना चाहिए , राजस्थान सरकार में तो वैसे , पत्रकार कोरोना वारियर्स है , लेकिन बीमार , पीड़ितों के लिए , कल्याणकारी मदद का क़ानून है , राजस्थान में पत्रकारों को पेंशन भी है , चिकित्सा सुविधा बीमा योजना भी है ,,  यहाँ पत्रकारों को ,  भूखंड , आवास , लेबटॉप सहित कई सुविधाएं ,  समयः समय पर दी जाती है , जबकि अधिस्वीकृत पत्रकारों के लिए ,, विशेष योजनाए है , छोटे , मंझोले समाचार पत्रों के उत्थान के लिए न्यूनतम विज्ञापन योजना भी लागु है , ताकि हर छोटे , मंझोले समाचार पत्र को ,  वार्षिक स्तर पर , समाचार पत्र को जीवित , संचालित करते रहने के लिए पर्याप्त विज्ञापन मदद मिलती रहे ,, ,केंद्र सरकार पर ,भी पत्रकार संगठनों को ,, इस तरह की योजनाए संचालित करने , पत्रकारों की लाभान्वित व्यवस्थाएं देने के लिए दबाव बनाना ज़रूरी हो गया है , मनमोहन सिंह सरकार  के कार्यकाल में , आठ साल पहले जो नियम बने थे , वोह अब , मुआवज़ा राशि दुगुनी करना प्रासंगिक है ,इसके लिए भी , पत्रकारों को , दबाव बनाना होगा ,,, इंस्टीट्यूट ऑफ़ परसेप्शन स्टडीज़  की रिपोर्ट में डॉक्टर कोटा नीलिमा ने ,, पत्रकारों  की कोरोना से मृत्यु के आँकड़े जारी किये थे , जो अब निरंतर बढ़ रह है , उन्होंने चार  हफ्ते पहले ,  तीन सो से ज़्यादा पत्रकारों की कोरोना से मोत के आंकड़े जारी किये है ,,,,  अख्तर खान अकेला

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