फिर तुमको बेशक ऐ गुमराहों झुठलाने वालों (51)
यक़ीनन (जहन्नुम में) थोहड़ के दरख़्तों में से खाना होगा (52)
तो तुम लोगों को उसी से (अपना) पेट भरना होगा (53)
फिर उसके ऊपर खौलता हुआ पानी पीना होगा (54)
और पियोगे भी तो प्यासे ऊँट का सा (डग डगा के) पीना (55)
क़यामत के दिन यही उनकी मेहमानी होगी (56)
तुम लोगों को (पहली बार भी) हम ही ने पैदा किया है (57)
फिर तुम लोग (दोबार की) क्यों नहीं तस्दीक़ करते (58)
तो जिस नुत्फे़ को तुम (औरतों के रहम में डालते हो) क्या तुमने देख भाल लिया है क्या तुम उससे आदमी बनाते हो या हम बनाते हैं (59)
हमने तुम लोगों में मौत को मुक़र्रर कर दिया है और हम उससे आजिज़ नहीं हैं (60)
तुम अपने किरदार को इतना बुलंद करो कि दूसरे मज़हब के लोग देख कर कहें कि अगर उम्मत ऐसी होती है,तो नबी कैसे होंगे? गगन बेच देंगे,पवन बेच देंगे,चमन बेच देंगे,सुमन बेच देंगे.कलम के सच्चे सिपाही अगर सो गए तो वतन के मसीहा वतन बेच देंगे.
04 मई 2021
फिर तुमको बेशक ऐ गुमराहों झुठलाने वालों
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